आपके शरीर का जन्म कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में हुआ था। बाल्यावस्था ननिहाल में व्यतीत हुई। वहीं पर कुछ शिक्षा प्राप्त की। आरम्भ से ही आपके हृदय में ग्रामीण देवी देवताओं के प्रति
मानव मात्र को अपने व्यक्तिगत कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य ही वस्तुतः सत्साहित्य है। आज अनेकों धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों के होते
मानव मात्र को अपने व्यक्तिगत कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य ही वस्तुतः सत्साहित्य है। आज अनेकों धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों के होते
मानव मात्र को अपने व्यक्तिगत कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य ही वस्तुतः सत्साहित्य है। आज अनेकों धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों के होते
मानव मात्र को अपने व्यक्तिगत कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य ही वस्तुतः सत्साहित्य है। आज अनेकों धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों के होते
मानव मात्र को अपने व्यक्तिगत कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य ही वस्तुतः सत्साहित्य है। आज अनेकों धार्मिक एवं आध्यात्मिक ग्रंथों के होते
साधु वेश में पथिक का परिचय (संक्षिप्त)
आपके शरीर का जन्म कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में भारद्वाज गोत्रीय त्रिवेदी परिवार में १५ जनवरी १६०६ माघ कृष्ण अष्टमी को ग्राम बकेवर जिला