बुके - जी हाँ, बुके यानी गुलदस्ता अर्थात पुष्प-गुच्छ – जिसमें विगत लगभग पचास वर्षों से लेकर अद्यतन विभिन्न – कुछ छोटे –कुछ बड़े – कुछ सादे तो कुछ रंगीन – पुष्प संजोये हुए हैं | सच मानिए , वे भले कुछ कुम्हलाये-से दृष्टिगत हों , पर उनकी भीनी-भीनी सुगंध आज भी उनमें विद्यमान है | उन्हें बड़े यत्न पूर्वक सहेजा एवं संवारा जाकर अब कांपते हाथों से आपको समर्पित है | इस गुच्छ में भले ही जल-कण की बूँदें अप्राप्त हों , पर स्मृतियों के स्नेह-मिश्रित अश्रु- कणों से आप्लावित पुष्प आज भी आपको अवश्य ही आर्द्र कर देंगे – ऐसा मेरा विश्वास है |
लीजिये- थामिए इस बुके को |
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