Shyam Jangra

समेट सकू खुद को कुछ अल्फाजो मे मुमकिन नही, जानना ही चाहते हो तो बिताओ कुछ वक़्त मेरे अल्फाजो के साथ।
समेट सकू खुद को कुछ अल्फाजो मे मुमकिन नही, जानना ही चाहते हो तो बिताओ कुछ वक़्त मेरे अल्फाजो के साथ।

तलाश जारी है

By Shyam Jangra in Poetry | Reads: 266 | Likes: 0

जो नही है जमी पर उस की तलाश जारी है, सब ले तेरा नाम बदल गये किस्मत अब तेरी बारी है।   जो कभी गुम हुआ नही उस की तलाश जार  Read More...

Published on Jun 28,2020 02:50 PM

ह्दय की पीड़ा (आत्महत्या)

By Shyam Jangra in True Story | Reads: 460 | Likes: 0

क्या हो गया है सब को,और क्या हो गया है मुझे, किसी की मौत पर मै असहज क्यो हू,मुझे समझ नही आ रहा, शायद मै मौत से असहज नही हू  Read More...

Published on Jun 14,2020 11:22 PM

धरती हिन्दुस्तानी

By Shyam Jangra in Poetry | Reads: 611 | Likes: 1

मै बचपन से पढता हू,अकबर के किस्से को, छुपा के रखा गया मुझसे महाराणा के हिस्से को उपर था रखा सबने खिल्जी के छ्लपन को,झु  Read More...

Published on Apr 22,2020 11:27 PM

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