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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन कभी एक लक्ष्य या मंज़िल के बारे में नहीं था, बल्कि यह पूरी तरह सफर के बारे में था। वो पल जो आपको कुछ महसूस कराते हैं। चाहे वह प्यार हो या गुस्सा, कवि ऋषभ तलरेजा हमेशा आपको उस सवाल के साथ छोड़ते हैं जिसका उत्तर आपको अपने आप में खोजनRead More...
जीवन कभी एक लक्ष्य या मंज़िल के बारे में नहीं था, बल्कि यह पूरी तरह सफर के बारे में था। वो पल जो आपको कुछ महसूस कराते हैं। चाहे वह प्यार हो या गुस्सा, कवि ऋषभ तलरेजा हमेशा आपको उस सवाल के साथ छोड़ते हैं जिसका उत्तर आपको अपने आप में खोजना होता है। दिल्ली में जन्म और पालन पोषण पाने वाले ऋषभ एक ऐसे लड़के हैं जिन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों में बैडमिंटन कोर्ट पर अपनी शांति पाई, जब वह भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप में खेलते थे, स्कूल से लेकर कॉलेज तक।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के एक पूर्व छात्र, ऋषभ ने बैचलर ऑफ कॉमर्स की पढ़ाई की, फिर जल्दी ही महसूस किया कि यह सब उसके लिए नहीं था।
ऋषभ ने अपनी मोहब्बत को सिनेमा, कहानियों, पात्रों और नाटक के प्रति महसूस किया। जब भी उसे मौका मिलता, वह टीवी उत्पादन सेट्स पर अपनी कविताएँ लिखने लगता था और जल्द ही उसने उस नौकरी को छोड़कर पूरे समय के लिए लेखक बनने का फैसला लिया।
उनकी कविताएँ सरल हैं और उनकी खूबसूरती इस तथ्य में है कि वे आपके दिल में एक किसी तार को छेड़ती है, जब आप इस पुस्तक को एक आसमानी और सुगम पढ़ाई देते हैं।
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क्यों है कविता पढ़ के हर बन्दे का राज़ी होना,
क्या ज़रूरी है हर शब्द का भारी होना?
क्यों चाहते हैं लोग हर कविता उनका दिल बहलाये?
क्या ज़रूरी है, हर कविता हर किसी को पसंद आये?
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क्यों है कविता पढ़ के हर बन्दे का राज़ी होना,
क्या ज़रूरी है हर शब्द का भारी होना?
क्यों चाहते हैं लोग हर कविता उनका दिल बहलाये?
क्या ज़रूरी है, हर कविता हर किसी को पसंद आये?
क्यों चाहते हैं लोग की कविता एक सुर में समाये?
क्या ज़रूरी है, कविता हर बार कोई मतलब समझाए?
क्यों हम कविता को खुल कर साँस नहीं लेने देते?
क्या ज़रूरी है, जो हर कविता पर हम अपना ज़ोर चलाये फिरते?
उड़ने दो कविता को,
खुलने दो उसके पर।
शब्दकोश पर मत जाओ,
कहीं कट ना जाए उसका सर।।
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