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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalEducation :Graduation from Allahabad Universty in 1991 in Modern History, Economics and Immunology. Post graduation in History, Journalism and mass communication Occupation : After the formation of the state of Uttarakhand, first batch of PCS passout in 2002, selected as district information officer for Haridwar. At present, assistant director in Department of Public relations and information in Dehradun Publication : ‘Meditation key navinaayam’ Awards :HonorisDiscosa from Vikramshila Hindi Vidyapeeth Bhagalpur with title ‘VidyaVachaspati’ Mob. : 9412074595 emailRead More...
Education :Graduation from Allahabad Universty in 1991 in Modern History, Economics and Immunology. Post graduation in History, Journalism and mass communication
Occupation : After the formation of the state of Uttarakhand, first batch of PCS passout in 2002, selected as district information officer for Haridwar. At present, assistant director in Department of Public relations and information in Dehradun
Publication : ‘Meditation key navinaayam’
Awards :HonorisDiscosa from Vikramshila Hindi Vidyapeeth Bhagalpur with title ‘VidyaVachaspati’
Mob. : 9412074595 email. : dio.hdr2010@gmail.com
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लिखते छपते अर्सा हो गया, लगभग पचास वर्ष। उम्र 85 पार हुई। कहानी और व्यंग्य मिलकर बारह किताबें प्रकाशित हो चुकीं। अभी तक थोड़ा बहुत लिखना ज़ारी है, यह प्रकृति की कृपा है।
लिखते छपते अर्सा हो गया, लगभग पचास वर्ष। उम्र 85 पार हुई। कहानी और व्यंग्य मिलकर बारह किताबें प्रकाशित हो चुकीं। अभी तक थोड़ा बहुत लिखना ज़ारी है, यह प्रकृति की कृपा है।
लिखते छपते अर्सा हो गया, लगभग पचास वर्ष। उम्र 85 पार हुई। कहानी और व्यंग्य मिलकर बारह किताबें प्रकाशित हो चुकीं। अभी तक थोड़ा बहुत लिखना ज़ारी है, यह प्रकृति की कृपा है।
लिखते छपते अर्सा हो गया, लगभग पचास वर्ष। उम्र 85 पार हुई। कहानी और व्यंग्य मिलकर बारह किताबें प्रकाशित हो चुकीं। अभी तक थोड़ा बहुत लिखना ज़ारी है, यह प्रकृति की कृपा है।
It gives me a great deal of satisfaction to introduce the book "Novel Drug Delivery System". The Pharmacy Council of India's prescribed curriculum for Bachelor of Pharmacy students has been scrupulously followed in the careful crafting of this book's material.
To make the subject easier for students to understand, an effort has been made to research it using vocabulary that is as simple as possible. Numerous diagrams and flowcharts are used
It gives me a great deal of satisfaction to introduce the book "Novel Drug Delivery System". The Pharmacy Council of India's prescribed curriculum for Bachelor of Pharmacy students has been scrupulously followed in the careful crafting of this book's material.
To make the subject easier for students to understand, an effort has been made to research it using vocabulary that is as simple as possible. Numerous diagrams and flowcharts are used throughout the text to help students understand complicated concepts. The author sincerely hopes that reading this book will benefit both academics and students in some way.
