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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal“S D Tiwari” has a bright clear tone in his poems. His strong lyricism is like a fresh breeze coming over the wildest grass, creating an order in all appearances. The lines of his poems seem to be shining by themselves. He approaches Couplets, Quatrains, Haiku, Tanka, Triolets, Limericks, Ghazals, Songs in English and Muktak, Geet, Ghazal, Dohe, Kundaliyan, Haiku, Tanka, Kah-mukari, Atukant, Stories in Hindi in an open and light manner. He completed his M. Com., LL.B., Diploma in Personnel Management and served Public Sector Undertakings for about thirty years in managerial capacities, Read More...
“S D Tiwari” has a bright clear tone in his poems. His strong lyricism is like a fresh breeze coming over the wildest grass, creating an order in all appearances. The lines of his poems seem to be shining by themselves. He approaches Couplets, Quatrains, Haiku, Tanka, Triolets, Limericks, Ghazals, Songs in English and Muktak, Geet, Ghazal, Dohe, Kundaliyan, Haiku, Tanka, Kah-mukari, Atukant, Stories in Hindi in an open and light manner. He completed his M. Com., LL.B., Diploma in Personnel Management and served Public Sector Undertakings for about thirty years in managerial capacities, and retired as a Chief Manager. Now practicing as an Advocate at Delhi courts.
Few Hindi Books Published:
Haiku Shastra, Nanhin, Bolate Moti, Dilli ke Jharokhe, Kya Sakhi Sajan, Motiyan ki Ladi, Muhabbat ke moti, Tere naam ke moti, Gungunati Hawa, Duniya Gir Gayee, Tripadi Ramayan, Pyar ka Pinjara, The Singing Breeze, Birds of Chanting Words more…
हाइकु शास्त्र, कविता तो बोलेगी, क्या सखि साजन, चाँद के गांव, दुनिया गिर गयी, नन्हीं, बोलते मोती, दिल्ली के झरोंखे, गुनगुनाती हवा, मुहब्बत के मोती, तेरे नाम के मोती, मोतियन की लड़ी, पांच दाने मोती, गीत गुंजन, प्यार का पिंजरा, हाइकु रामायण, आशिक अली की होली, बसे विदेश, विदेश की चटनी, इनकी उनकी, राम का वकील, त्रिपदी रामायण, जी लो बचपन, भगवती माई
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'कह मुकरी' हिंदी काव्य की एक प्राचीनतम और अद्भुत काव्य विधा है। अपने अत्यंत सहज, सरल, और रोचक भाव के कारण, यह विधा, पढ़ने और सुनने वालों के उर में आनंद भर देती है। 'कह मुकरी' पहेली से मि
'कह मुकरी' हिंदी काव्य की एक प्राचीनतम और अद्भुत काव्य विधा है। अपने अत्यंत सहज, सरल, और रोचक भाव के कारण, यह विधा, पढ़ने और सुनने वालों के उर में आनंद भर देती है। 'कह मुकरी' पहेली से मिलती जुलती काव्य विधा है किन्तु उससे पृथक है। 'कह मुकरी' के छंद दो अर्थी होते हैं। जिसमें से एक निश्चित अर्थ साधारणतया प्रियतम या साजन से सम्बंधित होता है और दूसरे अर्थ को शब्दों में छुपाकर रखा जाता है। उस छुपे भाव को रचनाकार, छंद के अंतिम शब्द में प्रकट करता है। छंद का अंतिम शब्द ही, उसमें बूझी पहेली का सही उत्तर होता है। एक कह मुकरी यहाँ देखिये -
जाती हूँ मैं सीधे छत पर। देखूं उसको ऑंखें भर कर। जब भी आती उनकी याद। क्या सखि साजन? नहिं सखि चाँद।
कहमुकरियों की यह रोमांचक पुस्तक 'सखि, कह मुकरी" मन को आनंद से भरने वाली है।
प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम से ही संतुष्टि आनंद और शांति मिलती है, प्रेम के बिना जीवन नीरस और बोझिल हो जाता है। प्रेम ईश्वर की अद्भुत देन है, जिसका संचालन मन यानि दिल से होता है; और
