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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & CurryRitu, a homemaker for almost nineteen years, started writing a couple of years ago after being inspired by a show she saw on TV. She began to pen her thoughts and stories that came to her mind on paper and wrote many short stories. She believes that any task done with honesty and hard work will, one day, bring success. With this hope and faith, she gives 100% to her creations.
When she isn’t writing, she likes to listen to ghazals and travel to different places.
After her first creation Intzaar, her second attempt is her new creation – My Strength.
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आकाश का मानना है कि मर्द जब कहीं किसी सोसायटी में बैठते हैं, तो अपना इम्प्रेशन बढ़ाने के लिए कहते हैं कि औरतें-आदमी इकुअल हैं, औरतें मर्दों से बेहतर हैं| मगर ये सब रटी-रटाई बातें होत
आकाश का मानना है कि मर्द जब कहीं किसी सोसायटी में बैठते हैं, तो अपना इम्प्रेशन बढ़ाने के लिए कहते हैं कि औरतें-आदमी इकुअल हैं, औरतें मर्दों से बेहतर हैं| मगर ये सब रटी-रटाई बातें होतीं हैं| असल जिंदगी में जब इन शब्दों की सच्चाई से उनका सामना होता है, तो उनका मर्द होने का अहंकार सामने आ जाता है कि हम आदमी हैं, औरत हमारे लिए करे, ये हमारी शान के खिलाफ है| लेकिन आकाश की सोच वाकई ऐसी नहीं है| वो अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय देता है, अपनी पत्नी रागिनी को| रागिनी जो उसकी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है| जिसने हर कदम पर आकाश का हाथ पकड़ कर उसे संभाला| और रागिनी, जो आकाश से कहीं ज्यादा सक्सेसफुल है वो खुद भी यही कहती है कि “एक असली लाइफ पार्टनर वही है जो आपकी स्ट्रेंथ बने, आपकी कमजोरी नहीं, और मेरी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है, आकाश |”
इंतज़ार.... क्या आपने कभी किसी का इंतज़ार किया हैं? किसी अपने का। कई बार कुछ पलों का इंतज़ार ही मन को बहुत बैचैन कर देता हैं और यदि वही इंतज़ार कुछ पलों का नहीं, कुछ महीनों का भी नहीं बल्क
इंतज़ार.... क्या आपने कभी किसी का इंतज़ार किया हैं? किसी अपने का। कई बार कुछ पलों का इंतज़ार ही मन को बहुत बैचैन कर देता हैं और यदि वही इंतज़ार कुछ पलों का नहीं, कुछ महीनों का भी नहीं बल्कि सालों का हो जाए, तो वो इंतज़ार नहीं रह जाता - सज़ा बन जाता है। ऐसी ही एक सजा देव भी काट रहा है। वो पिछले नौ सालो से अपने प्यार, अपनी ज़िन्दगी राधिका का इंतज़ार कर रहा हैं जो उसे बिना बताये, बिना कुछ कहे चुपचाप उसे छोड़ कर चली गयी। राधिका भी देव के बिना खुद को अधूरा ही समझती थी लेकिन कई बार हमारा वर्तमान ऐसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ हम ये नहीं समझ पाते की कौन सी राह सही है और कौन सी गलत। हमें वक़्त और हालातों से समझौता करना पड़ता हैं और राधिका ने भी वक़्त और हालत से समझौता करके जो राह चुनी उसमे उसका हाथ देव से छूट गया। राधिका फिर से जीने की कोशिश कर रही थी मगर फिर उसकी ज़िन्दगी में कुछ ऐसा हुआ की वो खुद को फिर उसी जगह महसूस करने लगी जहाँ से उसने अपना नया सफ़र शुरू किया था.... ये एक खूबसूरत लव स्टोरी है जिसमे प्यार, इमोशंस और त्याग का समावेश है...ये मेरी पहली कोशिश है। उम्मीद करती हूँ कि आप सब इसे पसंद करेंगे।
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