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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
प्रस्तुत पुस्तक बचपन के स्मृतियों और वक़्त के निरंतर चलते रहने से उसमें होने वाली क्षति को कविताओं के माध्यम से दर्शाने को कार्य करती है। इस बात में कोई संदेह नहीं की वक़्त के सा
प्रस्तुत पुस्तक बचपन के स्मृतियों और वक़्त के निरंतर चलते रहने से उसमें होने वाली क्षति को कविताओं के माध्यम से दर्शाने को कार्य करती है। इस बात में कोई संदेह नहीं की वक़्त के साथ भागते-भागते अतीत के कई ऐसे क्षण होते हैं जिनका वर्तमान में कोई लेखा जोखा नहीं होता। पर वो इतने सुंदर और इतने लुभावने होते हैं कि हमारा मन बार बार वर्तमान में उनके जीवंत होने की कल्पना करता है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही क्षणों के संकलन से सजी हुइ कविताओं का एक संग्रह है जिसके द्वारा अतीत के अंधकार में खोयी हुइ स्मृतियों को वर्तमान के प्रकाश में लाने का एक प्रयास मात्र किया गया है।
काश वक़्त भी बूढ़ा होता, उसकी चाल भी धीमी होती, उसका भी एक दौर गुजरता, जिसमे छवि यादों की गहरी होती, अतीत शब्द के साये Read More...
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