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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalM. A. in Hindi and Sanskrit, M. Ed., she has over 20 years of work experience including working in publishing houses as well, wherein her job responsibilities included writing, editing, proof reading. For the last around 8 years, she has been working on a freelance basis wherein apart from writing her own books, she has been content writing for school level text books [Subject: Hindi]. Her poems have figured in 2 different magazines. Over 3 years ago, she had written a school level text book on Hindi grammar. She wishes to continue adding to her knowledge and pursuing her interest in writing.Read More...
M. A. in Hindi and Sanskrit, M. Ed., she has over 20 years of work experience including working in publishing houses as well, wherein her job responsibilities included writing, editing, proof reading. For the last around 8 years, she has been working on a freelance basis wherein apart from writing her own books, she has been content writing for school level text books [Subject: Hindi]. Her poems have figured in 2 different magazines. Over 3 years ago, she had written a school level text book on Hindi grammar. She wishes to continue adding to her knowledge and pursuing her interest in writing.
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आदिकाल से ही हिंदी में मुहावरों-सूक्तियों की एक लंबी, प्रभावोत्पादक, समृद्ध परंपरा का चलन रहा है। भाषा को रोचक, मजेदार और आकर्षक बनाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। मुहावरे-सू
आदिकाल से ही हिंदी में मुहावरों-सूक्तियों की एक लंबी, प्रभावोत्पादक, समृद्ध परंपरा का चलन रहा है। भाषा को रोचक, मजेदार और आकर्षक बनाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। मुहावरे-सूक्तियाँ सुनना-पढ़ना सभी को मनभावक लगता है।
मुहावरे जहाँ बात कहने का एक विशिष्ट प्रकार हैं, वहीं सूक्तियाँ अच्छे-बुरे का, शाश्वत जीवन-मूल्यों का बोध करवाती हैं।
मेरी इस पुस्तक में शरीर पर आधारित मुहावरों और संस्कृत सूक्तियों के हिंदी अर्थों से सजे सुंदर गुलदस्ते को सरल-सरस भाषा में इस तरह से समाहित किया गया है जिससे उन्हें सहजता-सरलता से हरेक आयुवर्ग के लोगों द्वारा आत्मसात किया जा सके।
कविताएँ-गीत गुनगुनाना हरेक के मन को भाता है। कविता बुनना भी एक कला है, जिसमें शब्दों के उचित समायोजन और निरंतर अभ्यास से दक्षता प्राप्त की जा सकती है। इसी उद्देश्य को ध्यान रखते
कविताएँ-गीत गुनगुनाना हरेक के मन को भाता है। कविता बुनना भी एक कला है, जिसमें शब्दों के उचित समायोजन और निरंतर अभ्यास से दक्षता प्राप्त की जा सकती है। इसी उद्देश्य को ध्यान रखते हुए मैंने चालीस कविताओं का यह लघु-संकलन तैयार किया है।
सुंदर कवितारूपी यह गुलदस्ता विशेष रूप से बच्चों के लिए तैयार किया किया है। जिनमें विविध जीवनोपयोगी, पे्ररणादायक रोचक विषयों को इस तरह से समाहित किया गया है, जिससे खेल-खेल में उन्हें अच्छी तरह से आत्मसात किया जा सके।
प्राचीन समय से ही कहानी सुनने-सुनाने की एक अद्भुत परंपरा रही है। कहानियाँ सुनना-सुनाना हरेक को मनभावक लगता है। टेलीविजन, मोबाइल, कंप्यूटर भी इनकी लोकप्रियता को कम नहीं कर पाए है
प्राचीन समय से ही कहानी सुनने-सुनाने की एक अद्भुत परंपरा रही है। कहानियाँ सुनना-सुनाना हरेक को मनभावक लगता है। टेलीविजन, मोबाइल, कंप्यूटर भी इनकी लोकप्रियता को कम नहीं कर पाए हैं। ई-बुक्स और पुस्तक मेलों में दिनोदिन बढ़ती भीड़ इसका प्रमाण हैं। कहानियाँ जीवनोपयोगी षिक्षा देने के साथ-साथ तर्कबुद्धि का भी विकास करती हैं। कहानियाँ सहज रूप से ही हमारे अंदर रची-बसी हुई हैं। कविताओं की तरह कहानी बुनना भी एक कला है, जिसमें शब्दों के उचित समायोजन और निरंतर अभ्यास से ही निपुणता प्राप्त की जा सकती है। इसी उद्देष्य को ध्यान में रखते हुए मैंने कहानियों का यह लघु संकलन तैयार किया है।
सुंदर कहानियों रूपी इस गुलदस्ते में विविध जीवनोपयोगी, पे्ररणादायक, रोचक विषयों को सरल-सरस भाषा में इस तरह से समाहित किया गया है, जिससे उन्हें सहजता-सुगमता से आत्मसात किया जा सके।
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