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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalPramod Rajput, hailing from a small village in Bihar, has now become a citizen of the United States. He is a software engineer by profession and a renowned poet and shaayar of Hindi/Urdu. An exemplary testament to his talent is that a few verses from one of his ghazals were recited by Prime Minister Shri Narendra Modi on February 7th, 2019, in the Indian Parliament. Pramod Rajput's debut book, "Aa Jee Lein Zara," is a compilation of around a hundred ghazals and nazms. Many of his ghazals and nazms have been composed as songs. "Love is a Verb” is his 2nd novel which is being published in Read More...
Pramod Rajput, hailing from a small village in Bihar, has now become a citizen of the United States. He is a software engineer by profession and a renowned poet and shaayar of Hindi/Urdu. An exemplary testament to his talent is that a few verses from one of his ghazals were recited by Prime Minister Shri Narendra Modi on February 7th, 2019, in the Indian Parliament. Pramod Rajput's debut book, "Aa Jee Lein Zara," is a compilation of around a hundred ghazals and nazms. Many of his ghazals and nazms have been composed as songs.
"Love is a Verb” is his 2nd novel which is being published in both English and Hindi. His first “Seven Color of Love” is also in both the languages. Pramod Rajput's literary works, there exists a marvelous blend of human emotions and sentiments that readers not only sense but also deeply connect with. While his expertise lies in the realm of love, he deftly expresses a range of other emotions such as pain, happiness, disappointment, and inspiration. All his books are available worldwide in both paperback and eBook formats.
Email : pramod.rajput@gmail.com
Website : www.pramodrajput.com
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Achievements
As Manav opened his eyes, he saw Madhu sitting beside him, trying to wake him up. Her body fragrance and her damp hair suggested she had taken a shower. Manav's eyes struggled to fully open, still heavy with sleep. He looked towards the window, and darkness still lingered outside. Glancing at the clock, he realized it was twenty minutes past three in the night.
"What's the matter, Madhu?"
"Get up, wash your face, and freshen up. I'm heading to ma
As Manav opened his eyes, he saw Madhu sitting beside him, trying to wake him up. Her body fragrance and her damp hair suggested she had taken a shower. Manav's eyes struggled to fully open, still heavy with sleep. He looked towards the window, and darkness still lingered outside. Glancing at the clock, he realized it was twenty minutes past three in the night.
"What's the matter, Madhu?"
"Get up, wash your face, and freshen up. I'm heading to make tea. Then we'll go for a walk in the park."
"It's still nighttime, Madhu. It's only three-twenty in the morning," he checked the clock again.
"Nighttime? I'm already up and have taken a shower. I thought it was morning."
मानव की आँख खुली तो उसने देखा मधु उसके पास बैठी उसे उठा रही थी। उसके बदन की ख़ुशबू से लग रहा था कि वह नहा चुकी थी। उसके बाल भी गीले थे। मानव की आँख नींद से खुल ही नहीं रही थी। उसने खिड
मानव की आँख खुली तो उसने देखा मधु उसके पास बैठी उसे उठा रही थी। उसके बदन की ख़ुशबू से लग रहा था कि वह नहा चुकी थी। उसके बाल भी गीले थे। मानव की आँख नींद से खुल ही नहीं रही थी। उसने खिड़की की ओर देखा अभी भी अँधेरा लग रहा था। उसने घड़ी की ओर नज़रें दौड़ाई। रात के तीन बज के बीस मिनट हुए थे।
“क्या हुआ मधु?”
“उठो मुँह-हाथ धोकर फ़्रेश हो जाओ। मैं जब तक चाय बनाने जा रही हूँ। फिर पार्क में घूमने चलेंगे।”
“अभी तो रात है मधु। सुबह के तीन बीस हुए हैं,” उसने फिर से घड़ी देखी।
“रात है? मैं तो उठ गयी और नहा भी चुकी। मुझे लगा सवेरा हो गया है।”
Raj turned back to look at Gauri. Her hair was disheveled. Her face was not glowing as before. For the first time, he saw a common girl in her and no longer an angel. Gauri was unable to see the tears in his eyes from that distance. Raj cried his heart out all the way home. The road was deserted except for his sobs which reverberated against the surrounding hills and rocks, turning into an echo that only his soul could hear. It was the echo of a broken heart t
Raj turned back to look at Gauri. Her hair was disheveled. Her face was not glowing as before. For the first time, he saw a common girl in her and no longer an angel. Gauri was unable to see the tears in his eyes from that distance. Raj cried his heart out all the way home. The road was deserted except for his sobs which reverberated against the surrounding hills and rocks, turning into an echo that only his soul could hear. It was the echo of a broken heart that Raj heard for the first time.
