Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalWe at Kaavyam provides you the best publishing servies with integration with Xpress publishing. We have published a lots of books including POETRY, ANTHOLOGY, SHORT STORIES, NOVELS, MOTIVATIONAL BOOKS, ACADEMIC BOOKS etc. for more details feel free to contact on kaavyampublication@gmail.com or whatsapp @9473003952 Read More...
We at Kaavyam provides you the best publishing servies with integration with Xpress publishing. We have published a lots of books including POETRY, ANTHOLOGY, SHORT STORIES, NOVELS, MOTIVATIONAL BOOKS, ACADEMIC BOOKS etc.
for more details feel free to contact on kaavyampublication@gmail.com or whatsapp @9473003952
Read Less...
Achievements
जब कोई भी देश समाज या राष्ट्र बदलाव चाहता है। तो उसे सबसे पहले वहाँ के नागरिकों को बदलने की शुरुआत करनी होगी। क्योंकि जब हम खुद बदलेंगे तब पड़ोसी गाँव, तहसील, जिला, प्रदेश और इसी त
जब कोई भी देश समाज या राष्ट्र बदलाव चाहता है। तो उसे सबसे पहले वहाँ के नागरिकों को बदलने की शुरुआत करनी होगी। क्योंकि जब हम खुद बदलेंगे तब पड़ोसी गाँव, तहसील, जिला, प्रदेश और इसी तरह से पूरा राष्ट्र बदल जाएगा।
खुद का अनुशासन जिम्मेदारी और नैतिक कर्तव्यो को समझते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाए। जब देश के लिए कोई नया कार्य या बदलाव का कार्य हो तो सभी नागरिकों को अपनी थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। जिससे मजबूत एवं सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके। समाज में पिछडे, गरीब, दलित एवं असहायो की सहायता एवं सहयोग करके सभी एक साथ उन्नति पथ पर अग्रसर हो सकें।
इस पुस्तक में भरसक प्रयास किया गया है कि समाज में एक नई सोच विकसित हो सके जिससे समाज देश राष्ट्र को एक नई दिशा मिल सके।
धन्यवाद!
माँ जिंदगी मेरी एक काव्य संग्रह है| जो माँ के ऊपर लिखी गयी है|
सुबह जल्दी उठ कर जब वो
सूर्य प्रणाम करती है,
तब सिखाती है कि भाग्य उदय और तेजस्वी होने के लिये यह आवश्यक है।
माँ जिंदगी मेरी एक काव्य संग्रह है| जो माँ के ऊपर लिखी गयी है|
सुबह जल्दी उठ कर जब वो
सूर्य प्रणाम करती है,
तब सिखाती है कि भाग्य उदय और तेजस्वी होने के लिये यह आवश्यक है।।
तुलसी के सामने आँखें बंद कर
मन ही मन जाने क्या कहती है,
और सिखाती है कि नारी होने का प्रथम प्रयास परिवार की समृद्धि हेतु प्रार्थना है।।
प्रस्तुत पुस्तक म्रुन्मयाँचल लेखिका के द्वारा अपने जीवन के अनुभवों को अल्फाज़ों की नक्काशी देने के उपरोक्ष में लिखी गयी है। कवयित्री का मानना है कि सतत अभिव्यक्ति ही साहित्यका
प्रस्तुत पुस्तक म्रुन्मयाँचल लेखिका के द्वारा अपने जीवन के अनुभवों को अल्फाज़ों की नक्काशी देने के उपरोक्ष में लिखी गयी है। कवयित्री का मानना है कि सतत अभिव्यक्ति ही साहित्यकार की धरोहर है। इस पुस्तक में लेखिका के द्वारा रस, छंद, अलंकार से पूरित, माँ सरस्वती की वरद लली होने की प्रतिभा का सृजन किया गया है। भगवान शिव पर अपरिमित आस्था, अपने माता-पिता की जीवन में महत्वाकांक्षा और अपने स्वयं के जीवन के कर्म एवं इन्द्रियबोध का वर्णन किन परिस्थितियों में प्रस्फुटित होता है, लेखिका ने संतुलित रूप में दार्शनिक भाव से उनकी अभिव्यक्ति की है।
यह किताब कहानी के माध्यम से लिखी गयी है। यह किताब मेरे कमजोर वक़्त की कृति है और मुझे यह कहने में जरा सा भी संकोच नहीं है कि मेरा वक़्त कमजोर था मैं नहीं। मैं अपने लक्ष्य को लकर अडिग थ
यह किताब कहानी के माध्यम से लिखी गयी है। यह किताब मेरे कमजोर वक़्त की कृति है और मुझे यह कहने में जरा सा भी संकोच नहीं है कि मेरा वक़्त कमजोर था मैं नहीं। मैं अपने लक्ष्य को लकर अडिग था। मुझे पता था ये वक़्त है आज नहीं तो कल बीतेगा ही। जिस तरह मैं अपने कमजोर वक़्त से ताकतवर बन के वापस लौटा उसी प्रकार मैं चाहता हूँ कि आप भी अपने कमजोर वक़्त से लड़ें, गिरे पर हार नहीं माने। आने वाला अगला सूरज आपका होगा।
जैसे एक नाव समुद्र में लहरों की बदौलत अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती है। वैसे ही हर इंसान के अंदर एक शक्ति है। जो एक अच्छी प्रेरणा से उनको मंजिल और सही रास्तों की तरफ ले जाती है।
