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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडॉ. ऋतु पल्लवी निरंतर पठन-पाठन और लेखन से जुड़ी रही हैं। ’कादम्बिनी’ में कविता , ‘पूर्वग्रह’ में लेख, गांधी और उनकी जीवन यात्रा ( ऑथर्ज़ प्रेस प.) में लेख, के.वि.सं. की पत्रिकाओं में लेख, एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰भोपाल पत्रिका में शोध-पत्र, kavitakosh.orgRead More...
डॉ. ऋतु पल्लवी निरंतर पठन-पाठन और लेखन से जुड़ी रही हैं। ’कादम्बिनी’ में कविता , ‘पूर्वग्रह’ में लेख, गांधी और उनकी जीवन यात्रा ( ऑथर्ज़ प्रेस प.) में लेख, के.वि.सं. की पत्रिकाओं में लेख, एन॰सी॰ई॰आर॰टी॰भोपाल पत्रिका में शोध-पत्र, kavitakosh.org और sahityakunj.net पर इनकी कविताएँ देखी जा सकती हैं। इनका मानना है कि यूँ तो सारी ज़िंदगी कविता-कहानी सी जी है इन्होंने; पर उन अनुभूतियों का संग्रह पहली बार इस पुस्तक में हुआ और बन गयी ‘ इप्सिता ‘- मैं , तुम और बाक़ी सब।
ऋतु जी का गृह नगर ‘आगरा’ है जिसके बारे में ये लिखती हैं-
ताज का इश्क़ घोलता है,
ग़ालिब की ज़बान बोलता है,
ये शहर, हर आने वाले के लिए
अपना दिल खोलता है ।
लिखना-पढ़ना और घूमना जैसे सबसे सामान्य और सबसे रूहानी शौक़ हैं इनके।
वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय क्रमांक ३, भोपाल में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं।
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'इप्सिता' एक कवि-हृदय की डायरी है, एक ऐसा कवि-हृदय जो जीवन को समांतर दो स्तरों पर जीता है ; एक है उसका प्रत्यक्ष जीवन और दूसरा है किताबों एवं ख़्वाबों की खूबसूरत दुनिया -भव्यता मे
'इप्सिता' एक कवि-हृदय की डायरी है, एक ऐसा कवि-हृदय जो जीवन को समांतर दो स्तरों पर जीता है ; एक है उसका प्रत्यक्ष जीवन और दूसरा है किताबों एवं ख़्वाबों की खूबसूरत दुनिया -भव्यता में अद्भुत- रंगीली
सरलता में सफ़ेद-सपनीली
पहाड़ों में उड़ने वाली
समंदर में गहरे उतरने वाली
मन में उन्मुक्त उमंग की
संवेदना में मृदु स्पंदन की
एक शिशु सी निश्छल-चाह है
उसी चाह की कविता,
तृष्णा की निवेदिता
यही है इप्सिता !
इस कविता-संग्रह में सुंदर,कोमल, मर्मस्पर्शी,निजी एवं प्रासंगिक, सभी विषयों का चित्रण रंगों और छंदों की विविध शैली में मिलता है।
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