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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
Earth Safety Valve are launching this book entitled, “I CAN’T BREATHE” which is presented in COP27 conference. This is a child-friendly book published with the motto of educating the younger minds in environmental conservation. In this growing era where climate change is a threat to the world, this book briefs you about life before and after the arrival of Homo-Sapiens which has revolutionised the world to the extent that, if this situation c
Earth Safety Valve are launching this book entitled, “I CAN’T BREATHE” which is presented in COP27 conference. This is a child-friendly book published with the motto of educating the younger minds in environmental conservation. In this growing era where climate change is a threat to the world, this book briefs you about life before and after the arrival of Homo-Sapiens which has revolutionised the world to the extent that, if this situation continues the world wouldn’t be able to breathe as a whole. This book has 3 sections where first and second parts are a replica of life on the planet before and after Homo-Sapiens while in the third part, readers can find some amazing puzzles and pictures of activities undertaken by climate warriors. With the sole efforts of the team - Ratna Singh, Aysath Rukshana, Diksha Singh, Prabhat Kumar Singh, Adegbehingbe Oyinkansola, Eniola, Monalisa Mapapu, Mariam Paktiawal and Olukorede Joy this book is being published solely for change-makers. Cheers to the young leaders who are the readers now, from the entire team.
प्रस्तुत पुस्तक मिजाज़ कई लेखकों की रचनाओं का संकलन है l यह पुस्तक जीवन के तमाम पहलुओं को साहित्य के रूप में साझा करती है l सभी पाठकों से उम्मीद की जाती है की रचनाएँ उन्हें क्ल्म्
प्रस्तुत पुस्तक मिजाज़ कई लेखकों की रचनाओं का संकलन है l यह पुस्तक जीवन के तमाम पहलुओं को साहित्य के रूप में साझा करती है l सभी पाठकों से उम्मीद की जाती है की रचनाएँ उन्हें क्ल्म्पना और तथ्य का एक नया सैर कराएंगी l
काव्यरथ कविताओं के रूप में एक अनोखा सफर है। जो आपकी भेंट कराएगी जीवन के तमाम पहलुओं सेl कभी खेतों की मेडियों से गुजरती है तो कभी इंसानी जज्बातों से, कुछ उबड़ - खाबड़ सामाजिक वि
काव्यरथ कविताओं के रूप में एक अनोखा सफर है। जो आपकी भेंट कराएगी जीवन के तमाम पहलुओं सेl कभी खेतों की मेडियों से गुजरती है तो कभी इंसानी जज्बातों से, कुछ उबड़ - खाबड़ सामाजिक विचारधाराओं को पार करती चली जा रही है, किसी अनंत ख्यालों की ओर l
क्यों हमेशा औरत ही ? का पहला संस्करण प्रस्तुत करते हुए बहुत खुशी हो रही है ? यह किताब उन महिलाओं पर आधारित है जो समाज में बुरी तरह से संघर्ष कर रही हैं। क्योंकि किताब का
क्यों हमेशा औरत ही ? का पहला संस्करण प्रस्तुत करते हुए बहुत खुशी हो रही है ? यह किताब उन महिलाओं पर आधारित है जो समाज में बुरी तरह से संघर्ष कर रही हैं। क्योंकि किताब का शीर्षक अपने आप में एक सवाल है। इसका मूल अर्थ यह है कि समाज हमेशा महिलाओं पर उंगली उठाता रहा है और उनके चरित्र से लेकर उनके काम तक पर सवाल उठाता रहा है, इसलिए यह पुस्तक उस समाज से सवाल करती है कि हमेशा महिलाएं ही क्यों? समाज हमेशा महिलाओं का दमन क्यों करता है? हमेशा महिलाओं को ही क्यों प्रताड़ित किया जाता है? महिलाओं को हमेशा शिष्टाचार और समायोजन के लिए क्यों कड़ा किया जाता है? महिलाओं को हमेशा क्या पहनना है और सभी के लिए मुश्किल क्यों होती है? और यह कोई नई बात नहीं है बल्कि सदियों से चली आ रही प्रथा की तरह है। देश में जिस तरह से महिला उत्पीड़न तेजी से बढ़ रहा है, यह दुखद और देश के विकास में बाधक है। अब यह एक पुरुष प्रधान देश की तरह है लेकिन अगर महिलाओं की संख्या उसी दर से घटती है तो यह पुरुषों का देश बन जाएगा।
ऐसे कई ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां लड़कियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है क्योंकि वे पुरुष बच्चे को पसंद करती हैं और इस तथ्य को भूल जाती हैं कि आज के युग में महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुंच रही हैं। यह पुस्तक उन सभी दर्दों को प्रस्तुत करती है जिनका सामना भारतीय समाज में एक महिला ने किया। और पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को दूर करने और महिलाओं के साथ हो रहे उन सभी अन्याय का बहिष्कार करने की आशा के साथ।
यह पुस्तक कुछ वरिष्ठ लेखकों की गण है। एक व्यक्ति लेखक तभी कहलाता है जब वह अपनी कलम का गुलाम हो जाये। लेखक की ज़िन्दगी हमेशा कलम और कागज के अधीन होती है। जिस प्रकार तीर और धनुष एक
यह पुस्तक कुछ वरिष्ठ लेखकों की गण है। एक व्यक्ति लेखक तभी कहलाता है जब वह अपनी कलम का गुलाम हो जाये। लेखक की ज़िन्दगी हमेशा कलम और कागज के अधीन होती है। जिस प्रकार तीर और धनुष एक दूसरे के पूरक है उसी प्रकार कलम और कागज भी एक दूसरे के पूरक है और इन दो शस्त्रों का इस्तेमाल करके संसार के किसी भी कोने में हलचल मचाया जा सकती है। यह पुस्तक अंग्रेजी व हिंदी भाषा का प्रयोग करते हुए कल्पना और तथ्य पर आधारित है। पाठकों को इसमें हर प्रकार के लेख मिलेंगे । किताब इस उम्मीद पर प्रकाशित हुई है कि वह समाज में शांति, अहिंसा,अन्याय का बहिष्कार, काल्पनिक जीवन और प्रेरणा का स्रोत बने।
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