Brahmachari Prakarsha Prakash

Learner and Writer
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Brahmachari Prakarsha Prakash has been in the field of writing for the last 12 years. It is his natural inclination to educate and empower others. He considers himself very fortunate to be a disciple of His Holiness Śrīmajjagadguru Śaṅkarācārya of Shri Govardhan Math Puri, Svāmī Niścalānanda Sarasvatījī Mahārāj. Brahmachari Prakash feels that true success lies in directing one’s actions towards one’s guru. He has involved himself in propagating the teachings of Vedic scriptures through various publications.   ब्रह्मचारी प्रकाश प्रकाRead More...


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दर्शन सूत्र

Books by ब्रह्मचारी प्रकर्ष प्रकाश

दर्शन शब्द का शब्दार्थ केवल देखना या सामान्य देखना ही नहीं है। दर्शन-शास्त्र हमें प्रमाण और तर्क के सहारे अन्धकार में ज्योति प्रदान करके हमारा मार्ग-दर्शन करने में समर्थ होता ह

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व्याकरण अष्टाध्यायी

Books by पाणिनि

अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है।अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं। पहले दूसरे अध्यायों में संज्ञा और परिभाषा संबंधी सूत्र हैं एवं

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Shrutisara Samuddharanam

Books by Totakacharya

A rare and much less known text Shrutisara Samuddharanam is a composition by  Shri Totakacharya, one of the four disciples of Shri Bhagavatpada Adi Sankara . Though most of the Prakarana Granthas are on the same subject of oneness of jiva and brahman, ideas basic to Advaita Vedanta, this work is unique in certain ways. Firstly, it is composed in a meter that is named after the AchArya as Totaka meter. These verses are melodious when sung with their breath

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अष्टाध्यायी तृतीयोध्यायः

Books by प्रकर्ष प्रकाश

अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है।अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं। पहले दूसरे अध्यायों में संज्ञा और परिभाषा संबंधी सूत्र हैं एवं

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समास प्रकरण - संस्कृतम्

Books by प्रकर्ष प्रकाश

समास शब्द-रचना की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर भिन्न तथा स्वतंत्र अर्थ रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं।

समा

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Vyakarana Ashtadhyayi - Odia

Books by Prakarsha Prakash

Ashtadhyay is considered to be the main of the six Vedangas. The Ashtadhyay has eight chapters and each chapter has four padas. The first and second chapters contain formulas on nouns and definitions and also regulatory cases of the interrelationship of verbs and noun words in the sentence, such as atmanepada-parasmapada cases for verbs, and inflection, compounds, etc. for nouns. The third, fourth and fifth chapters prescribe all kinds of suffixes. The third c

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पाणिनीय अष्टाध्यायी

Books by पाणिनि

अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है।अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं। पहले दूसरे अध्यायों में संज्ञा और परिभाषा संबंधी सूत्र हैं एवं

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पुरी शङ्कराचार्य स्वामी निरञ्जन देव तीर्थ

Books by ब्रह्मचारी प्रकर्ष प्रकाश

स्वामी निरंजन देव तीर्थ, गोवर्धन मठ के १४४ वें शंकराचार्य थे। वे औदिच्य कुल के ब्राह्मण थे तथा  उनका नाम श्री चंद्रशेखर दवे था। श्री चंद्रशेखर दवे ने वाराणसी आदि क्षेत्रों में

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वैशेषिक सूत्र

Books by कणाद मुनि

वैशेषिक, भारतीय दर्शनों में से एक दर्शन है। इसके मूल प्रवर्तक ऋषि कणाद हैं। यह दर्शन न्याय दर्शन से बहुत साम्य रखता है किन्तु वास्तव में यह एक स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन

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अष्टाध्यायी - द्वितीयोध्यायः

Books by प्रकर्ष प्रकाश

अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है।अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं। पहले दूसरे अध्यायों में संज्ञा और परिभाषा संबंधी सूत्र हैं एवं

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सांख्य दर्शन

Books by प्रकर्ष प्रकाश

सांख्य दर्शन का मुख्य प्रतिपाद्य विषय चेतन और अचेतन का विवेक कराना है। 'पुरुष' पद चेतन का प्रतीक है। संसार में अनुभूयमान त्रिगुणात्मक अचेतमतत्त्व' प्रकृति का अंश है। इससे सर्वथ

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न्याय दर्शन

Books by गौतम

न्याय दर्शन भारत के छः वैदिक दर्शनों में एक दर्शन है। इसके प्रवर्तक ऋषि अक्षपाद गौतम हैं जिनका न्यायसूत्र इस दर्शन का सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध ग्रन्थ है। जिन साधनों से हमें ज्

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योग दर्शन - व्यास भाष्य

Books by प्रकर्ष प्रकाश

योगसूत्र ग्रंथ महर्षि पतंजलि द्वारा रचित है। यह ग्रंथ सूत्रों के रूप में लिखा गया है। सूत्र-शैली भारत की प्राचीन दुर्लभ शैली है जिसमें विषय को बहुत संक्षिप्त शब्दों में प्रस्त

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वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी

