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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palsocial worker in indiaRead More...
social worker in india
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यह पुस्तिका महान नारी शक्ति को समर्पित है ।। नारी है एक इतिहास ! नारी है इस देश की शान ! नारी है हमारा सम्मान ! नारी है हमारी पहचान ! नारी है प्रकृतिस्वरूपा ! नारी है मातृस्वरूपा ! न
यह पुस्तिका महान नारी शक्ति को समर्पित है ।। नारी है एक इतिहास ! नारी है इस देश की शान ! नारी है हमारा सम्मान ! नारी है हमारी पहचान ! नारी है प्रकृतिस्वरूपा ! नारी है मातृस्वरूपा ! नारी है वात्सल्यरूपा ! नारी है प्रेमस्वरूपा ! नारी है करुणास्वरूपा ! नारी तु है ममतामयी ! ना भूलें अपने इस दैवी स्वरुप को ! हे नारी ! तुझ पर निर्भर है इस विश्व का भविष्य । क्योंकि हर संस्कार होकर जाते हैं तुझसे और होता है नवनिर्माण इस विश्व का पुनः । लाये पति के प्राण यमराज से वापस वह सती सावित्री नारी ही थी । जिसने जगायी निष्ठा स्वराज्य की शिवाजी में वह जीजाबाई नारी ही थी । जिसने करवाया कठोर परिश्रम पेशवा बाजीराव से स्वराज्य प्राप्ति के लिए वह भी माँ एक नारी ही थी । जिसने दिया बलिदान इस मातृभूमि के लिए वह लक्ष्मीबाई एक सन्नारी ही थी । जिसने दिए उच्च संस्कार और किया महिलाओं का उद्धार वह सावित्री फुले एक आदर्श शिक्षिका नारी ही थी ।जाग नारी अपने स्वरुप में, है तेरे हाथ में इस विश्व का भविष्य । स्मरण कर अपने स्वरुप का और समझ ले अपने दायित्व को ।आईये, हम सभी महिलाएँ एक संकल्प करें कि हम अपने पूर्वजों के संस्कारों को संजोयेंगे । उन आदर्श नारियों का अनुकरण कर अपना जीवन सफल बनाएँगे । इस देश एवं विश्व के कल्याण में हम सहयोग करेंगे । अपने उच्च संस्कारों से नयी पीढ़ी को सींचेंगे । शांति का प्रचार-प्रसार करेंगे । अपने जप, तप, साधना द्वारा विश्व में सकारात्मकता का दिव्य संचार करेंगे । यही इस पुस्तक का उद्देश्य है |
एक पैगाम भारत की नारी के नाम ।। नारी है एक इतिहास ! नारी है इस देश की शान ! नारी है हमारा सम्मान ! नारी है हमारी पहचान ! नारी है प्रकृतिस्वरूपा ! नारी है मातृस्वरूपा ! नारी है वात्सल्यर
एक पैगाम भारत की नारी के नाम ।। नारी है एक इतिहास ! नारी है इस देश की शान ! नारी है हमारा सम्मान ! नारी है हमारी पहचान ! नारी है प्रकृतिस्वरूपा ! नारी है मातृस्वरूपा ! नारी है वात्सल्यरूपा ! नारी है प्रेमस्वरूपा ! नारी है करुणास्वरूपा ! नारी तु है ममतामयी ! ना भूलें अपने इस दैवी स्वरुप को ! हे नारी ! तुझ पर निर्भर है इस विश्व का भविष्य । क्योंकि हर संस्कार होकर जाते हैं तुझसे और होता है नवनिर्माण इस विश्व का पुनः । लाये पति के प्राण यमराज से वापस वह सती सावित्री नारी ही थी । जिसने जगायी निष्ठा स्वराज्य की शिवाजी में वह जीजाबाई नारी ही थी । जिसने करवाया कठोर परिश्रम पेशवा बाजीराव से स्वराज्य प्राप्ति के लिए वह भी माँ एक नारी ही थी । जिसने दिया बलिदान इस मातृभूमि के लिए वह लक्ष्मीबाई एक सन्नारी ही थी । जिसने दिए उच्च संस्कार और किया महिलाओं का उद्धार वह सावित्री फुले एक आदर्श शिक्षिका नारी ही थी ।जाग नारी अपने स्वरुप में, है तेरे हाथ में इस विश्व का भविष्य । स्मरण कर अपने स्वरुप का और समझ ले अपने दायित्व को ।आईये, हम सभी महिलाएँ एक संकल्प करें कि हम अपने पूर्वजों के संस्कारों को संजोयेंगे । उन आदर्श नारियों का अनुकरण कर अपना जीवन सफल बनाएँगे । इस देश एवं विश्व के कल्याण में हम सहयोग करेंगे । अपने उच्च संस्कारों से नयी पीढ़ी को सींचेंगे । एक आदर्श ओजस्वी भारत बनाने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करेंगे । शांति का प्रचार-प्रसार करेंगे । अपने जप, तप, साधना द्वारा विश्व में सकारात्मकता का दिव्य संचार करेंगे । Swayamsiddha Tejasvini Ordination Centreऐसी सन्नारियों का स्वागत करता है । यही इस पुस्तक का उद्देश्य है |