राज का दिल अंदर से टूटा जा रहा था। ऐसा दर्द उसने कभी महसूस नहीं किया था। रह-रह कर उसे उर्वशी का ट्रेन की खिड़की पकड़ कर भागना याद आ रहा था। वो ऐसे भाग रही थी जैसे उसकी सारी ज़िंदगी उ
राज का दिल अंदर से टूटा जा रहा था। ऐसा दर्द उसने कभी महसूस नहीं किया था। रह-रह कर उसे उर्वशी का ट्रेन की खिड़की पकड़ कर भागना याद आ रहा था। वो ऐसे भाग रही थी जैसे उसकी सारी ज़िंदगी उसके हाथों से निकलती जा रही थी। और राज को यूँ लग रहा था मानो उसकी ज़िंदगी पीछे छूटती जा रही थी।
“ आ जी लें ज़रा “, एक ख़ूबसूरत ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का संग्रह है जिसके कवि प्रमोद राजपूत हैं । प्रमोद राजपूत मूलतः बिहार के छपरा ज़िला के एक छोटे से गाँव चतुरपुर से हैं और २
“ आ जी लें ज़रा “, एक ख़ूबसूरत ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का संग्रह है जिसके कवि प्रमोद राजपूत हैं । प्रमोद राजपूत मूलतः बिहार के छपरा ज़िला के एक छोटे से गाँव चतुरपुर से हैं और २००३ से अमेरिका के निवासी हैं। वे यूँ तो पेशे से सॉफ़्ट्वेयर इंजीनियर हैं मगर हिंदी और उर्दू ग़ज़लों और नज़्मों का शौक़ स्कूल के दिनों से ही रखते हैं। अपने कॉलेज के ज़माने से ही मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लों के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं। प्रमोद राजपूत की रचनाओं में प्रेम और मानवीय जज़्बातों का अद्भुत मिश्रण होता है जो श्रोताओं और पाठकों का दिल छू लेता है। इनकी कुछ रचनाएँ जीवन, दर्शन और प्रेरणा से परिपूर्ण हैं। क़रीब २५ सालों तक उच्च तकनीकी नौकरी करने के पश्चात, २०१७ से इन्होंने अपनी इस प्रतिभा को गंभीरता से लेना शुरू किया और उसके पश्चात देश-विदेश के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में बहुत शौक़ से सुने जाते हैं। ७ फ़रवरी २०१९ को इनकी एक ग़ज़ल के कुछ शेर संसद में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और विपक्ष के नेता श्री मल्लिकार्जुन खड़गे जी ने अपने भाषण में कहे जो मीडिया और प्रेस में बहुत दिनों तक चर्चा का विषय बने रहे।
“ आ जी लें ज़रा “, एक ख़ूबसूरत ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का संग्रह है जिसके कवि प्रमोद राजपूत हैं । प्रमोद राजपूत मूलतः बिहार के छपरा ज़िला के एक छोटे से गाँव चतुरपुर से हैं और २
“ आ जी लें ज़रा “, एक ख़ूबसूरत ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का संग्रह है जिसके कवि प्रमोद राजपूत हैं । प्रमोद राजपूत मूलतः बिहार के छपरा ज़िला के एक छोटे से गाँव चतुरपुर से हैं और २००३ से अमेरिका के निवासी हैं। वे यूँ तो पेशे से सॉफ़्ट्वेयर इंजीनियर हैं मगर हिंदी और उर्दू ग़ज़लों और नज़्मों का शौक़ स्कूल के दिनों से ही रखते हैं। अपने कॉलेज के ज़माने से ही मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लों के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं। प्रमोद राजपूत की रचनाओं में प्रेम और मानवीय जज़्बातों का अद्भुत मिश्रण होता है जो श्रोताओं और पाठकों का दिल छू लेता है। इनकी कुछ रचनाएँ जीवन, दर्शन और प्रेरणा से परिपूर्ण हैं। क़रीब २५ सालों तक उच्च तकनीकी नौकरी करने के पश्चात, २०१७ से इन्होंने अपनी इस प्रतिभा को गंभीरता से लेना शुरू किया और उसके पश्चात देश-विदेश के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में बहुत शौक़ से सुने जाते हैं। ७ फ़रवरी २०१९ को इनकी एक ग़ज़ल के कुछ शेर संसद में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और विपक्ष के नेता श्री मल्लिकार्जुन खड़गे जी ने अपने भाषण में कहे जो मीडिया और प्रेस में बहुत दिनों तक चर्चा का विषय बने रहे।
तेरे चेहरे से नज़रें हटायें भी कैसे कमबख़्त दिल को समझायें भी कैसे जब नज़रें हमारी हमीं को दग़ा दे हम राज़ ए मोहब Read More...
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