यह मेरा सातवाँ कथा-संग्रह और बारहवीं किताब है। पाँच व्यंग्य-संकलन हैं। यह शायद मेरा आखिरी कथा-संग्रह हो क्योंकि कथा लेखन अब बहुत कम हो गया है। कारण यह है कि जिन पत्रिकाओं ने मेरी
यह मेरा सातवाँ कथा-संग्रह और बारहवीं किताब है। पाँच व्यंग्य-संकलन हैं। यह शायद मेरा आखिरी कथा-संग्रह हो क्योंकि कथा लेखन अब बहुत कम हो गया है। कारण यह है कि जिन पत्रिकाओं ने मेरी लगभग डेढ़ सौ कहानियाँ छापीं, वे अब नहीं हैं।
यह लेखकों के लिए संकट का समय है। पाठक हमें पीठ देकर बैठा है। पाठक को दोष देना आसान है, लेकिन हमें ईमानदारी से अपने को भी टटोलना चाहिए।
यह लेखकों के लिए संकट का समय है। पाठक हमें पीठ देकर बैठा है। पाठक को दोष देना आसान है, लेकिन हमें ईमानदारी से अपने को भी टटोलना चाहिए।
यह मेरा पाँचवाँ व्यंग्य-संकलन है। इसके साथ कहानी और व्यंग्य के संकलनों की संख्या बराबर हो गयी। कहानी और व्यंग्य समान गति से लिखने और प्रकाशित होने के बावजूद दूसरा व्यंग्य-संग्र
यह मेरा पाँचवाँ व्यंग्य-संकलन है। इसके साथ कहानी और व्यंग्य के संकलनों की संख्या बराबर हो गयी। कहानी और व्यंग्य समान गति से लिखने और प्रकाशित होने के बावजूद दूसरा व्यंग्य-संग्रह बहुत विलंब से प्रकाशित हुआ और इस प्रकार असन्तुलन उत्पन्न हुआ। 'वर्जिन साहित्यपीठ' के संचालक श्री ललित मिश्र ने तीन संग्रह प्रकाशित कर इस अन्तर को पाटने में सहयोग दिया है। वे सुलझे हुए, साफ-सुथरे व्यक्ति हैं। उनका बहुत आभारी हूँ।
The book entitled “Pharmacognosy & Nutrition Volume – 1” was published in 2019. The book included several nutritional topics. Nutrition is a term that appears on the boards of all life sciences. Nutrition is the major difference between living and non-living things. Nutrition is the subject of several disciplines. It links food sciences, biology, microbiology, biotechnology, home sciences, etcetera. All these science streams examine dif
The book entitled “Pharmacognosy & Nutrition Volume – 1” was published in 2019. The book included several nutritional topics. Nutrition is a term that appears on the boards of all life sciences. Nutrition is the major difference between living and non-living things. Nutrition is the subject of several disciplines. It links food sciences, biology, microbiology, biotechnology, home sciences, etcetera. All these science streams examine different nutritional issues and seek to understand how nutrition interacts from the cell to molecular levels.
दोस्तों सही हैं न ! कि हर ज़िंदगी अपनी कुछ कही और कुछ अनकही कहानी छोड़कर उस परम सत्य को आत्मसात कर लेती है अर्थात मौत के आगोश में जाती है। हम कितना भी जी ले पर फिर भी कुछ रह जाता है जिसे
दोस्तों सही हैं न ! कि हर ज़िंदगी अपनी कुछ कही और कुछ अनकही कहानी छोड़कर उस परम सत्य को आत्मसात कर लेती है अर्थात मौत के आगोश में जाती है। हम कितना भी जी ले पर फिर भी कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते। कुछ अलभ्य, अतृप्त और कुछ बची आकांक्षाएं छूट जाती हैं और वक्त की रफ़्तार में जीवन कितना आगे बढ़ चुका होता है, हमें पता ही नहीं चलता। जब यह अहसास होता है तो हम बहुत आगे बढ़ चुके होते हैं और हम उस वक्त को लौटा नहीं पाते, तब ही हमें महसूस होता है कि वाकई सबकी जिन्दगी में कुछ रह जाता है जिसे हम जी नहीं पाते या कुछ अरमान होते हैं जिसे हम पूरा नहीं कर पाते। तब हम गुनगुना उठते है “जिन्दगी मूक सबकी कहानी रही”.........।
