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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। ये बहुत अच्छे लेखक, पुराविद्, पत्रकार, शोधान्वेषी हैं। डॉ. मनुज द्वारा संपादित/प्रकाशित 6 पुस्तके विभिन्न विश्वविद्यालयों/शैक्षिक संस्थानों के कोर्स में या सहायक, Read More...
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। ये बहुत अच्छे लेखक, पुराविद्, पत्रकार, शोधान्वेषी हैं। डॉ. मनुज द्वारा संपादित/प्रकाशित 6 पुस्तके विभिन्न विश्वविद्यालयों/शैक्षिक संस्थानों के कोर्स में या सहायक, संदर्भग्रन्थ के रूप में सम्मिलित हैं। आपकी स्वयं की एक पत्रिका है और कई पत्र-पत्रिकाओं में आप सम्पादक हैं और रह चुके हैं। पांच ग्रन्थों के आप स्वयं लेखक/ अनुवादक है और 60 ग्रन्थों का सम्पादन कर चुके हैैं। आपको 13 पुरस्कार प्राप्त हो चके हैं, कई संस्थाओं के अध्यक्ष, महामंत्री जैसी पदों पर हैं। दैनिक समाचार पत्रों में पुरातत्त्व, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आगमिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, योगविद्या, समसामयिक आदि विषयों पर नियमित लेखन करते हैं, लगभग 150 अखबार आपके आलेख प्रकाशित करते हैं। अंकचक्रान्वित अनूठे यंत्रात्मक ग्रन्थ ‘सिरि भूवलय’ को डिकोड करने के विलुप्त हो चुके फार्मूला की खोज कर उसे इस सदी में प्रथम बार डिकोड करने का गौरव आपको प्राप्त है। 64 अध्याय वाले विशाल ‘सिरि भूवलय’ में 718 भाषाएं, 363 दर्शन और 64 कलाएं वर्णित हैं। इसमें अनेक विलुप्त और अप्राप्त प्राचीन ग्रन्थ गर्भित हैं। पता- ‘अनुप्रेक्षा’, 22/2, रामगंज, जिन्सी, इन्दौर म.प्र. (भारत), मो. 919826091247, ई-मेल- mkjainmanuj@yahoo.com
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स्वस्थता के रहस्य पुस्तक में व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा बलिष्ट कैसे रहे इस विषय में तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं। इसमें व्यक्ति की दैनिक चर्या से लेकर स्वास्थ्य
स्वस्थता के रहस्य पुस्तक में व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा बलिष्ट कैसे रहे इस विषय में तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं। इसमें व्यक्ति की दैनिक चर्या से लेकर स्वास्थ्य संबर्धक योगासन-मुद्रा, प्राणायाम, बैठकर करने योग्य आसन, खड़े होकर करने योग्य आसन, लेटकर करने योग्य आसन, उनसे रोग निवारण व लाभ, हस्तमुद्राएं और उनसे लाभ दिये गये हैं। मोटापा कैसे कम हो, कैसे चलें, बैठें, शयन करें, जीवनशक्ति क्या है, उसे कैसे बचायें, ब्रह्मचर्य और उसके लाभ, वीर्य और वीर्यवान का महत्व, बुरी लत से छुटकारा कैसे मिले, अपंग संतान क्यों होती है, नपुंसक होने के कारण क्या हैं, संतुलित आहार कैसा होना चाहिए, ऊर्जा का संचय कैसे करें आदि दिये गये हैं।
सिरिभूवलय आश्चर्यान्वित करदेने वाला तथा आज के वैज्ञानिकों को चुनौतीपूर्ण अद्भुत ग्रन्थ है। आठवीें-नवमी शताब्दी में दिगम्बर मुनि श्री कुमुदेन्दु द्वारा लिखा गया यह अपने
सिरिभूवलय आश्चर्यान्वित करदेने वाला तथा आज के वैज्ञानिकों को चुनौतीपूर्ण अद्भुत ग्रन्थ है। आठवीें-नवमी शताब्दी में दिगम्बर मुनि श्री कुमुदेन्दु द्वारा लिखा गया यह अपने आप में अनूठा ग्रन्थ मात्र अंकचक्रों में निबद्ध है। इसमें 1 से 64 तक के अंकों को लिया गया है। एक अंकचक्र में 27 खड़े कॉलम (Vertical) और 27 पडे़ कॉलम (Horizontal), इस तरह से कुल 729 खाने बनाये गये हैं, उनमें विशेषविधि से अंक लिखे गये हैं। इस तरह के कुल 1294 अंकचक्र हैं। जो हमें उपलब्ध हैं। अब से पहले तक 1270 अंकचक्रों की जानकारी थी। इन अंकचक्रों से कुल 21,134 सांगत्य पद्य निसृत होते हैं। सभी यन्त्रों के 1294 x 727 = 9, 43, 326 अक्षर हुए।
