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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palराकेश 'शम्स' कवि एवं साहित्यकार गत 20 वर्षों से लिख रहे हैं। ये जिलाधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ सहायक पद से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हुए हैं। ये एटा (उ.प्र) के निवासी हैं। इन्हें गीत, गज़ल, छंद, छंदमुक्त आदि विभिन्न विधाओं में लिखना पसंद Read More...
राकेश 'शम्स' कवि एवं साहित्यकार गत 20 वर्षों से लिख रहे हैं। ये जिलाधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ सहायक पद से वर्ष 2016 में सेवानिवृत्त हुए हैं। ये एटा (उ.प्र) के निवासी हैं। इन्हें गीत, गज़ल, छंद, छंदमुक्त आदि विभिन्न विधाओं में लिखना पसंद हैं। इनकी दो पुस्तकें व अनेकों रचनाएँ व लेख विभिन्न साझा संकलनों, पत्र, पत्रिकाओं में अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। अनेकों सम्मान भी मिले हैंं।
मोबाइल नंबर - 9412282788
यह छंद काव्य संग्रह ‘‘रोम-रोम राम’’ छंद विधान की विभिन्न विधाओं का एक ऐसा सुमनगुच्छ है, जिसमें छंद विधान की उन विधाओं पर विशेष बल दिया गया है, जो वर्तमान में सामान्य रूप से प
यह छंद काव्य संग्रह ‘‘रोम-रोम राम’’ छंद विधान की विभिन्न विधाओं का एक ऐसा सुमनगुच्छ है, जिसमें छंद विधान की उन विधाओं पर विशेष बल दिया गया है, जो वर्तमान में सामान्य रूप से प्रचलित हैं अथवा कुछ प्रचलित ऐसी विधाएँ जो प्राचीन हैं, किन्तु लुप्त प्रायः होती जा रही हैं, और रुचिकर हैं, जैसे-- अमीर खुसरों की काव्य विधा कहमुकरी हो अथवा सरसी छंद पर आधारित जोगीरा। रचनाकार द्वारा उक्त छंद संग्रह में मनहरण घनाक्षरी छंद, रूप घनाक्षरी, कुण्डलिया छंद, कुण्डलिनी छंद, माहिया छंद, हायकु, सेदोका (जापानी, छंद विधा) सायली छंद, कह मुकरी छंद, सवैया छंद, चैपाई छंद, दोहा छंद का समावेश करते हुये जीवन के विभिन्न आयामों पर चिंतन मनन करते हुये अपनी विचार तरंगो को अनंत सोपान चढ़ाते हुये गहन अध्ययन का परिचय दिया है। समसामयिक विषयों से लेकर जिजीविषा से सम्बन्धित सरोकार समेटे तथ्यो को उकेरते हुये छंद विधा मे पद्य रचकर अपनी काव्य प्रतिभा से हम सभी को सहजता से परिचित कराया है। इस छंद काव्य संग्रह में छंद की जिन विधाओं पर प्रयोग किया गया है, यथा सम्भव उन विधाओं का संक्षिप्त विधान भी प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों के लिए रुचिकर व नवोदितों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
‘‘नदी के दो किनारे’’ मुक्तकों का एक चुना हुआ गुलदस्ता है। यह समाज के लिए अधिक उपयुक्त सिद्ध होगा क्योंकि इसमें उत्तरोत्तर दृश्यों द्वारा संगठित पूर्ण जीवन या उसके किसी प
‘‘नदी के दो किनारे’’ मुक्तकों का एक चुना हुआ गुलदस्ता है। यह समाज के लिए अधिक उपयुक्त सिद्ध होगा क्योंकि इसमें उत्तरोत्तर दृश्यों द्वारा संगठित पूर्ण जीवन या उसके किसी पूर्ण अंग का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि प्रत्येक मुक्तक में एक रमणीय खण्ड-दृश्य को इस प्रकार सहसा सामने लाकर प्रस्तुत कर दिया गया है कि पाठक या श्रोता कुछ क्षणों के लिए मंत्रमुग्ध-सा हो जाता है। इसीलिए मुक्तकों का प्रयोग मंचों पर भी किया जाता रहा है। इसके लिए कवि ने मनोरम वस्तुओं और व्यापारों का एक छोटा स्तवक कल्पित करते हुए उन्हें अत्यंत संक्षिप्त और सशक्त भाषा में प्रदर्शित करके प्रस्तुत किया है। उन्मुक्त लयों में निबद्ध इन मुक्तकों में कवि ने विविध वर्णी विषयों का संवेदनात्मक प्रभावशाली प्रतिपादन किया है, जो पाठक के हृदय-तल तक सीधे उतरता चला जाता है। इन मारक मुक्तकों में शैल्पिक अनुबंध के ऊपर अभिव्यक्ति की प्रभविष्णुता का वर्चस्व सहजता से देखा जा सकता है। कवि की शैली सदैव संवेदनशील रही, संवेदना की सिहरन ही इनकी रचनाएँ हैं शब्द व्यंजना एवं व्याकरण की कसौटी पर खरी उतरने वाली रचनाएँ सदैव समाज और साहित्य को देश को आलोकित करेंगी। यह बहुआयामी और इन्द्रधनुषी मुक्तक काव्य संग्रह ‘‘नदी के दो किनारे’’ पाठकों को शब्द और भावों के सुरभित आनन्द कानन में विहार कराने में पूर्ण सफल रहेगा।
