ये कहानी दो अधूरे किरदारों का है।जो पन्नो की कश्मकश में । लेखक को अधूरी ही कहानी दे पाते है।रोते है तड़पते पर शुकून की तलाश में भटकते है।जब ये एहसाह होता है।कि शुकून एक दूसरे मे
ये कहानी दो अधूरे किरदारों का है।जो पन्नो की कश्मकश में । लेखक को अधूरी ही कहानी दे पाते है।रोते है तड़पते पर शुकून की तलाश में भटकते है।जब ये एहसाह होता है।कि शुकून एक दूसरे मे
मेरे दोस्त की ये कहानीमैं उसकी डायरी से लिख रहा हूं।जब वो दिल्ली जाने वाला था तो मुझे उसने एक सन्दूक दिया और सम्भाल Read More...