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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
इस किताब द्वारा एक छोटी-सी कोशिश है उन घटनाओं को प्रसारित करना जो आज भी हमारे समाज में कहीं न कहीं हर दिन घटती है। । हमे अपने जीवन में उन हर रूपों की एहमियत समझनी चाहिए जो हमे हमा
इस किताब द्वारा एक छोटी-सी कोशिश है उन घटनाओं को प्रसारित करना जो आज भी हमारे समाज में कहीं न कहीं हर दिन घटती है। । हमे अपने जीवन में उन हर रूपों की एहमियत समझनी चाहिए जो हमे हमारी पहचान देते हैं। इस किताब में कुछ अत्याचार और कुरीतियों के बारे में ज़िक्र की गई है जो हमारे समाज की आत्मा को चोटिल करती हैं। मेरा एक मात्र प्रयास है कि जो भी इन कविताओं को पढ़े अपने आस पास इनमें कुछ ज़िक्र की गई घटनाओं को बढ़ावा ना दे और उन अच्छी बातों को ध्यान रखे और उनकी इज़्ज़त करें जो यहाँ ज़िक्र गई है।
समय बीतता गया और दूरियां बढ़ती गई ख्याल तुम्हारा दब गए पलकों तले आंसुओं के दलदल में सांस वह लेता रहा एहसास है ज Read More...
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