ग़ज़ल संग्रह ‘‘ख़ूनी प्यास का पत्थर’’ में शायर अपने अशआर में कभी महबूब की प्रशंसा करते नजर आता है, तो कभी समाज से कुरीतियाँ मिटाने के लिए शिक्षक की भूमिका में खड़ा दिखाई देता ह
ग़ज़ल संग्रह ‘‘ख़ूनी प्यास का पत्थर’’ में शायर अपने अशआर में कभी महबूब की प्रशंसा करते नजर आता है, तो कभी समाज से कुरीतियाँ मिटाने के लिए शिक्षक की भूमिका में खड़ा दिखाई देता है। कभी कुत्सित राजनीति पर प्रहार करता है, तो कभी दीपक बनकर अँधेरों से लड़ने का प्रयास भी करता है। नायिका को रिझाने और मनाने के लिए शायर का नायक क्या-क्या कोशिशें नहीं करता। शायर नायिका के हुस्न की खुले दिल से तारीफ़ करता हैं। दोस्ती ऐसा लफ्ज है, जिसकी व्याख्या की जाए तो ग्रंथ लिखे जा सकते हैं, लेकिन अफ़सोस, आज इस रिश्ते ने अपने मानी खो दिए हैं। बाहरी चमक-दमक की ओर निरंतर भागते लोगों को अपने भीतर बढ़ते जाते अँधेरों की न कोई जानकारी है, न ही फ़िक्र। आज दोस्ती का मतलब दगाबाजी समझा जाने लगाहै। शायर ने अपनी ग़जलों में इस राज़ का पर्दाफ़ाश बखूबी किया है। शायर के तमाम अश्आर किसी की आवाज़ें हैं, जिन्होंने ग़ज़लों, नज़्मों का रूप धर लिया। वह तमाम आवाज़ें शायर के वजूद की गहराइयों से उभरी हैं। यह ग़ज़ल संग्रह निश्चित ही पाठकों को पसन्द आएगा।
छंदमुक्त विधा की इस कृति घुटता नहीं क्या दम? में अनेकानेक विशेषताएं आंख.मिचौनी की क्रीड़ा करती नजर आएँगी। शीर्षक के सामने आते ही रचनाकार की सामाजिक सरोकारों से जुड़ी दृष्टि का ध
छंदमुक्त विधा की इस कृति घुटता नहीं क्या दम? में अनेकानेक विशेषताएं आंख.मिचौनी की क्रीड़ा करती नजर आएँगी। शीर्षक के सामने आते ही रचनाकार की सामाजिक सरोकारों से जुड़ी दृष्टि का ध्वनि संकेत मिलना प्रारंभ हो जाता है। कृति में सामाजिक विसंगतियों और विडम्बनाओं के उल्लेख की आहट मिलने लगती है, क्रमशः जनवादी चेतना प्रकृति और पर्यावरण के प्रति लगाव, चिन्ता और चिन्तन समाज के दीन.हीन और शोषितजनों से जुड़ी संवेदनाएं, बढ़ते भ्रष्टाचार राजनीतिक क्षेत्र में तीव्रता से गिरते नैतिक मूल्य और आदर्शों को देखकर रचनाकार के मन में उत्पन्न होने वाला तीव्र आक्रोश समाज सुधार की उपदेशात्मक दृष्टि, आध्यात्मिक चिंतन दर्शन प्रेम तत्व के निरूपण सौंदर्य बोध के कोमल बिम्बो सहित अन्य अनेक विशेषताओं का एक सुगंधित गुलदस्ता प्रस्तुत करने का एक मात्र प्रयास है। जो पाठकों को पसन्द तो आएगा ही साथ ही पाठकों के लिए निश्चित ही शिक्षाप्रद भी साबित होगा।
प्रस्तुत गीत संग्रह ‘‘मेरे मन के वीराने में‘‘ गीतों केी भाव प्रवण संचेतना का सुन्दर-सा सुमनगुच्छ है जिसे पढ़कर पाठकों की चेतना विभिन्न भावुक सुरभित वीथियों में विचरण करन
प्रस्तुत गीत संग्रह ‘‘मेरे मन के वीराने में‘‘ गीतों केी भाव प्रवण संचेतना का सुन्दर-सा सुमनगुच्छ है जिसे पढ़कर पाठकों की चेतना विभिन्न भावुक सुरभित वीथियों में विचरण करने को विवश होती रहेगी ‘मन के वीराने में‘ भी अनेक सुरभित पुष्पित पल्लवित गीत वाटिकाएँ पाठकों को आनन्द विभोर कर देंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। कुछ गीत नैतिक और चारित्रक चेतना को उन्नत करने की प्रेरणा के प्रखर दस्तावेज हैं। कवि की सम्वेदना केवल जीवन के किसी पक्ष विशेष की बन्दी नहीं है, उसने देश के शत्रुओं को भी ललकारा है तो आस्था आयामों को भी आदर से नमन किया है। यह बहुआयामी और इन्द्रधनुशी गीत संग्रह “मेरे मन के वीराने में’’ पाठकों को वीराने में विचरण हेतु छोड़कर नहीं भागता, बल्कि शब्द और भावों के सुरभित आनन्द कानन में विहार कराता है।
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