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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
ढाई अक्षरों का होता है “भाग्य”,तीन अक्षरों का होता है “नसीब”,साडे तीन अक्षरों की होती है “किस्मत”,पर ये चारों के चार अक्षर,चार अक्षरों की “मेहनत” से छोटे ही होते है&rdquo
ढाई अक्षरों का होता है “भाग्य”,तीन अक्षरों का होता है “नसीब”,साडे तीन अक्षरों की होती है “किस्मत”,पर ये चारों के चार अक्षर,चार अक्षरों की “मेहनत” से छोटे ही होते है”“कठोर परिश्रम से मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर सकता है”मैं जानता हूँ कि आप ये हज़ारों बार सुन चुके हैं, लेकिन ये सच है कि “परिश्रम ही सफलता की कुंजी है” और “अगर आप सफल होना चाहते है तो खूब अभ्यास कीजिये और उसके लिए खूब मेहनत कीजिये।” क्योंकि मैं अपने ४१ वर्षों के जीवन में ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं जानता जो बिना कड़ी मेहनत के शीर्ष तक पंहुचा हो इसीलिए मेरा मानना है कि ये ही एकमात्र उपाय है जो हमेशा आपको आगे ले जाने में मदद करेगा। ये आपको हर बार सबसे ऊपर तक भले ही ना ले जा सके लेकिन विश्वास कीजिये ये आपको उसके काफी करीब जरूर पहुंचा देगा।“हर कोई वहां बैठ कर शो देखता है और आइडल बनने की उम्मीद करता है, लेकिन हम उन्हें ये सिखाने जा रहे हैं कि इसमें कितनी मेहनत लगती है”आज हम जानेंगे कि कड़ी मेहनत क्या होती है और ये जिंदगी में सफलता प्राप्त करने के लिए कितनी जरूरी है।कड़ी मेहनत से यहाँ मेरा मतलब 24 घंटे काम करना या ज्यादा से ज्यादा पसीना बहाने से नहीं है, कड़ी मेहनत से मेरा तात्पर्य है कि कार्य को तब तक उस तरीके से किया जाए या उस दिशा में किया जाए कि परिणाम को हम अंपनी मर्जी मुताबिक़ और जल्द से जल्द प्राप्त कर सकें।
सभी पाठको को मेरा प्रणाम आशा करता हूँ की आप लोगो को ये कहानी पसंद आई होगी ,
देखा जाये जो पुस्तकों की मौजूदगी का सबूत हमारे वेद और पुराण देते हैं, लेकिन इनका सही मायनों में वि
सभी पाठको को मेरा प्रणाम आशा करता हूँ की आप लोगो को ये कहानी पसंद आई होगी ,
देखा जाये जो पुस्तकों की मौजूदगी का सबूत हमारे वेद और पुराण देते हैं, लेकिन इनका सही मायनों में विकास कई वर्षों बाद हुआ। पुस्तकों का उपयोग हम ज्ञान के संग्रहण के लिये करते हैं। पहले के ज़माने में लोग मौखिक रूप से शिक्षा लिया करते थे। गुरु अपने गुरुओं से जो ज्ञान प्राप्त करते थे वही अपने शिष्यों को भी दिया करते थे। परंतु यह तो निश्चित ही था की, इस प्रकार कुछ न कुछ ज्ञान छूट ही जाया करता होगा। फिर कागज की खोज के बाद, लोग अपनी कक्षा में सीखी गयी बातों को लिख लिया करते थे। और शायद यही वजह है की आगे चल कर हमे अपने इतिहास संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त हो पाई।
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