प्रिय पाठकों प्रेम जीवन की वह अमूल्य भेंट है, जिसके होने मात्र से कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ होता हुआ प्रतीत होता है। प्रेम स्वयं का दूसरे के प्रति समर्पण है। यदि इसे और अधिक महत्
प्रिय पाठकों प्रेम जीवन की वह अमूल्य भेंट है, जिसके होने मात्र से कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ होता हुआ प्रतीत होता है। प्रेम स्वयं का दूसरे के प्रति समर्पण है। यदि इसे और अधिक महत्व दें तो आत्मसमर्पण कहना गलत नहीं होगा। प्रेम के यथार्थ के विषय में यदि कहा जाए तो प्रेम निश्छल और निःस्वार्थ होना चाहिए क्योंकि जहाँ स्वार्थ है वहाँ प्रेम है ही नहीं।
प्रेम को समझना बहुत ही सरल किंतु उतना ही कठिन भी है। और यह सबकुछ परिस्थितियां तय करती हैं। कभी कभी परिस्थितियां यदि विपरीत हों तो जिससे आप अत्यंत प्रेम करते हैं उससे उतनी ही घृणा भी हो जाती है।और इसका यह प्रभाव पड़ता है कि भविष्य में किसी पर विश्वास करना अत्यंत कठिन हो जाता है। यदि अन्य पहलू पर विचार करें तो, आपके प्रेम संबंध यदि टूटते हैं तो यह इस बात का कतई परिचायक नहीं है कि आपके साथ धोखा ही हुआ है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं अथवा कोई मजबूरी भी हो सकती है। किसी का अनुभव अच्छा रहा, किसी का बेकार भी, यदि इस आधार पर देखा जाए तो प्रेम की अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग परिभाषाएं हैं।
प्रेम के आबंध में
प्रेम के प्रबंध में
बस प्रेम ही प्रेम हो
प्रेम के निबंध में
इस काव्य संग्रह में आप प्रेम के अलग-अलग पहलुओं से अवगत होंगे। वास्तविकता और काल्पनिकता के आधार पर शब्दों के द्वारा प्रेम के विभिन्न पहलुओं को काव्य के रूप में दिखाने की कोशिश की है।
हर देश के सैनिक उस देश की शान होते हैं। यह देश के रक्षक होते हैं जो सरहद पर रहकर देश की रक्षा करते हैं। इनमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होती है और यह अपनी मातृभूमि को सबसे ज्यादा प्या
हर देश के सैनिक उस देश की शान होते हैं। यह देश के रक्षक होते हैं जो सरहद पर रहकर देश की रक्षा करते हैं। इनमें देशभक्ति कूट-कूट कर भरी होती है और यह अपनी मातृभूमि को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। सैनिक देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देते हैं। सैनिक देश और देश की रक्षा के लिए नहीं रेगिस्तान की तपती धरती देखते हैं और न हीं पहाड़ो की सर्दी देखते हैं। वे खराब से खराब हालात में भी सरहद पर चौकन्ना होकर खड़े रहते हैं। सैनिक त्योहारों पर भी अपने घर नहीं जा पाते हैं। उनके लिए सभी देशवासी उनके परिवार हैं। हम सभी लोग बिना किसी चिंता के खुशहाली से अपना जीवन सिर्फ सैनिकों की वजह से जी रहे हैं। हम सब जानते हैं कि सैनिक बाहरी मुसीबतों को हम तक आने से पहले ही रोक देते हैं। वह दुश्मनों का डटकर मुकाबला करते हैं और अपनी अंतिम श्वास तक उनका हिम्मत से सामना करते हैं। सैनिक त्योरारों के दिनों में और भी ज्यादा चौकन्ना हो जाते हैं और सावधानीपूर्वक खड़े रहते हैं। देश के अंदर भी जब कोई बड़ी मुसीबत आती है तो सैनिकों को ही बुलाया जाता है। देश की सुरक्षा में सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
जीवन आपसे आपके बलिदान की मांग करता है, आप जो भी काम कर रहे हैं उसको पूरी ईमानदारी से करनी चाहिए। यह किताब 30 कविताओं से मिलकर जरूर बनी हुई है। लेकिन इसमें परिवार, अध्यापक, युवाओं, प्
जीवन आपसे आपके बलिदान की मांग करता है, आप जो भी काम कर रहे हैं उसको पूरी ईमानदारी से करनी चाहिए। यह किताब 30 कविताओं से मिलकर जरूर बनी हुई है। लेकिन इसमें परिवार, अध्यापक, युवाओं, प्रेम पर आधारित कविताओं संगम हैं। जीवन में आप भी इस तरह का प्रयास करें। जीवन में लिखना और किसी को समझना आनंद प्रदान करता है। आपकी सेवा में "निकेश ठाकुर शांगरी" आगे भी तत्पर रहेगा। परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए "हिमाचल प्रदेश सामान्य ज्ञान" पुस्तक भी बहुत जल्द आपके हाँथ में होगी। "जरा कह दो भाग-2" भी अन्य युवा कवि और कवियत्री की रचनाओं के साथ प्रकाशित किया जायेगा।
अगर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त किये बिना सामने वाले के दिल में उतर जाना चाहते हैं, तो आपको शायरी करनी चाहिए। शायरी की चंद लफ़्ज़ों में हम वो बात कह देते हैं जिसे कहने में हमें जमाने ल
