दरअसल, कोयला उद्योग को दो बार आज़ादी मिली। एक आज़ादी 1947 में, जब हमारा देश आज़ाद हुआ और देश के विकास की बागडोर हम भारतीयों के हाथ में आई और दूसरी, जब कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण हुआ। आज़
आसमां में सुराख” कोयला उद्योग के कर्मियों की मेहनत और चुनौती भरे कार्य और उनके द्वारा देशहित में किए जा रहे भीड़ से अलग हटकर कार्य को दुनिया के सामने लाने की एक छोटी-सी पहल है। ये क
अपनी स्थापना के लगभग 40 वर्ष के बाद क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी बीमार घोषित होने के कगार पर थी। इससे न केवल इसमें कार्य करने वाले कर्मी चिंतित थे, बल्कि कंपनी पर आश्रित कई लघु उद्योग