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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palauthor, reader, writer, advocateRead More...
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प्रोविजनल कुल्लियात, एक संग्रह है बरबाद के चुनिंदा नज्मों, शेरो, कविताओं और गज़लों का जो लिखे गये है अपने ही बेबाक अंदाज में।
प्रोविजनल कुल्लियात, एक संग्रह है बरबाद के चुनिंदा नज्मों, शेरो, कविताओं और गज़लों का जो लिखे गये है अपने ही बेबाक अंदाज में।
कोराना काल के समाप्त होने के साथ ही उस घर से निकली तीन लाशें, जिनमें दो बुजुर्ग तथा एक अधेड़ की जिन्दा लाश थी। यह कहानी है गुड़गांव के एक रईस इलाके की। कौन थे वो तीनों लोग, क्या रिश्
कोराना काल के समाप्त होने के साथ ही उस घर से निकली तीन लाशें, जिनमें दो बुजुर्ग तथा एक अधेड़ की जिन्दा लाश थी। यह कहानी है गुड़गांव के एक रईस इलाके की। कौन थे वो तीनों लोग, क्या रिश्ता था उनका आपस में, कैसे हुई उनकी मौत, क्या उनकी मौत मृत्यु थी या हत्या या साजिश और जिन्दा लाश से क्या मतलब है?
कहते है, मोहब्बत नहीं देखती है अमीरी और गरीबी मगर मोहब्बत करने वालों के ईर्दगिर्द ये बात हमेशा घूमती ही रहती है। मोहब्बत में आदमी किस हद तक जा सकता है, उसी का सारांश है यह किताब।
कहते है, मोहब्बत नहीं देखती है अमीरी और गरीबी मगर मोहब्बत करने वालों के ईर्दगिर्द ये बात हमेशा घूमती ही रहती है। मोहब्बत में आदमी किस हद तक जा सकता है, उसी का सारांश है यह किताब।
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