आपके कदम सफलता की ओर - व्यक्ति से जीवन में भूल होना उसकी प्रकृति है, भूल को मानना उसकी संस्कृति है और स्वीकार करके सुधार कर लेना वही उसकी प्रगति है । अब कुछ पंक्तियों के साथ सफलता की राह में स्वयं की प्रतिभा को निखारने की प्रतिज्ञा करें: है जिंदगी एक सफर जैसे, इत्मीनान से चलते रहो.. सुख दुख आते जाते रहेंगे, मन विश्वास संग ढलते रहो.. ना झुको कभी ना डरो कभी, कोशिश करो जीतने की.. जीवन की हर बाधा मिटाने, बन अंगार तुम जलते रहो.. पाने को सफलता हर डगर, निरंतर प्रयास