प्रेम जीवन का आधार है। प्रेम से ही संतुष्टि आनंद और शांति मिलती है, प्रेम के बिना जीवन नीरस और बोझिल हो जाता है। प्रेम ईश्वर की अद्भुत देन है, जिसका संचालन मन यानि दिल से होता है; और दिल एक अथाह सागर है, जिसमें भांति भांति के भावों की तरंगें उठती रहती हैं । मनुष्य न केवल मनुष्य से ही प्रेम करता है, अपितु बहुत से अन्य जीव-जंतुओं, वस्तुओं, स्थलों, नदी, पर्वत, मेघ, प्रपात, ऋतु, वृक्ष, तड़ाग, उद्यान, पुष्प, पक्षी, खेत, कला, क्रिया, क्रीड़ा, गीत, संगीत, कथा, भोजन, पेय, परिधान, यंत्र, ग्रन्थ, अंतरिक्ष, ग्रह, देवता, ईश्वर, सम्बन्ध, निर्माण, रचना इत्यादि से भी प्रेम करता है। जिसके हृदय में प्रेम नहीं, उसके हृदय में पशुता निवास करती है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान् ने प्रेम की महिमा का स्वयं वर्णन किया है। प्रेम के विभिन्न आयामों को समेटे हुए यह पुस्तक 'दिल प्रेम-समुन्दर' प्रेम के अनुपम रस से सराबोर है। एक हजार से भी अधिक त्रिपदी नन्हें छंदों की यह पुस्तक पाठक के हृदय में निःसंदेह आनंद-दायी प्रेम की लहरें प्रवाहित करेगी।
तुलसीदास कृत 'रामचरितमानस' भक्ति रस से सराबोर है; जिसमें बार बार डूबने का, अपितु डूबे रहने का मन होता है। रामचरितमानस, एक अत्यंत वृहत ग्रन्थ होने के कारण, और आजकल के व्यस्त जीवन मे
तुलसीदास कृत 'रामचरितमानस' भक्ति रस से सराबोर है; जिसमें बार बार डूबने का, अपितु डूबे रहने का मन होता है। रामचरितमानस, एक अत्यंत वृहत ग्रन्थ होने के कारण, और आजकल के व्यस्त जीवन में समयाभाव के कारण, 'रामचरितमानस' का सम्पूर्ण पाठ संभव नहीं हो पाता, यद्यपि श्रीराम की कथा बार बार सुनने, जानने की जिज्ञासा अवश्य उत्पन्न होती है, क्योंकि प्रभु श्रीराम का नाम और श्रीराम की कथा परम आनंद दिलाने वाली है। इसी बात को ध्यान में रखकर कविवर श्री सत्यदेव तिवारी ने प्रभु श्रीराम की कथा को संक्षिप्त करके तीन पादों या तिपाईयों यानि कि तीन चरणों के त्रिपदी छंदों में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक 'त्रिपदी रामायण' में श्रीराम की संक्षित किन्तु समग्र कथा की रमणीय प्रस्तुति है। यह रचना प्रभु श्रीराम के स्मरण और उनका संक्षिप्त दर्शन कराने के ध्येय से सरल, सहज और सरस भाषा में की गयी है। राम की महिमा का वर्णन युगों से होता आ रहा है और विभिन्न कवियों ने श्रीराम कथा को पृथक रूपों में प्रस्तुत किया है। त्रिपदी रामायण में श्रीराम की कथा, एक नए रूप ‘तिपाई’ यानि तीन चरणों के पद्य में प्रस्तुत की गयी है, जो जिज्ञासुओं, श्रद्धालुओं और साहित्यकारों के लिए अतीव उपयोगी सिद्ध होगी।
माँ दुर्गा या भगवती मईया की महिमा का पाठ करना या सुनना अमृतपान करने जैसा और असीम आनन्द की अनुभूति करने वाला है। इस अनमोल निधि को श्रद्धापूर्वक धारण करने वालों के मन की इच्छा भगवत
माँ दुर्गा या भगवती मईया की महिमा का पाठ करना या सुनना अमृतपान करने जैसा और असीम आनन्द की अनुभूति करने वाला है। इस अनमोल निधि को श्रद्धापूर्वक धारण करने वालों के मन की इच्छा भगवती देवी पूरी करती हैं और संतापों से छुटकारा दिलाती हैं। देवी दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जो शक्ति का प्रतीक हैं। उनका आविर्भाव ब्रह्मा, विष्णु, महेश व अन्य देवताओं के प्रताप से असुरों का संहार करने के लिए हुआ। देवताओं ने उन्हें अपनी शक्तियों और शस्त्रों से सज्जित किया। माँ भगवती ने असुरों का संहार करके, देवताओं को भयमुक्त किया। भगवती माई अजन्मा हैं किन्तु देवता और मनुष्यों के कल्याण के लिए समय समय पर प्रकट होती रहती हैं। इस सृष्टि को रचाने वाली और चलने वाली वही हैं। इनकी स्तुति करने पर देवी प्रसन्न होकर सभी संकटों से मुक्त कर देती हैं।
भगवती माई की महिमा की सविस्तार कथा संस्कृत भाषा के महान ग्रन्थ 'श्रीदुर्गासप्तशती' में उपलब्ध है। उसी ग्रन्थ के आधार पर लेखक श्री एस. डी. तिवारी ने भोजपुरी भाषा में यह पुस्तक 'भगवती माई' लिखा। इस पुस्तक में लेखक ने श्रीदुर्गासप्तशती में प्रस्तुत तेरहों अध्याय का यथावत और सटीक अर्थ समाहित करते हुए भोजपुरी भाषा के सरल और सुन्दर छंदों में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक में देवताओं द्वारा मईया की महिमा के गुणगान का वर्णन, भोजपुरी भाषा की मधुरिम रस के साथ पृथक ही आनन्द देने वाला है। इस पुस्तक के द्वारा पाठकगण, सहज, सरल, सरस और भावपूर्ण भोजपुरी भाषा में भगवती की महिमा का सेवन कर सकेंगे।