Sirf pet bharne ki vidya hi vastvik vidya nahi hai ! kahin na kahin hamari shiksha pranali men chook hai, galti hai aur isiliye ham padhe-likhe shikshit lekin asafal aur berojgaar logon ki lambi chaudi fauj khadi karte jaa rahe hain ! dukh-kasht-vipdaon se loha lene ki takat, avichal rahne ka haunsla jis shiksha se mile vahi vastav men shiksha hai ! mata-pita apne bachchon ke bhitar chhupe hue hunar ko viksit karne men kewal sahyog
Sirf pet bharne ki vidya hi vastvik vidya nahi hai ! kahin na kahin hamari shiksha pranali men chook hai, galti hai aur isiliye ham padhe-likhe shikshit lekin asafal aur berojgaar logon ki lambi chaudi fauj khadi karte jaa rahe hain ! dukh-kasht-vipdaon se loha lene ki takat, avichal rahne ka haunsla jis shiksha se mile vahi vastav men shiksha hai ! mata-pita apne bachchon ke bhitar chhupe hue hunar ko viksit karne men kewal sahyog karna hai ! har bachche ki apni-apni ruchi hai, swabhav hai, sahaj pravritti hai, shauk hai – kyon na usi shauk ko jindgi kaa pesha banane men ham sahyog Karen ! sachche shikshak kaa lakshya kewal vidyarthi ko maatr praman part aur degree mil jaye utna hi nahi hai. Use to yah sochna chahiye ki uski kaksha ka har vidyarthi swayam gyan se paripurn hokar samaj ko bhi apne gyan se prakashit kare. Shiksha bojh nahi, mauj ke liye hai. Pahle jindgi hai aur baad men shiksha. lekin jindgi se adhik shiksha ko itni ahmiyat de di gai ki shiksha me thodi si asafalta milte hi vidyarthi jindgi se haar maan lete hain aur atmahatya kar lete hain ! shiksha ko vyavsay ke roop men nahi balki manushya ke vyaktitv evam swasth samaj ke nirman men sahayroop banne kaa margdarshan karne men yah pustak avashya hi sahayroop siddh hogi. Shiksha ke bojh se dabkar jo vidyarthi jivan se haar jaate hain unka haunsla is pustak ko padhkar avashya buland hoga va atmahatya jaise ghor paap karne kaa nirnay chhodkar ve apne jivan kaa sahi nirman kar sakenge.
This book is helpful for good health, spirituality and many more useful for you. You have heard about many therapies, yoga and therapy till date. Let us introduce you to such a yoga today, by which physical, mental and spiritual benefits all three together. The name of this Yoga is Sankirtan-Taliyog. Understand what is sankirtana-telegaye! By clapping with both hands, whatever god, God or Allah you believe, do not be quick to repeat their name or body with a s
This book is helpful for good health, spirituality and many more useful for you. You have heard about many therapies, yoga and therapy till date. Let us introduce you to such a yoga today, by which physical, mental and spiritual benefits all three together. The name of this Yoga is Sankirtan-Taliyog. Understand what is sankirtana-telegaye! By clapping with both hands, whatever god, God or Allah you believe, do not be quick to repeat their name or body with a spiritual music in a rhythmic manner, thus, by applause Laughing and laughing with full force is the Sankirtan-Talayog.
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