राजूराम मेघवाल द्वारा लिखित यह पुस्तक उनकी आत्मकथा है, जो बचपन से किशोरावस्था के अंत तक की आत्मकथा है। यह उनकी आत्मकथा का पहला भाग है। जिसमें लेखक ने अपने बचपन से किशोरावस्था त
यह पुस्तक 'प्रेरक, समाज, राष्ट्र और मेरा दर्द' बहुत ही उपयोगी हैं जिसमें लेखक ने अपने जीवन , समाज, राष्ट्रीय मनोदशा का कविता के माध्यम से लोगों के सामने रखने का प्रयास किया हैं तथा
सच बेच दिया तूने अपना इमान बेच दिया तूने भारत के चौथे खंभे का तूने जमीर बेच दिया तूने स्वाभिमान था हमको तुम पर जबान Read More...
वास्तव में हमारे समाज के लिए क्या आवश्यक हैं इस चीज़ पर विचार होना चाहिए | सभी अपनी अपनी झोली भरने में लगे हुए हैं Read More...
मेहमानो की इस खटीया को थोड़ा सजाने तो दो | कुछ अभी तक नही थोड़ा तो बजाने दो | मैं बजालूँ कितना भी ढोल लेकिन, कान तक आव Read More...