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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalSidhant is an amateur poet who also loves to experiment with pencil sketches. Over last 20 years his professional commitments have made him live in all four directions of India (Delhi, Mumbai, Kolkata, Chennai) and travel extensively in Asia. He believes that this exposure greatly shaped his sensibility.He understands the importance of self-esteem but, also values the virtue of not taking oneself too seriously, much like the title "Befikree" He is based in the U.S. for last few years and continues to work in the field of "People Development Practices" and "Strategy". Read More...
Sidhant is an amateur poet who also loves to experiment with pencil sketches. Over last 20 years his professional commitments have made him live in all four directions of India (Delhi, Mumbai, Kolkata, Chennai) and travel extensively in Asia. He believes that this exposure greatly shaped his sensibility.He understands the importance of self-esteem but, also values the virtue of not taking oneself too seriously, much like the title "Befikree"
He is based in the U.S. for last few years and continues to work in the field of "People Development Practices" and "Strategy".
Achievements
उर्दू ज़बान में ना मेरी तरबियत है और ना शायरी का ज़्यादा इल्म, बस इकतरफ़ा इश्क़ समझ लीजिए।
अगर आप इस ज़ुबान और इस फ़न की पकड़ रखते हैं तो मुआफ़ी चाहूँगा, आपको शायद मेरी कमज़ोरिय
उर्दू ज़बान में ना मेरी तरबियत है और ना शायरी का ज़्यादा इल्म, बस इकतरफ़ा इश्क़ समझ लीजिए।
अगर आप इस ज़ुबान और इस फ़न की पकड़ रखते हैं तो मुआफ़ी चाहूँगा, आपको शायद मेरी कमज़ोरियों साफ़ दिख जायें. मुझे मालूम है के कुछ ग़लत अल्फ़ाज़ या, बहरी ख़ामियाँ, पढ़ने का मज़ा किस हद तक ख़राब कर देती हैं मगर, मुझे ये भी यक़ीन है के कुछ एक शेर आपकी दाद के लायक़ ज़रूर होंगे. तो अगर हो सके तो थोड़ा वक़्त ज़ाया करियेगा इस किताब के साथ।
अगर आप मेरी तरह सिर्फ़ नज़्मों, ग़ज़लों के आशिक़ हैं. शेरो-शायरी का शौक़ रखते हैं, मगर अच्छे लिखने वालों से ज़्यादा मुलाक़ात नहीं हुई है, तो मुझे उम्मीद रहेगी के ये किताब आपको सफ़र का हौसला दे, वो सफ़र जो आपको मेरी इन कच्ची पंगडण्डियों से हो कर उन आलीशान रास्तों तक ले जाए, जहां सुख़न के असली जादूगर रहते हैं।
उर्दू ज़बान में ना मेरी तरबियत है और ना शायरी का ज़्यादा इल्म, बस इकतरफ़ा इश्क़ समझ लीजिए।
अगर आप इस ज़ुबान और इस फ़न की पकड़ रखते हैं तो मुआफ़ी चाहूँगा, आपको शायद मेरी कमज़ोरिय
उर्दू ज़बान में ना मेरी तरबियत है और ना शायरी का ज़्यादा इल्म, बस इकतरफ़ा इश्क़ समझ लीजिए।
अगर आप इस ज़ुबान और इस फ़न की पकड़ रखते हैं तो मुआफ़ी चाहूँगा, आपको शायद मेरी कमज़ोरियों साफ़ दिख जायें. मुझे मालूम है के कुछ ग़लत अल्फ़ाज़ या, बहरी ख़ामियाँ, पढ़ने का मज़ा किस हद तक ख़राब कर देती हैं मगर, मुझे ये भी यक़ीन है के कुछ एक शेर आपकी दाद के लायक़ ज़रूर होंगे. तो अगर हो सके तो थोड़ा वक़्त ज़ाया करियेगा इस किताब के साथ।
अगर आप मेरी तरह सिर्फ़ नज़्मों, ग़ज़लों के आशिक़ हैं. शेरो-शायरी का शौक़ रखते हैं, मगर अच्छे लिखने वालों से ज़्यादा मुलाक़ात नहीं हुई है, तो मुझे उम्मीद रहेगी के ये किताब आपको सफ़र का हौसला दे, वो सफ़र जो आपको मेरी इन कच्ची पंगडण्डियों से हो कर उन आलीशान रास्तों तक ले जाए, जहां सुख़न के असली जादूगर रहते हैं।
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