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Dr Bhupendra Singh [MBBS (KGMU, Lucknow), M.D. (MLNMC, Prayagraj)], born 29th December 1987, is a Clinical Hematologist in a private institute in Lucknow. He has authored 6 International research papers in reputed journals including a British medical journal. Apart from writing, he is also passionate about Folk Culture, Dharma, Philosophy and Science. Read More...
Dr Bhupendra Singh [MBBS (KGMU, Lucknow), M.D. (MLNMC, Prayagraj)], born 29th December 1987, is a Clinical Hematologist in a private institute in Lucknow. He has authored 6 International research papers in reputed journals including a British medical journal. Apart from writing, he is also passionate about Folk Culture, Dharma, Philosophy and Science.
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मनुष्य के जीवन की सार्थकता ज्ञान से है।
ज्ञान के लिए आवश्यक है विवेक, विवेक के लिए आवश्यक है कॉमन सेन्स और कॉमन सेन्स के लिए आवश्यक है तार्किक क्षमता।
महर्षि अक्षपाद गौतम
मनुष्य के जीवन की सार्थकता ज्ञान से है।
ज्ञान के लिए आवश्यक है विवेक, विवेक के लिए आवश्यक है कॉमन सेन्स और कॉमन सेन्स के लिए आवश्यक है तार्किक क्षमता।
महर्षि अक्षपाद गौतम द्वारा लिखित ''न्याय सूत्र'' मनुष्य के विवेचना शक्ति और कॉमन सेन्स का चरमोत्कर्ष है। महर्षि ने उसी कॉमन सेन्स से दुनिया के सबसे कठिनतम प्रश्नों जैसे पदार्थ, ऊर्जा, समय, आकाश, इन्द्रिय, मन, बुद्धि, ज्ञान, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्मफल एवं मोक्ष आदि का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है।
आधुनिक वैज्ञानिकों विशेषकर एर्विन श्रोडिंगर, आइंस्टाइन, हाइज़ेनबर्ग आदि ने भी बड़ी सहजता से इन कठिनतम प्रश्नों को गणितीय सूत्रों में पिरोया है, जिसका सैद्धांतिक आधार इस न्याय सूत्र में उपलब्ध है। यह कहना कतई उचित न होगा कि इन महानतम वैज्ञानिकों ने यह ज्ञान इन दर्शनों से अर्जित किया अपितु इन्होने अपने प्रयोगों एवं सिद्धांतों से इस दर्शन को समझने का एक नया वैज्ञानिक आधार अवश्य दिया है।
विभिन्न दर्शनों में न्याय दर्शन सबसे कठिन है। लेकिन यह पुस्तक अपने सरल भाषा एवं आधुनिक उदाहरणों के माध्यम से इसे सुबोध और सहज बनाती है। पश्चिम में इस दर्शन के तारतम्य में जो वैज्ञानिक विकास हुए हैं, उसे भी इस पुस्तक में उचित स्थान दिया गया है।
यह पुस्तक आपके अपने आत्मस्वरुप की यात्रा है, जिसे ठीक प्रकार से समझने के बाद संशय समाप्त होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन सार्थक होता है।
मनुष्य के जीवन की सार्थकता ज्ञान से है।
ज्ञान के लिए आवश्यक है विवेक, विवेक के लिए आवश्यक है कॉमन सेन्स और कॉमन सेन्स के लिए आवश्यक है तार्किक क्षमता।
महर्षि अक्षपाद गौतम
मनुष्य के जीवन की सार्थकता ज्ञान से है।
ज्ञान के लिए आवश्यक है विवेक, विवेक के लिए आवश्यक है कॉमन सेन्स और कॉमन सेन्स के लिए आवश्यक है तार्किक क्षमता।
महर्षि अक्षपाद गौतम द्वारा लिखित ''न्याय सूत्र'' मनुष्य के विवेचना शक्ति और कॉमन सेन्स का चरमोत्कर्ष है। महर्षि ने उसी कॉमन सेन्स से दुनिया के सबसे कठिनतम प्रश्नों जैसे पदार्थ, ऊर्जा, समय, आकाश, इन्द्रिय, मन, बुद्धि, ज्ञान, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्मफल एवं मोक्ष आदि का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है।
आधुनिक वैज्ञानिकों विशेषकर एर्विन श्रोडिंगर, आइंस्टाइन, हाइज़ेनबर्ग आदि ने भी बड़ी सहजता से इन कठिनतम प्रश्नों को गणितीय सूत्रों में पिरोया है, जिसका सैद्धांतिक आधार इस न्याय सूत्र में उपलब्ध है। यह कहना कतई उचित न होगा कि इन महानतम वैज्ञानिकों ने यह ज्ञान इन दर्शनों से अर्जित किया अपितु इन्होने अपने प्रयोगों एवं सिद्धांतों से इस दर्शन को समझने का एक नया वैज्ञानिक आधार अवश्य दिया है।
विभिन्न दर्शनों में न्याय दर्शन सबसे कठिन है। लेकिन यह पुस्तक अपने सरल भाषा एवं आधुनिक उदाहरणों के माध्यम से इसे सुबोध और सहज बनाती है। पश्चिम में इस दर्शन के तारतम्य में जो वैज्ञानिक विकास हुए हैं, उसे भी इस पुस्तक में उचित स्थान दिया गया है।
यह पुस्तक आपके अपने आत्मस्वरुप की यात्रा है, जिसे ठीक प्रकार से समझने के बाद संशय समाप्त होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन सार्थक होता है।
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