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GHARAUNDA / घरौंदा

Author Name: Kaavyam | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़-दर-हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव में उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है। कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है। 

इस पुस्तक के सम्पादकीय सद

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काव्यम

कविता लिखना मतलब अंत:करण से की हुई दैविक साधना! इस साधना से लिखने और पढ़ने दोनों का ही प्रयास अपने आप में एक पूजा हैl जब मन के भाव कलम की स्याही में नहाकर कागज पर उतर कर आते हैं, तब वह एक सार्थक कविता का रूप लेकर लेखक और पाठक दोनों को ही निहाल करती हैl हमारे अनुसार कविता लेखन एक महायज्ञ है जिसके तेज से संपूर्ण वातावरण की शुद्धि होती हैl

ऐसे में हम नवोदित उभरते रचनाकारों को काव्यम

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