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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDr. Ashok Banga is a pediatrician with 4 decades of experience treating patients and observing the plight of the public in various medical conditions, ranging from avoidable, to preventable, to downright insufferable. He believes that the true work of a doctor lies in educating the patients and he delights in helping them understand complex medical conditions with ease. Doing this effectively requires turning complex medical science into simple advice that anyone can understand and apply. He has honed this ability as a consultant pediatrician, a national leader in pediatric organizations, an Read More...
Dr. Ashok Banga is a pediatrician with 4 decades of experience treating patients and observing the plight of the public in various medical conditions, ranging from avoidable, to preventable, to downright insufferable.
He believes that the true work of a doctor lies in educating the patients and he delights in helping them understand complex medical conditions with ease. Doing this effectively requires turning complex medical science into simple advice that anyone can understand and apply.
He has honed this ability as a consultant pediatrician, a national leader in pediatric organizations, an inventor with a national prize from NRDC, a writer of 4 medical books and chapter contributor to several others, an editor for Indian Academy of Pediatrics (IAP) publications and as a top-writer (2018) for Quora where his answers on rabies, tetanus, other infectious diseases and other topics have garnered over 7.5 million views.
Read Less...Achievements
सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सब-कुछ सर्वश्रेष्ठ मिले और वे स्वस्थ, सफल और सुखी व्यक्ति बनें। वे इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, बहुत
सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सब-कुछ सर्वश्रेष्ठ मिले और वे स्वस्थ, सफल और सुखी व्यक्ति बनें। वे इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, बहुत त्याग भी, फिर भी उन्हें लगता रहता है कि वे माता-पिता के रूप में बहुत अच्छे नहीं सिद्ध हुए। अधिकांश माता-पिता दूसरे खुशहाल परिवारों से ईर्ष्या करते हैं और पालन-पोषण में जिसे वे सफलता मानते हैं, उसके लिए फार्मूला खोजते रहते हैं।
यहां मुद्दा यह है कि अच्छे पालन-पोषण के लिए कोई औपचारिक शिक्षा और प्रशिक्षण नहीं होता। हम अधिकतर वही करते हैं जो हमारे माता-पिता हमारे साथ करते थे। हमने कभी इस बात पर विचार नहीं किया कि पालन-पोषण एक ऐसा कौशल है, जिसे सीखकर हम अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकते हैं। पर यह कौशल हम सीखें किस् से?
अच्छा पालन-पोषण न केवल एक बच्चे को बेहतर बनाना है, बल्कि एक प्रोडक्शन लाइन को बेहतर बनाना है जिसके लाभ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलेंगे।
भले ही हम आदर्श न बन सके, कम से कम बेहतर माता-पिता तो बन सकते हैं। इसके लिए हमें अपने पालन-पोषण के अच्छे और कमजोर बिंदुओं को देखना होगा, विभिन्न पालन-पोषण शैलियों को जानना होगा, और क्या सुधार किया जा सकता है और इसे कैसे करना है यह सीखना होगा। आपको आश्चर्य होगा कि इनमें से अधिकतर सुधार संभव भी हैं।
इस क्षेत्र में शोध और प्रकाशन के मामले में पश्चिमी देश हमसे कहीं आगे हैं। 140 करोड़ के देश के लिए हमारे पास इस संबंध में न तो प्रशिक्षण सुविधाएं हैं और न ही कोई मार्गदर्शन करने वाला। उसके विकसित होने तक हम साहित्य के माध्यम से कुछ अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हिंदी में इस विषय पर किताबें न के बराबर हैं।
इसी विषय-वस्तु के साथ हिन्दी-भाषी पाठकों के लिए प्रस्तुत है अनुभवी लेखक-द्वय द्वारा यह पुस्तक।
यह पुस्तक विज्ञान की जीत के विषय में है, फिर भी हम कैसे भूलें, जरूरतमंदों तक इसका लाभ पहुंचाने में हमारी प्रणाली की विफलता, जो साल दर साल 55000 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है? रेबीज
यह पुस्तक विज्ञान की जीत के विषय में है, फिर भी हम कैसे भूलें, जरूरतमंदों तक इसका लाभ पहुंचाने में हमारी प्रणाली की विफलता, जो साल दर साल 55000 से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है? रेबीज से अब कोई जान क्यों जाए, जब हमारे पास जीवन की रक्षा के सभी साधन हैं? विकसित देशों ने भले ही रैबीज से काफी हद तक छुटकारा पा लिया हो लेकिन विकासशील देश अभी भी पीड़ित हैं।
यह सच है कि रेबीज एक निश्चित मौत की सजा है लेकिन साथ ही यह भी याद रहे कि यह 100 प्रतिशत रोकथाम योग्य बीमारी है।
यह पुस्तक उन सभी सवालों के जवाब देने के लिए है जो किसी रेबीज आशंकित के मन में आते हैं जब कोई संतोषजनक जवाब देने वाला नहीं मिलता, जिससे घबराहट और यहां तक कि मानसिक समस्याएं भी हो जाती हैं। यहां तक कि कई स्वास्थ्यकर्मी भी नवीनतम सिफारिशों से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक रोगी की अपनी अनूठी स्थिति होती है। लोग सोशल मीडिया में जवाब खोजते हैं और भ्रमित हो जाते हैं। आधी-अधूरी और प्राय: भ्रामक जानकारी अति आवश्यक होने पर सरल प्रबंधन को भी विलंबित और जटिल बना सकती है। प्रत्येक रेबीज मृत्यु हमारे ज्ञान और हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की विफलता है।
लेखक, जो इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ज्ञान-साझाकरण मंच- 'क्वोरा' पर कई वर्षों से सवालों के जवाब देते आ रहे हैं, ने पूरे विषय को बहुत आसान, दिलचस्प, बिंदु से बिंदु, और बिना किसी अकादमिक बाजीगरी के समझाया है। यह पुस्तक सरल भाषा में बहुत अच्छे से समझाती है कि अब रेबीज से हर जान बचाई जा सकती है, जब हमारे पास सभी साधन उपलब्ध हैं।
This book is about the victory of science, and yet, the failure of our system to deliver its benefits to the needy, causing more than 55,000 deaths year after year due to rabies.
Why should someone die of rabies when we have all the means to protect each life? Why do developing countries still suffer when developed countries have largely eliminated the disease?
Although rabies is incurable, and once contracted equals to a death sentence, it can
This book is about the victory of science, and yet, the failure of our system to deliver its benefits to the needy, causing more than 55,000 deaths year after year due to rabies.
Why should someone die of rabies when we have all the means to protect each life? Why do developing countries still suffer when developed countries have largely eliminated the disease?
Although rabies is incurable, and once contracted equals to a death sentence, it can be effectively prevented with an inexpensive vaccine.
These questions, and many more, haunt those whose loved ones are exposed to rabies and yet cannot find clear answers, leading to panic and anxiety. Even medical professionals are not well versed with latest recommendations and methods for dealing with each patient’s unique condition. The abundance of half-baked and misleading information causes further confusion and mismanagement in a time when urgency is crucial. Each rabies death is a failure of our knowledge-sharing and health-care systems.
This book contains easy access to medically correct, evidence-based information to aid both doctors and patients in informed decision-making.
The author, a doctor and a top writer on Quora – the popular knowledge sharing platform – has made the whole subject easy to understand and interesting to read, with to-the-point answers and without academic jugglery.
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