अगर आप अपनी भावनाओं को व्यक्त किये बिना सामने वाले के दिल में उतर जाना चाहते हैं, तो आपको शायरी करनी चाहिए। शायरी की चंद लफ़्ज़ों में हम वो बात कह देते हैं जिसे कहने में हमें जमाने लगते हैं।
मेरा विश्वास है कि यह पुस्तक अनेक युवाओं को उनकी भावनाओं को शब्दों में बदलने को प्रेरित करेगी। इस किताब के माध्यम से मैंने लड़कपन से जवानी तक का सफर जीया है।
नारी मन की सतरंगी भावनाओं को उजागर करती ये कहानियाँ आपको भी कहीं ना कहीं छू कर सोचने पर मजबूर कर देगी कि नारी का स्थान हमारे समाज में सबसे ऊँचा हो और उसे सब देवी भाव से देखें और स
नारी मन की सतरंगी भावनाओं को उजागर करती ये कहानियाँ आपको भी कहीं ना कहीं छू कर सोचने पर मजबूर कर देगी कि नारी का स्थान हमारे समाज में सबसे ऊँचा हो और उसे सब देवी भाव से देखें और सम्मान करें। नारी स्वयं भी अपने को हीन भावना से ना देखे। नारीत्व की गरिमा से भरी अपने परिवार, समाज और देशहित कार्यों में भरपूर सहयोग करे।
इस किताब में वो इश्क है, जो लॉक डाउन के समय जेठ की तपती दोपहरी में घरों से बाहर आ गया। जब लोग घरों में थे तो वे किरदार एक नया संसार रच रहे थे, वो भी तब जब लोग कोरोना जैसी महामारी के ख
इस किताब में वो इश्क है, जो लॉक डाउन के समय जेठ की तपती दोपहरी में घरों से बाहर आ गया। जब लोग घरों में थे तो वे किरदार एक नया संसार रच रहे थे, वो भी तब जब लोग कोरोना जैसी महामारी के खौफ से घरों में कैद थे। इसमें इश्क की ऐसी ही दस्तानें हैं, जो उनके संघर्ष, उसकी सफलता और उनकी विरह-वेदना को बताती हैं। ऐसी निशानियाँ हैं, जो यादगार हो गईं। सफर और उसका हर लम्हा इश्क-इश्क हो गया। ये पल और ये निशानियाँ उन किरदारों के जीवन में अद्भुत संसार का सृजन करती हैं। ये निशानियाँ हर पल उनके जीवन में नया संगीत लाती हैं। इन्हीं के दम पर उनका इश्क इठलाता है तो कभी नृत्य करता है। रूठता है तो कभी मानता है। इश्क खुशी के महोत्सव में नाचता भी है और विरह की वेदना में तड़पता भी है। यही इसकी खूबसूरती है।
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़-दर-हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव में उसे ढूंढने की कोशि
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़-दर-हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव में उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है। कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है।
किसी ने सच ही कहा है, दुनिया की सबसे सुन्दर वार्तालाप माँ और उसके नौनिहाल के बीच होती है। बच्चा जब अपनी तोतली आवाज में "माँ" बोलता है तो ऐसा लगता है कि एक नई संगीत फूट पड़ी हो, जिसे सु
किसी ने सच ही कहा है, दुनिया की सबसे सुन्दर वार्तालाप माँ और उसके नौनिहाल के बीच होती है। बच्चा जब अपनी तोतली आवाज में "माँ" बोलता है तो ऐसा लगता है कि एक नई संगीत फूट पड़ी हो, जिसे सुन "माँ" का हृदय अत्यधिक ही सुकून पाता है। मेरा मानना है कि बच्चे की तोतली आवाज में निकला "माँ" शब्द दुनिया की सबसे सुन्दर, सटीक एवं सजीव कविता है।
कविता अपने आप में कभी पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढ़ता है, उस कविता के हर्फ- दर-हर्फ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभवों में उसे ढूँढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है; कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है। कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है।
...उसने मुड़ के जैसे ही देखा मानो उसके होश ही उड़ गए वह स्नेहा को देखता ही रह गया. लाल साड़ी, बालो का बड़ा सा जूड़ा, झील सी गहरी और सुंदर आँखे; उसमें चार चांद लगाता हुआ काजल, गुलाब की पंख
...उसने मुड़ के जैसे ही देखा मानो उसके होश ही उड़ गए वह स्नेहा को देखता ही रह गया. लाल साड़ी, बालो का बड़ा सा जूड़ा, झील सी गहरी और सुंदर आँखे; उसमें चार चांद लगाता हुआ काजल, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके होठ और उसके श्रृंगार को पूरा करती उसके माथे पर वो छोटी सी लाल बिंदी वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. वह इस बात को सिद्ध कर रही थी कि सुंदरता का रंग से कोई नाता नहीं है !