इसमें 59 अध्याय हैं + 29वाँ द्वितीय, श्रुतावतार और मंगल प्राभृत। इस तरह 62 अध्याय कह सकते हैं। ग्रन्थ के सम्पूर्ण उपलब्ध 1294 अंकचक्रों से अलग-अलग एंगिल से 70,096 अंकचक्र बनेंगे। इनके अक्षर 5, 10, 30, 000 होंगेे और उनसे लगभग 47, 25, 000 पद्य बनेंगे। किन्तु हमारी क्षमता केवल 16,000 अंकचक्र बनाने की है, जिनसे लगभग 9 लाख पद्य बनेंगे। इनसे समस्त द्वादशांग, 363 दर्शनों के सिद्धान्त, 64 कलाएँ (आर्ट एण्ड साइन्सेज), 718 भाषाएँ, विषय, घर्म, विज्ञान व्यवस्थित रूप से पूर्ण विवेचित होगा।
प्रस्तुत ग्रन्थ ‘अभिनव भूवलय’ प्रथम खण्ड, प्रस्तुतकर्ता के 22 वर्षों के श्रम का प्रसाद रूप है। इसके उपरान्त क्रमशः बाद के शेष खण्ड प्रकाशित करने की भावना है। जो इस खण्ड को आत्मसात् कर लेगा वह ग्रन्थ वह शेष खण्डों में दी जाने वाली सिरि भूवलय की जटिलताओं को समझ सकेगा।
प्रस्तुत वास्तुशास्त्र की किताब बहुत शोध एवं प्रयोग कर लिखी गई है। 300 से अधिक अखबारों ने इसके आलेख प्रकाशित किये हैं। इसमें दी गई सलाह और सुधार करने से व्यक्ति शीघ्र प्रोग्रेस क
प्रस्तुत वास्तुशास्त्र की किताब बहुत शोध एवं प्रयोग कर लिखी गई है। 300 से अधिक अखबारों ने इसके आलेख प्रकाशित किये हैं। इसमें दी गई सलाह और सुधार करने से व्यक्ति शीघ्र प्रोग्रेस कर सकता है और अपने भवन से संबन्धित परेशानियों से छुटकारा पा सकता है। इसमें अधिकतर ऐसे उपाय दिये हैं जिससे मकान की तोड़ फोड़ के बिना वास्तु दोषों का निवारण किया जा सकता है। नये या पुराने फ्लैट या मकानों, दुकान, फैक्टरी आदि सभी को ठीक रखने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है। इस पुस्तक का लेखक स्वयं वास्तुशास्त्री है तथा वास्तुशांति का विशेषज्ञ भी है।
हस्त-मुद्रा योग शरीर को स्वस्थ रखने और स्वस्थ करने के लिए बहुत ही सरल चिकित्सा पद्धति है, जिसमें व्यक्ति को केवल एकाग्र बैठकर अपने हाथों की अंगुलियों के सहयोग से विभिन्न मुद्रा
हस्त-मुद्रा योग शरीर को स्वस्थ रखने और स्वस्थ करने के लिए बहुत ही सरल चिकित्सा पद्धति है, जिसमें व्यक्ति को केवल एकाग्र बैठकर अपने हाथों की अंगुलियों के सहयोग से विभिन्न मुद्राएं-आकार बनाना होते हैं। जिसे जो परेशानी-व्याधि हो उसके अनुकूल इस ‘हस्त-मुद्रा चिकित्सा शास्त्र’ पुस्तक में निर्दिष्ट मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। यह अपने घर बैठे बिना किसी खर्च के अत्यंत सरल पद्धति है। इससे अनेक असाध्य रोगों में भी आराम मिलता है। इस पुस्तक में हस्त मुद्रा बनाने के लिए प्रत्येक मुद्रा के लिए आकर-चित्र दिया गया है जिसे देखकर वह मुद्रा बनाने में हमें कठिनाई नहीं होगी। मुद्रा के विवरण में मुद्रा-आकार बनाने की विधि दी गई है, कैसे और कितने समय तक करना है, कब करना है यह जानकारी तथा हस्त-मुद्रा योग करने में क्या सावधानियां वरतना हैं यह और असावधानी करेंगे तो उससे क्या हानि हो सकती है यह भी बताया गया है। स्वस्थ व्यक्ति को रोग न हो इस हेतु और अस्वस्थ व्यक्ति का रोग खत्म हो जाये इसलिए हस्त-मुद्रा योग करना चाहिए, अतः यह सभी व्यक्तियों के लिए उपयोगी है।
जैनाचार विज्ञान में व्यक्ति की जीवन पद्धति को आघुनिक शब्दावली में वैज्ञानिक रीति से समझाया गया है। यह कृति आघुनिक समाज विशेषतः युवावर्ग के लिए अत्यन्त उपयोगी है। लेखक ने युवा
जैनाचार विज्ञान में व्यक्ति की जीवन पद्धति को आघुनिक शब्दावली में वैज्ञानिक रीति से समझाया गया है। यह कृति आघुनिक समाज विशेषतः युवावर्ग के लिए अत्यन्त उपयोगी है। लेखक ने युवाआंे के मन में उठने वाली विविघ शंकाओं कुशंकाओं, प्रश्न-प्रतिप्रश्नों को वैज्ञानिक तथ्यों के आलोक में विवेचित कर शास्त्रों की मान्यताओं को पूर्वाग्रह रहित होकर पुष्ट किया है। इस कृति के कुछ प्रमुख विषय इस प्रकार हैं- अध्यात्म और विज्ञान, कब जागें? चिन्तन का प्रभाव, योग के आठ अंग, दर्शन कैसे एवं क्यों करें? मूर्ति का वैज्ञानिक महत्व एवं प्रभाव, पूजन क्यों और कैसे? दीपक से ही आरती क्यों? दिगम्बर साघु की जानकारी, रात्रि भोजन क्यों नहीं? मूड क्यों बिगड़ता है? कैसा हो नजरिया? तैयारी काॅलेज की आदि।
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