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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
This book contains the entire knowledge of ancient Indian sages which is almost forgotten today. This book contains the essence of the knowledge of Vatsayana, Kokkapandit, Bhritahari, and almost all the scholars who have done the most in-depth study on sex science.
This book contains the entire knowledge of ancient Indian sages which is almost forgotten today. This book contains the essence of the knowledge of Vatsayana, Kokkapandit, Bhritahari, and almost all the scholars who have done the most in-depth study on sex science.
आकाश शुक्ला द्वारा संकलित कुछ खूबसूरत ग़ज़लें इस पुस्तक में समाहित हैं दिल को छू लेने वाले अल्फ़ाज से सजी हुई ग़ज़लें, जो ना सिर्फ अहसास जागाती हैं बल्कि आपके दिल को सुकून भी पहुँचाती
आकाश शुक्ला द्वारा संकलित कुछ खूबसूरत ग़ज़लें इस पुस्तक में समाहित हैं दिल को छू लेने वाले अल्फ़ाज से सजी हुई ग़ज़लें, जो ना सिर्फ अहसास जागाती हैं बल्कि आपके दिल को सुकून भी पहुँचाती हैं इन ग़ज़लों की संवेदना आपके दिल और दिमाग में गहरे उतर कर आपकी भावनाओं को सहला कर एक आत्मीय क्षण में आपकों खींच ले जाती हैं जहाँ आप आकाश शुक्ला की कलम के जादू को महसूस भी करेंगें और अपनी खुद की भावनाओं को कागज़पर उतरा हुआ पायेंगें।
मनस्मिता, जिसका अर्थ है मन ही मन मुस्कुराते रहने वाली। भाग्य उस पर मुस्कुराता रहा और वो अपने भाग्य पर। पर मनस्मिता जैसी धैर्यवान स्त्रियों के दम पर ही प्यार टिका है जिन्हें सम
मनस्मिता, जिसका अर्थ है मन ही मन मुस्कुराते रहने वाली। भाग्य उस पर मुस्कुराता रहा और वो अपने भाग्य पर। पर मनस्मिता जैसी धैर्यवान स्त्रियों के दम पर ही प्यार टिका है जिन्हें समाज की मर्यादाओं में अपने प्यार और अपनी भावनाओं को कुचल कर जीना पड़ता है। वैसे तो स्त्रियाँ प्यार संबंधी निर्णय में बेहद जिद्दी होतीं हैं पर जब वे समझौते कर लेती हैं तो फिर निभाती भी हैं। मनस्मिता, जिसका जीवन एक दीपक था जिसके उजाले में पहले तो एक नौजवान का बुझा हुआ दिल आलोकित रहा, और उसके बाद पति का दम्भ सिर पटकता रहा। वह उन दो ही पुरुषों को जानती थी- एक उसका प्यार रहा, एक उसका पति-परमेश्वर। उसने दोनों को अपने जीवन का अमृत बाँटा और दोनों के जीवन का विष पीती चली गई। वह किसी की होकर जीना चाहती थी और इस अरमान को उसने पूरा कर दिखाया। नारी की वेबसी, त्याग, और प्रणय से परिपूर्ण मार्मिक कथानक।
यह उपन्यास 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल की एक औद्योगिक इकाई-यूनियन कार्बाइड में हुए भीषण गैस कांड को ध्यान में रखकर लिखा गया है । उपन्यास के कथानक में
यह उपन्यास 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल की एक औद्योगिक इकाई-यूनियन कार्बाइड में हुए भीषण गैस कांड को ध्यान में रखकर लिखा गया है । उपन्यास के कथानक में वर्णित अधिकाँश पात्र उस औद्योगिक इकाई के आसपास बसी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो उस गैस दुर्घटना का शिकार हुए एंव जिन्होंने उस कथित रासायनिक दुर्घटना के प्रभावों को झेला व भोगा । उपन्यास में उन झुग्गी-झोपड़ियों या गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की बोलचाल व जीवनशैली की मूल भावना को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने की भरसक कोशिश की गई है । ऐसे में, हो सकता है पात्रों द्वारा बोले गए कुछ वाक्य य शब्द पाठकों को अश्लील या अमर्यादित लगें । पर ऐसे पात्रों की सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि एवं उनकी व्यक्तिगत आदतों एवं रूचियों को ध्यान में रखकर उनके द्वारा उद्धरित शब्दों को जानबूझकर ज्यों-का-त्यों रखा गया है ताकि उनकी चरित्रगत विशेषतायें निष्कलंक, स्पष्ट व यथार्थ रूप रहें । अतः उपन्यास के उन अंशों को कथानक के समग्र प्रभाव के आधार पर जाचाँ जाना उचित होगा ।
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