प्रकृति का एक चक्र है और सभी प्राणी इस चक्र के अंतर्गत हैं । मानव सर्व बुद्धिजीवी होने के अहंकार में सदैव प्रकृति के चक्र से अलग चलने और प्रकृति के चक्र को अव्यवस्थित करने का कार्य किया है । समस्याएं कैसी भी हों कारण सिर्फ यही है “प्रकृति चक्र से अलग होना” । समस्याएं एक तरफ मानसिक असंतुलन करके जीवन को और स्वस्थ को बिगाड़ती हैं तो दूसरी तरफ मानवीय विचारधारा को नकारात्मक करके समस्त जीवमंडल के लिए विनाशकारी साबित होती हैं ।
“प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों का जीवन अनुभव” पुस्तक हमारा छोटा सा प्रयास है जिसमें तमाम पाठकों को प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों के अनुभवों से नवीन प्रेरणा का संचार होगा । प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति यह प्रेरणा निश्चित ही प्रत्येक मानव को तमाम ऐसी दवाएं जिनका स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी पड़ता है, से मुक्त होकर तन-मन-आत्मा से समृद्ध होकर सौ वर्ष सुखमय जीवन की तरफ अग्रसित करेगी ।
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