Books by भट्टोजिदीक्षित

सिद्धान्तकौमुदी संस्कृत व्याकरण का ग्रन्थ है जिसके रचयिता भट्टोजि दीक्षित हैं। इसका पूरा नाम "वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी" है। भट्टोजि दीक्षित ने प्रक्रियाकौमुदी के आधार पर सिद

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अष्टाध्यायी - प्रथमोध्यायः

Books by प्रकर्ष प्रकाश

अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है।अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं। पहले दूसरे अध्यायों में संज्ञा और परिभाषा संबंधी सूत्र हैं एवं

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गीत गोविन्द

Books by जयदेव

गीतगोविन्द जयदेव की काव्य रचना है। गीतगोविन्द में श्रीकृष्ण की गोपिकाओं के साथ रासलीला, राधाविषाद वर्णन, कृष्ण के लिए व्याकुलता, उपालम्भ वचन, कृष्ण की श्रीराधा के लिए उत्कंठा,

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Paniniya Vyakarana

Books by Panini

Paniniya Ashtadhyayi is not only about the general and Vedic words of Sanskrit grammar but also gives precise knowledge of Sociology (Anthropology), History (Purana), Politics, and Geography. Along with this, it also analyzes the ancient Indian cultural, social, political, and geographical conditions.

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मीमांसा दर्शन

Books by जैमिनि

मीमांसा या पूर्वमीमांसा दर्शन हिन्दुओं के छः दर्शनों में से एक है जिसमें वेद के यज्ञपरक वचनों की व्याख्या बड़े विचार के साथ की गयी है। इसके प्रणेता जैमिनी हैं। मीमांसा दर्शन मे

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उपनिषदः

Books by प्रकर्ष प्रकाश

उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)।यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से

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गोवर्द्धन मठ - परिचय

Books by अश्वनि कुमार मलिक

कालक्रमसे विलुप्त वैदिक ज्ञान-विज्ञानको तपोबल तथा समाधिसिद्ध प्रज्ञाके अमोघ प्रभावसे प्रकट करनेवाले तथा विकृत ज्ञान-विज्ञानको परिस्कृत करनेवाले एवम् अराजकतत्त्वोंका दमन

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ईशावास्य उपनिषत्

Books by शङ्करानन्द स्वामी

श्रीशंकरानन्द कृत ईशावास्य दीपिका -

ईशोपनिषद् शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत उपनिषद है। प्रमुख् दश उपनिषदों में यह उपनिषद् ,  अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमे

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तर्कसंग्रह

Books by अन्नम्भट्ट

तर्कसंग्रह न्याय एवं वैशेषिक दोनो दर्शनों को समाहित करने वाला ग्रंथ है। इसके रचयिता अन्नम्भट्ट हैं।

तर्कसंग्रह के अध्ययन से न्याय एवं वैशेषिक के सभी मूल सिद्धान्तों का ज्

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अर्थसंग्रहः

Books by लौगाक्षि भास्कर

अर्थसंग्रह पूर्वमीमांसा का ग्रंथ है, और वह भी कर्मकाण्डपरक। अव्युत्पन्न बालकों का जैमिनिशास्त्र में प्रवेश हो सके, इसलिये अर्थसंग्रह नामक ग्रंथ की रचना हुई है।  निश्चय ही अर

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पाणिनीय व्याकरण - सम्पूर्ण

Books by पाणिनि

व्याकरण के समस्त ग्रन्थों में अष्टाध्यायी का मूर्धन्य स्थान है। इसीके कारण पाणिनि जी की कीर्तिपताका अद्यावधि फहरा रही है। इस अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और एक-एक अध्याय में

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अष्टाध्यायी - सूत्र - वार्तिक

Books by पाणिनि

पाणिनीय अष्टाध्यायी केवल संस्कृत व्याकरण के लौकिक एवं वैदिक पदों की सिद्धिमात्र ही नहीं करती, अपितु इसके अध्ययन से समाजशास्त्र (मानवशास्त्र), इतिहास (पुराण), राजनीति एवं भूगोल

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व्याकरण अष्टाध्यायी

Books by पाणिनि

पाणिनीय अष्टाध्यायी केवल संस्कृत व्याकरण के लौकिक एवं वैदिक पदों की सिद्धिमात्र ही नहीं करती, अपितु इसके अध्ययन से समाजशास्त्र (मानवशास्त्र), इतिहास (पुराण), राजनीति एवं भूगोल

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अष्टाध्यायी

Books by पाणिनि

व्याकरण के समस्त ग्रन्थों में अष्टाध्यायी का मूर्धन्य स्थान है। इसीके कारण पाणिनि जी की कीर्तिपताका अद्यावधि फहरा रही है। इस अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और एक-एक अध्याय में

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लघु सिद्धान्त कौमुदी - अष्टाध्यायी क्रम

Books by पाणिनी

अष्टाध्यायी महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है।इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं; प्रत्येक पद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस

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Journey with The Enlightened

Books by Prof. Indira Jha

o   What is the meaning of liṅga in Śiva Liṅga?

o   How old is Hinduism?

o   How does one develop the act of taking the right decision at the right time?

o   Why does the mind get distracted while chanting mantras?

o   Should one believe in palmistry?

o   Why do the youngsters today go abroad?

All of us have asked these questions and many more at some point in time. 

Journey with The Enligh

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