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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकविताएँ, मन का आईना होती हैं । मेरा इश्क तो कभी मुकम्मल ना हो सका , कुछ दर्द मिला और कुछ तनहाई । इस किताब में कुछ मेरे ज़ज्बात हैं और कुछ दूसरों को समझते वक्त जो अहसास हुआ ,वो । यह किताब मोहब्बत, तन्हाई, फ़रेब, जुदाई, प्यार की हद जैसे शब्दों के मायने समझने की कोशिश है ।
दुर्गेश जयम कुर्मी
मैं दुर्गेश कुर्मी । एक विद्यार्थी , और फ़िलहाल तो अपनी शिक्षा पूरी करने में व्यस्त हूँ । पर थोड़ा-सा वक्त निकालकर अपने ज़ज्बातों को कलम की सहायता से पन्नों पै उतार देता हूँ । उन्हीं में से कुछ मेरी किताब में हैं । मैं कहने से ज्यादा करने में विश्वास रखता हूँ , तो अपने ज़ज्बातों को किसी के सामने कहने के बजाए ; मैं अपनी पंक्तियों के माध्यम से ज़ाहिर करता हूँ ।
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