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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDr. Joohi Samarpita is an eminent literary figure of Jharkhand who has several books to her credit. Read More...
Dr. Joohi Samarpita is an eminent literary figure of Jharkhand who has several books to her credit.
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स्व. उपेन्द्र नारायण सिन्हा एक स्वतन्त्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई थी. उनकी कविताएं उस दौर की दास्ताँ बयान करती हैं. इन कविताओं को उनकी सुपुत्री
स्व. उपेन्द्र नारायण सिन्हा एक स्वतन्त्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई थी. उनकी कविताएं उस दौर की दास्ताँ बयान करती हैं. इन कविताओं को उनकी सुपुत्री अनुभा वर्मा ने संकलित किया और डॉ जूही समर्पिता ने सम्पादित किया है।
'स्मृति शेष ' उपेन्द्र नारायण सिन्हा की अमर स्मृतियों का संकलन है जिसमें उनके परिजनों और आत्मीय मित्रों ने अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए हैं ।
३४ वर्षों बाद जब भारत की शिक्षा नीति में आमूल परिवर्तन हुआ तब शिक्षण क्षेत्र से जुड़े सभी ने इसका स्वागत किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० एक तरफ तो आशा की किरण जगाती है पर दूसरी त
३४ वर्षों बाद जब भारत की शिक्षा नीति में आमूल परिवर्तन हुआ तब शिक्षण क्षेत्र से जुड़े सभी ने इसका स्वागत किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० एक तरफ तो आशा की किरण जगाती है पर दूसरी तरफ इस से जुड़ी चुनौतियाँ भी इंगित करती हैं . शिक्षा नीतियों को फलीभूत करने का दायित्व भी शिक्षकों पर ही निर्भर करता है। डी बी एम एस कॉलेज के प्रबंधन एवं शिक्षकों ने इस पुस्तक में इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए समाधान ढूंढने की कोशिश की है. शिक्षाविदों के विचारों का यह संग्रह शिक्षा जगत में निश्चित रूप से अपनी छाप छोड़ेगा और इक्कीसवीं सदी में यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होगी।
'वल्लरी ' मुरलीधर श्रीवास्तव की प्रेम कविताओं का संग्रह है जिसे उन्होंने यौवन की दहलीज पर लिखी थी और झिझकते हुए प्रौढ़ उम्र में पहली बार प्रकाशित करवाया था। प्रथ
'वल्लरी ' मुरलीधर श्रीवास्तव की प्रेम कविताओं का संग्रह है जिसे उन्होंने यौवन की दहलीज पर लिखी थी और झिझकते हुए प्रौढ़ उम्र में पहली बार प्रकाशित करवाया था। प्रथम संस्करण के लगभग पचास वर्षों बाद इन कविताओं से गुजरते हुए पीढियों के अंतराल को समझा जा सकता है। इन कविताओं में प्रेम की अभिव्यिक्त को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया है उनकी पौत्री डॉ जूही समर्पिता ने। इन कविताओं में प्रेम प्रतीकात्मक है। प्यार छलकता है, अश्लीलता नहीं। वासनात्मक बिम्ब तक कहीं नहीं मिलते । टैगोर की 'गीतांजली' के अनुगायक मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर ' की यह कृति नयी कविता के दौर में क्लासिक की श्रेणी में रखी जा सकती है।
पौराणिक कथाओं के शोधकर्ता और विशेषज्ञों के लिए अनुपम उपहार है "मानस के स्त्री पात्र " . प्रबुद्ध , विद्वान लेखकों का यह गद्य संकलन रामचरितमानस के स्त्री पात्रों की जीवन गाथा
पौराणिक कथाओं के शोधकर्ता और विशेषज्ञों के लिए अनुपम उपहार है "मानस के स्त्री पात्र " . प्रबुद्ध , विद्वान लेखकों का यह गद्य संकलन रामचरितमानस के स्त्री पात्रों की जीवन गाथा जरूर है , परन्तु कथा संग्रह नहीं कहा जा सकता। । यह एक अद्भुत संकलन है जहां पहली बार राम चरितमानस के स्त्री पात्रों को आप एक साथ पढ़ेंगे और चिंतन मनन करेंगे।
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