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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
पुस्तक के बारे में
इस काव्य संग्रह में कुल 31 कवियों और शायरों की कविताएँ, नज्में, गीत, गजल, दोहे तांका, हायकू, मुक्तक आदि शामिल हैं । संकलन में प्रकाशित सभी कवियों ने अपनी अनुमति
पुस्तक के बारे में
इस काव्य संग्रह में कुल 31 कवियों और शायरों की कविताएँ, नज्में, गीत, गजल, दोहे तांका, हायकू, मुक्तक आदि शामिल हैं । संकलन में प्रकाशित सभी कवियों ने अपनी अनुमति ईमेल(प्रो.ताराशंकर शर्मा पाण्डेय, युवराज भट्टराई, प्रो.रवीन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.अलका सिंह, विनोद कुमार जैन, डॉ.प्रज्ञा पाण्डेय, महावीर उत्तरांचली, प्रीती सिंह, प्रज्ञा दूबे, डॉ.आभा झा, डॉ.शालीन सिंह, कुशाग्र जैन, डॉ. एस.एन.झा, डॉ.पूजा झा, सिन्धु मिश्रा) फोन(डॉ.रीता त्रिवेदी, डॉ.प्रवेश सक्सेना), फेसबुक(हरदीप सबरवाल, हरिनारायण सिंह हरि, राम किशन शर्मा), व्हाट्सएप (मुकुल महान, अरशद जमाल, पंकज प्रसून, वाहिद अली वाहिद, डॉ.शैल वर्मा, अशोक कुमार श्रीवास्तव, अनीस शाह अनीस, डॉ.प्रवेश सक्सेना, परमानन्द भट्ट) आदि के भेजी हैं । रचनाकारों द्वारा अनुमति के पश्चात् ही उनकी रचनाओं सम्मिलित किया गया है । जिन रचनाकारों ने रचना भेजने के बाद किसी भी माध्यम से अनुमति नहीं प्रदान की उनकी कविताओं को हटा दिया गया है । अत: रचनाकारों का इस विषय में विवाद करने का कोई अधिकार नहीं है ।
मैंने डॉ. अरुण कुमार निषाद द्वारा विरचित ‘आधुनिक संस्कृत साहित्य : विविध आयाम’ का आद्योपान्त ‘नीरक्षीर’ विवेक से अध्ययन किया । विद्वान, युवा एवं प्रतिभावान रचनाकार डॉ.नि
मैंने डॉ. अरुण कुमार निषाद द्वारा विरचित ‘आधुनिक संस्कृत साहित्य : विविध आयाम’ का आद्योपान्त ‘नीरक्षीर’ विवेक से अध्ययन किया । विद्वान, युवा एवं प्रतिभावान रचनाकार डॉ.निषाद का यह कार्य अत्यन्त ही प्रशंसनीय है ।
आधुनिक संस्कृत साहित्य से लेकर समकालीन रचनाकारों और उनकी रचनाओं पर लिखित इस ग्रन्थ में 32 शोधपरक आलेख हैं ।
उक्त सृजनकर्ता का यह कार्य अत्यन्त प्रेरणास्पद, प्रशंसनीय एवं स्तुत्य है । संस्कृत समाज के लिए मार्गदर्शन, युवा वर्ग के लिए आदर्श रुप में यह ग्रन्थ सिद्ध होगा । मैं हृदय से रचनाकार के प्रति शुभाशंसा व्यक्त करता हूँ कि यह रचना अवश्य ही लोगों का हृदय-हार बनेगी । संस्कृत समाज अवश्यमेव इससे लाभान्वित होगा ।
प्रो.रामसुमेर यादव
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष
संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ।
‘तस्वीर-ए-दिल’ आप की ख़िदमत में पेश है । शायरी दिल की आवाज़ होती है । और अगर ये आपके दिल को छू सके तो मैं इसे अपनी ख़ुशनसीबी समझूँगा । इस काव्यसंग्रह में 27 ग़ज़लें, 89 मुक्तक 20 हायकु और
‘तस्वीर-ए-दिल’ आप की ख़िदमत में पेश है । शायरी दिल की आवाज़ होती है । और अगर ये आपके दिल को छू सके तो मैं इसे अपनी ख़ुशनसीबी समझूँगा । इस काव्यसंग्रह में 27 ग़ज़लें, 89 मुक्तक 20 हायकु और 41 कवितायें (नज्म) व गीत हैं ।
मैं प्रात: स्मरणीय अपने पूज्यपिताजी (स्मृतिशेष) श्री राजमणि निषाद तथा माताजी श्रीमती सुभागी देवी और अपने परिवार के समस्त सदस्यों विशेषकर अपने तीनों अग्रजों श्री अजीत कुमार निषाद (उप प्रधानाचार्य, सरदार पटेल इण्टर कालेज, बरौंसा, सुल्तानपुर), श्री अनिल कुमार निषाद (एडवोकेट), डॉ. अजय कुमार निषाद (शिक्षक, प्राइमरी पाठशाला, देवराजपुर, कुशीनगर) का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, जिनके असीम प्रेम, आशीर्वाद, उचित मार्गदर्शन और आर्थिक सहयोग के बिना यह काव्यसंग्रह पूर्ण हो पाना असम्भव था | मैं अपनी भतीजी (श्रीमती पूनम, सोनम) एवं भाभी श्रीमती प्रमिला निषाद और श्रीमती रश्मि निषाद का भी आभार व्यक्त करता हूँ जो इस काव्यसंग्रह को शीघ्र पूर्ण करने के लिए निरन्तर टोंकते रहे हैं ।
मैं अपने मौसेरे भाई श्री देवतादीन निषाद (एडवोकेट) और श्री सुरेन्द्र कुमार ‘गुरूजी’ (एडवोकेट) का आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने ने सदैव उचित मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन प्रदान किया |
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