""एक महोब्बत ऐसी भी"
शाम का समय था। मैं रेलवे स्टेशन पर एक बैंच पर एकांत में बैठा ट्रैन का इंतजार कर रहा था। ट्रैन दो घंटे बाद आने वाली थी।
अचानक एक सुंदर सी महिला मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं महिलाओं से वैसे ही घबराता हूँ। अनजान हो तो मेरी जान ही निकलने लगती है।
कुँवारा ब्रह्मचारी आदमी ठहरा इतने करीब जनानी को कैसे सहन कर पाता। मैं खड़ा होकर चलने लगा तो उसने कहा बैठ जाओ।
मैंने आँखों से प्रश्न किया:-",???"
जवाब में वह बोली:-