अनकहे पन्ने
इस पुस्तक में दो पन्ने मैंने मेरे भगवान के बारे में लिखने की कोशिश की हैं, यह पुस्तक मैंने उन्हें समर्पित किया है। पुस्तक के पहले पृष्ठ पे आपने पुस्तक का नाम पढ़ा होगा, "अनकहे पन्ने", ये अनकहे पन्ने वो है, जो हम, हमारे दिलों की बातें कही न कही दिलों में दफ्न कर लेते है, कही बयां नहीं कर पाते, मन ही मन में वो बातें दबा कर रख लेते हैं, ताउम्र कहना चाहते है पर कह नहीं पाते। उन्ही अनकहे भावनाओं को शब्द रूप देकर पन्नों पे रखा है। मैंने इसमें मेरी सारी मन की बात यहाँ कविता, शायरी की रूप में प्रस्तुत किया हैं। आशा करूँगा यह किताब आपको पसंद आएगी।