यह मेरा चौथा व्यंग्य-संकलन है। पहला 'अन्तरात्मा का उपद्रव' 1982 में प्रकाशित हुआ था। तभी पहला कहानी-संग्रह 'तीसरा बेटा' भी आया। उसके बाद स्थितियों का ऐसा चक्र चला कि कहानी-संग्रह त
यह मेरा चौथा व्यंग्य-संकलन है। पहला 'अन्तरात्मा का उपद्रव' 1982 में प्रकाशित हुआ था। तभी पहला कहानी-संग्रह 'तीसरा बेटा' भी आया। उसके बाद स्थितियों का ऐसा चक्र चला कि कहानी-संग्रह तो निकलते रहे, लेकिन अगला व्यंग्य-संग्रह तीन चार प्रकाशकों के पास लम्बे समय तक रहने के बाद भी प्रकाशित नहीं हुआ। इस बीच सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में मेरी कहानियाँ और व्यंग्य प्रकाशित होते रहे।
संबंध, संवेदना और हाशिए पर टंगे विविध सरोकारों पर पिछले दो दशकों से कविता में अपनी पैठ बनाने वाली कवयित्री आरती स्मित की यह चौथी काव्य कृति 'मायने होने के' मायनों की विविध तहें खो
संबंध, संवेदना और हाशिए पर टंगे विविध सरोकारों पर पिछले दो दशकों से कविता में अपनी पैठ बनाने वाली कवयित्री आरती स्मित की यह चौथी काव्य कृति 'मायने होने के' मायनों की विविध तहें खोलती हैं। पिता पर एक साथ कई कविताएं ध्यान खींचती हैं। पिता को समर्पित इस कविता संग्रह की कविताएं जीवन और संबंध के ताने बाने को बुनती, उघाड़ती, उघड़न के कारण को व्याख्यायित करती हुई, समाज के अनदेखे या उपेक्षित आयामों को भी अपने सरोकार का हिस्सा बनाती चलती हैं।
पुरोधाओं पर बात कहना, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को अपनी सीमित बुद्धि से गुनना, आकलन करना कहाँ इतना आसान है!
पुरोधाओं पर बात कहना, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को अपनी सीमित बुद्धि से गुनना, आकलन करना कहाँ इतना आसान है!
कहा जाता है कि निराशा की चोट आशा के स्रोत का पता बताती है और विफल इच्छाओं की छटपटाहट यथार्थ से परिचय कराती है। बस आवश्यकता होती है तो सावधानी से सकारात्मक सोच को, सकारात्मक श
कहा जाता है कि निराशा की चोट आशा के स्रोत का पता बताती है और विफल इच्छाओं की छटपटाहट यथार्थ से परिचय कराती है। बस आवश्यकता होती है तो सावधानी से सकारात्मक सोच को, सकारात्मक शब्दों को सुनने और चुनने की। ऐसे ही तीन जादुई शब्द हैं, "यह संभव है", जिनके कारण मैं अपने लेखों के संग्रह को एक पुस्तक का आकार दे पाई। "इतना भर प्रेम" मात्र मेरी पुस्तक का नाम नहीं बल्कि यह मेरा प्रेम अपने लेखन के प्रति, दूसरों तक रचनाओं के माध्यम से पहुंचने के प्रति, समाज के प्रति, समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति, सुविधाविहीन, साधनविहीन, जरूरतमंदों के प्रति, इस समष्टि में उपस्थित प्रकृति, मानव व अन्य जीवों के प्रति है।
यह मेरा पहला लघुकथा संग्रह है किन्तु मुझे यकीन है कि यह लघुकथा संग्रह आपके समय और आपकी ऊर्जा को सार्थक करेगा| साथ ही जीवन के विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाएगा|
यह मेरा पहला लघुकथा संग्रह है किन्तु मुझे यकीन है कि यह लघुकथा संग्रह आपके समय और आपकी ऊर्जा को सार्थक करेगा| साथ ही जीवन के विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाएगा|
कविता मानवीय दर्द की गहन अभिव्यक्ति है। कल्पना उसमें अर्घ्य का काम करती है तथा अनुभूतियाँ दंशों के सत्य का आभास कराती है। “मैं नीर भरी दुख की बदली” महादेवी वर्मा की चिर-परिचित पी