बचपन क्या निधि है, उसे बच्चे नहीं समझ पाते। जब बचपन बीत जाता है तो पता चलता है कि हमने जीवन की सबसे बड़ी निधि खो दिया है, जो फिर से कभी वापिस नहीं मिलने वाला। बच्चों का भोलापन सभी के म
बचपन क्या निधि है, उसे बच्चे नहीं समझ पाते। जब बचपन बीत जाता है तो पता चलता है कि हमने जीवन की सबसे बड़ी निधि खो दिया है, जो फिर से कभी वापिस नहीं मिलने वाला। बच्चों का भोलापन सभी के मन को आनंद से भर देता है। उत्तरदायित्यों और चिंताओं से मुक्त, अपना पराया और छल कपट से रहित, नाना खेलों से युक्त बच्चों का जीवन देखकर, यही लगता है कि एक बार फिर से बचपन में लौट जाएँ। कवि श्री एस. डी. तिवारी ने, अपनी पुस्तक 'जी लो बचपन' में बचपन के विभिन्न आयामों को टटोलते हुए, छोटे छोटे छंदों में पूरा बचपन समेटने का प्रयत्न किया है। इस पुस्तक के द्वारा गांव, नगर, खेल, खिलौने, खाना, पहनना, पढ़ाई, नाता, नटखटपना इत्यादि अनेक पहलुओं को स्पर्श करते हुए, शब्दों में ही बचपन को एक बार पुनः जीने का प्रयास किया है। 'जी लो बचपन' में हाइकु और त्रिपदीय छंदों में सम्पूर्ण बालपन का अवलोकन एक ही स्थान पर किया जा सकता है। इस पुस्तक 'जी लो बचपन' के छोटे छोटे प्रत्येक छंद, अपने आप में एक पूर्ण कविता है। इस प्रकार एक ही पुस्तक में बचपन से सम्बंधित ग्यारह सौ से भी अधिक कवितायेँ एक साथ उपलब्ध हैं।
In this book ‘The Singing Breeze’ mainly rhyming poems are included, amongst them mostly are ghazals and songs and few other rhyming poems. In the poems of this book, rhyming pattern is, mostly of Indian style. Poetry or lyrics, written in any language in this world, can’t beat the rhymes as can be formed in Indian languages. I am confident, by reading these poems, heart of the reader would go singing along. Not only rhyme, the poems are also intended to
In this book ‘The Singing Breeze’ mainly rhyming poems are included, amongst them mostly are ghazals and songs and few other rhyming poems. In the poems of this book, rhyming pattern is, mostly of Indian style. Poetry or lyrics, written in any language in this world, can’t beat the rhymes as can be formed in Indian languages. I am confident, by reading these poems, heart of the reader would go singing along. Not only rhyme, the poems are also intended to evoke the emotions and touch hearts.
This book ‘Birds of Words’ is collection of my poems written from time to time, and within these pages, you would encounter most of the above subjects and forms. Each of the poems of this book is a free bird of my words, having various shapes and colours of feathers. I believe, each category of people, children to old age would find here something of own interest. I hope they would hop in your heart to titillate within, and when the birds would fly, would
This book ‘Birds of Words’ is collection of my poems written from time to time, and within these pages, you would encounter most of the above subjects and forms. Each of the poems of this book is a free bird of my words, having various shapes and colours of feathers. I believe, each category of people, children to old age would find here something of own interest. I hope they would hop in your heart to titillate within, and when the birds would fly, would take your heart too, high.
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