यह पुस्तक प्रवीण बहल जी द्वारा लिखित कुछ कविताओं व उनके जीवन में घटित घटनाओं पर आधारित है। यह पुस्तक विकलांग वर्ग के जीवन में आने वाली परेशानियों से हमें अवगत करती है। आशा है यह पुस्तक आपको ज़रूर पसंद आयेगी।
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Jab Mai Mar Jaaun / जब मैं मर जाऊँ
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प्रवीण बहल
प्रवीण बहल
पिता: डॉ. मदनलाल बहल व्यवसाय: रिटायर्ड मैनेजर (इंडियन ओवरसीज बैंक ) कॉलेज लाइफ से ही इन्हें अच्छी रचनाएँ लिखने का शौक था । कॉलेज मैग्जीन में ही इनकी कविताएँ, लघुकथाएँ पंजाबी और संस्कृत भाषा में प्रकाशित होती रहीं । 1980 में इन्होंने भारतीय विकलांग संघ कल्याण बनाकर विकलांगों की सेवा की और फिर हरियाणा विकलांग क्रिकेट एसोसिएशन के माध्यम से विकलांग खेलों को मान्यता दिलवाने की कोशिश की। भारतीय विकलांग कल्याण संस्थान ने इनकी कई पुस्तकों का प्रकाशन किया । जिनमें 'रिश्ता', ठुकराती राहें (उपन्यास) प्रकाशित हुईं, साथ ही इनकी रचनाएँ रेडियो पर भी प्रकाशित होती रहती हैं । प्रकाशित कृतियाँ : रिश्ता, ठुकराती राहें (उपन्यास), दिशा, खामोशी, कुछ पल कुवैत में (काव्य संकलन), आँसू बहते रहे, टूटे हुए सपने, जलते चिराग आदि । अन्य उपयोगी पुस्तकें : 1. नवीन फर्स्ट एड, 2. फर्स्ट एड, 3. सिविल डिफेंस, 4. दीया जलाए कौन है, 5. यह कैसे हुआ आदि । बाद में समय समय पर इनकी रचनाएँ एवं काव्य संकलन भी प्रकाशित होते रहे हैं । प्राप्त सम्मान : 1980 मैं इन्हें भारत के राष्ट्रपति महोदय ने नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया, हरियाणा सरकार से दो बार जिला स्तर पर एवं 6 बार बड़े-बड़े पुरस्कार मिले हैं। इनके संघर्ष भरे जीवन पर 600 पेज की एक जीवनी भी लिखी गई है। पता : 94 सेक्टर 4, गुरुग्राम (हरियाणा) मो न : 9810499916