कविता मानवीय दर्द की गहन अभिव्यक्ति है। कल्पना उसमें अर्घ्य का काम करती है तथा अनुभूतियाँ दंशों के सत्य का आभास कराती है। “मैं नीर भरी दुख की बदली” महादेवी वर्मा की चिर-परिचित पीड़ा है जो कहीं मीरा की पीर बनती है तो कहीं वियोगी की आह में अपनत्व खोजती है। डॉ. दर्शनी प्रिय की कविताएँ इसी प्रकार का भाव-बोध लिए है। उनमें जहाँ प्रेम के प्रति समर्पण की जिजीविषा है, वहाँ समाज में व्याप्त अन्याय के लिए शस्त्र उठाने के प्रश्रय से भी वे पीछे नहीं रहतीं, किंतु उनमें शांति के गीत-सी आत्मा है; स्त्री के तन-मन को समझने के विभिन्न दृष्टिकोण हैँ। कवयित्री में मर-मर कर जीवन जीने की कला है। वह इतिहास की दहलीज पर खड़ी होकर मूक स्वर को छंद देती हैं। उसमें नारी मुक्ति की चाहत है पर उच्छृंखलता नहीं। सृजन की अद्भुत दुनिया में वसंत का आगमन होता है तो दूसरी ओर शोषण और अभाव के विरुद्ध उनकी चिंताएँ राजनीति को भी गरियाने लगती है। कुल मिलाकर उनमें एक आक्रोश की तड़पन है जिसमें यथार्थ का आवाह्न है। अच्छा होगा यदि वे उर्दू-फारसी के मोह से हटकर देशज अथवा भारतीय संस्कृति के बिंबों का प्रश्रय लेकर अपना काव्य-पथ प्रशस्त करें।
‘लघुकथा मंजूषा’ शृंखला की तीसरी पुस्तक लघुकथा मंजूषा-3 नए प्रयोग के साथ प्रस्तुत की जा रही है। इस प्रयोग के तहत इस लघुकथा संग्रहालय हेतु छः संपादकों का चयन किया गया है। इस संग्रह
‘लघुकथा मंजूषा’ शृंखला की तीसरी पुस्तक लघुकथा मंजूषा-3 नए प्रयोग के साथ प्रस्तुत की जा रही है। इस प्रयोग के तहत इस लघुकथा संग्रहालय हेतु छः संपादकों का चयन किया गया है। इस संग्रहालय के दो भाग हैं। दोनों भागों में तीन-तीन संपादकों हेतु स्थान सुनिश्चित किया गया है। इस लघुकथा संग्रहालय में सभी संपादकों के आलेख, उनकी स्वरचित लघुकथाएँ और उनके द्वारा चयनित अन्य लघुकथाकार मित्रों की लघुकथाएँ प्रदर्शित की गई हैं।
यह मेरा पहला काव्य संग्रह है| मुझे यकीन है इसे यह आपकी ऊर्जा में वृद्धि करेगा और आपके समय को सार्थक बनाएगा| साथ ही जीवन के अनछुए पहलुओं से अवगत भी करवाएगा|
यह मेरा पहला काव्य संग्रह है| मुझे यकीन है इसे यह आपकी ऊर्जा में वृद्धि करेगा और आपके समय को सार्थक बनाएगा| साथ ही जीवन के अनछुए पहलुओं से अवगत भी करवाएगा|
In today’s age of utter materialism and consumerism, we are becoming weakerat inner soul level. With this, our self-confidence is falling and we are unable to achieve, what we actually deserve. Today every person is making an attempt to remove his mental weakness becoming aware of it but still he is far away from meeting success. These days every youth says that think positive. In market, the books on self i
In today’s age of utter materialism and consumerism, we are becoming weakerat inner soul level. With this, our self-confidence is falling and we are unable to achieve, what we actually deserve. Today every person is making an attempt to remove his mental weakness becoming aware of it but still he is far away from meeting success. These days every youth says that think positive. In market, the books on self improvement are largely in demand. People participate in stress busting camps, listen to discourses on the same but the wanted results are still not achieved.
In the present book, the chapters are devoted to the positive thoughts which arise during inner psychosis and emotional workings in the mind. Each chapter is closely knit with the other. So it has been tried that keeping in uniflow, we are connected to the main thought. The feeling of acceptance, forgiving or asking for forgiveness, having self respect, control on anger, peace and joy are some of the concepts based on which we get away from negative life and adopting positive life, we attain success. This book is a prized creation of transforming life removing the vices and enhancing the positive vibes.
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