दोस्तों, आपका प्यार हमेशा सफल और सच्चा हो, ये जरूरी नहीं होता कई बार लोगों को प्यार में धोखा भी होता है लेकिन इसमें कही ना कहीं कमी आपमें भी रही होगी जो आपने ऐसे इंसान से प्यार किया
दोस्तों, आपका प्यार हमेशा सफल और सच्चा हो, ये जरूरी नहीं होता कई बार लोगों को प्यार में धोखा भी होता है लेकिन इसमें कही ना कहीं कमी आपमें भी रही होगी जो आपने ऐसे इंसान से प्यार किया जो आपके के लिए था ही नहीं कही न कही इंसान को परखने में गलती आपसे भी होई होगी ! प्यार आदमी क़ो पागल बना देता है खूनी बना देता है मगर इसी प्यार ने हम जैसो को इंसान बना दिया
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़-दर-हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव में उसे ढूंढने की कोशि
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़-दर-हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव में उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है। कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है।
इस पुस्तक के सम्पादकीय सदस्यों ने वाकई अपनी ईमानदारी का परिचय दिया है। कविताओं को पढ़ते हुए ताजगी का अनुभव होता है। जो लोग समझते हैं कि “आज के युवाओं में संवेदना की कमी हैं उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए”। मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि जब आप इस पुस्तक के सफ़र पर निकलेंगे तो एक प्यारा सा जुड़ाव महसूस करेंगे, और कहीं न कहीं ये आपकी अपनी ही बात लगेगी।
और इतनी सुन्दर पुस्तक बनाने के लिए मैं अपने सम्पादकीय सदस्यों और सह लेखको को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। मेरी शुभकामनाएं आप सभी के साथ है।
-सूरज सिंह
Founder & National President
Kaavyam Publication & Social Welfare Trust
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशि
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है।
कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है|
मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि जब आप इस पुस्तक के सफ़र पर निकलेंगे तो एक प्यारा सा जुडाव महसूस करेंगे, और कहीं न कहीं ये आपकी अपनी ही बात लगेगी|
-सूरज सिंह (शिक्षक, लेखक एवं संपादक)
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशि
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है।
कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है|
मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि जब आप इस पुस्तक के सफ़र पर निकलेंगे तो एक प्यारा सा जुडाव महसूस करेंगे, और कहीं न कहीं ये आपकी अपनी ही बात लगेगी|
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशि
कविता अपने आप में पूर्ण नहीं होती है, उसे पूर्ण बनाता है; पाठक! पाठक जब उसे पढता है, उस कविता के हर्फ़ दर हर्फ़ को अपने जीवन से जोड़ने की कोशिश करता है, अपने अनुभव मैं उसे ढूंढने की कोशिश करता है, उसे आत्मसात करता है, कविता तब ज्यादा सफल मानी जाती है।
कोई भी कविता सिर्फ शब्दों, वाक्यांशों, अक्षरों और वर्णमालाओं से नहीं बनती है, अपितु यह भावनाओं का एक जीवंत संग्रह होती है, जो कवि के अंत: से निकलकर पाठक के मन में समा जाती है|
मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि जब आप इस पुस्तक के सफ़र पर निकलेंगे तो एक प्यारा सा जुडाव महसूस करेंगे, और कहीं न कहीं ये आपकी अपनी ही बात लगेगी|
-सूरज सिंह (शिक्षक, लेखक एवं संपादक)
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.