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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
पुराण काल से चली आ रही हमारी संस्कृति, जो आज कही ना कही नव भारत में खो रही हैं,
संस्कृति का मतलब सिर्फ़ नमस्ते करना नही हैं,संस्कृति का मतलब है आपस में प्रेम बनाएं रखना प्रेम क
पुराण काल से चली आ रही हमारी संस्कृति, जो आज कही ना कही नव भारत में खो रही हैं,
संस्कृति का मतलब सिर्फ़ नमस्ते करना नही हैं,संस्कृति का मतलब है आपस में प्रेम बनाएं रखना प्रेम को समझना,उसमे खो जाना चाहे वो पहनावा हो या बोल चाल, लेखक न प्रेम के माध्यम से स्त्री और पुरुष दोनों को ही भारत कि संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया हैं, इस कविता में उस प्रेम का वर्णन हैं, जिसे आज की पीढ़ी नहीं जानती हैं, और ये कितना भयानक रूप लेती जा रही हैं जिसकी कल्पना भी असहनीय है।
यह पुस्तक पाठक को सीएसजेएम विश्वविद्यालय का संक्षिप्त परिचय देने के लिए लिखी गई है। यह महाविद्यालय के वर्तमान और भविष्य के छात्रों को विश्वविद्यालय के बारे में जानने में सहा
यह पुस्तक पाठक को सीएसजेएम विश्वविद्यालय का संक्षिप्त परिचय देने के लिए लिखी गई है। यह महाविद्यालय के वर्तमान और भविष्य के छात्रों को विश्वविद्यालय के बारे में जानने में सहायता करता है।
मेरे लिखने का सिर्फ एक मात्र मकसद लोगो तक अपनी बात को आसानी से पहुंचाना है । किसी को भी ठेस पहुंचाना या दुखी करना नही है । मैंने कविता के माध्यम से अपनी बात को कहा है कि जो प्यार करत
मेरे लिखने का सिर्फ एक मात्र मकसद लोगो तक अपनी बात को आसानी से पहुंचाना है । किसी को भी ठेस पहुंचाना या दुखी करना नही है । मैंने कविता के माध्यम से अपनी बात को कहा है कि जो प्यार करते है बस उन्हे आसानी से मिलवा देना चाहिए । ये जात-पात, धर्म, ऊँच-नीच ये सब इन्सानो को नही जोड़ता , जोड़ता है तो प्यार और विश्वास । मैं प्रशान्त रावत प्रेम को ही सब मानता हूँ फिर वो प्रेम चाहे माता-पिता से हो ,पति-पत्नी से हो या किसी भी रिश्ते का हो ।
अपने सुझाव और विचार विमर्श करे- prashant21rawat@gmail.com
धन्यवाद
प्रशान्त रावत
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