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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरविकांत सिंह ने इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री के बाद कुछ दिन नौकरी की और फिर भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) इंदौर से प्रबंधं की डिग्री प्राप्त की। उनका हमेशा से कुछ न कुछ लिखने का मन करता रहता था। तो उन्होंने निर्णय किया किRead More...
रविकांत सिंह ने इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री के बाद कुछ दिन नौकरी की और फिर भारतीय प्रबंध संस्थान
(आईआईएम) इंदौर से प्रबंधं की डिग्री प्राप्त की। उनका हमेशा से कुछ न कुछ लिखने का मन करता रहता था। तो उन्होंने निर्णय किया कि अपने ऊपर ही कुछ लिखा जाए। इस प्रकार एक नए लेखक का जन्म हुआ। जब भी उन्हें अपनी नौकरी से कुछ फुर्सत मिलती तो वो कविता लिख डालते। उसमें व्यंग और तुकबंदी का छौंक लगाकर रेसिपी तैयार कर देते हैं।
रवि मूलतः सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। स्कूली शिक्षा वहीं के इन्फेंट जीसस स्कूल और सहारनपुर पब्लिक स्कूल से पूरी की। आजकल मानेसर ,गुरुग्राम में प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग हेड के रूप में कार्यरत हैं।
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हम अक्सर अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में झूझते रहते हैं। कभी अपनी परिस्थिति को तो कभी अपने आसपास के लोगो को कोस लेते हैं। महानगरों में तो हालत और भी विचित्र और जटिल हैं। मुझे यकीन है
हम अक्सर अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में झूझते रहते हैं। कभी अपनी परिस्थिति को तो कभी अपने आसपास के लोगो को कोस लेते हैं। महानगरों में तो हालत और भी विचित्र और जटिल हैं। मुझे यकीन हैं आपने जरूर ऑफिस जाते लोग देखे होंगे। सुबह की भागदौड़ ,बस ,ऑटो ,मैट्रो में भरे हुए लोग। हर कोई बहुत ज्यादा सीरियस। अपने में खोया हुआ,परेशान सा। अब अगर इसी स्थिति को हटकर देखें जिसमें कुछ हँसी के पल नज़र आये। कुछ व्यंग के रंग भरे हो तो नज़ारा ही कुछ और हो जाता है। यह संकलन उन सभी घटनाओं और कुंठाओं को एक दूसरे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना का प्रयास हैं। क्यों न हम ख़ुद पर हँसे और दूसरे को भी मौका दें कि वो कोसने कि बजाए मुस्कुराये। यह सब कविताएँ वैसे तो काल्पनिक हैं पर जीवन से थोड़ी बहुत प्रेरित ज़रूर है ।
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