मोनोलाॅग का अर्थ है एकालाप, अर्थात् एक व्यक्ति/पात्र का संवाद। यह संवाद 30 सेकंेड से 30 मिनट या डेढ़ घंटे तक का हो सकता है। इसमें सिर्फ एक पात्र अकेले कई पात्रों की भूमिका निभाता है। मोनोलाॅग, लेखक, अभिनेता और निर्देशक तीनों के लिए, काफी कठिन और चुनौती-पूर्ण माना जाता है। एक-दो मिनट का संवाद तो क्रिएट किया जा सकता है। यू ट्यूब पर एक-दो मिनट के बहुत से मोनोलाॅग देखे जा सकते हैं। लेकिन सिर्फ मोनोलाॅग के बल पर एक पूरा नाटक खड़ा करना बहुत कठिन तथा श्रमसाध्य काम है और यह काम सिर्फ वही नाटककार कर सकता है, जिसे लेखन के साथ-साथ मंच के टेकनिकल पक्ष का भी ज्ञान हो। फिर बात आती है इसके निर्देशन की। इसे निर्देशित करना भी एक दुःसाघ्य काम है क्यांेकि इसको कनसीव करना हर निर्देशक के वश की बात नहीं। और कलाकार के लिए तो यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण काम है। सिर्फ एक कलाकार 5 मिनट से दो घंटे तक अकेले कई पात्रों की भूमिका निभाए और दर्शकों को ऊबने न दे, यह कोई मामूली बात नहीं। मोनोलाॅग के लिए सिद्ध लेखक, कलाकार और अनुभवी निर्देशक अपेक्षित हंै।
इस पुस्तक में सिर्फ संवाद नहीं, मोनोलाॅग पर आधारित नाटक हंै, वह भी एक नहीं, सात।
उम्मीद है, इन नाटकों को पढ़ने और प्रस्तुत करने में आपको काफी आनंद आएगा और आप एक नये रोमांचक अनुभव से होकर गुजरेंगे। चूंकि ये एकल नाटक हैं, इसके लिए बहुत छोटी टीम की जरूरत पड़ेगी। बल्कि बिना किसी टीम के भी इन्हें मंचित किया जा सकता है। अगर अभिनय का जुनून है, तो सोचना क्या, इन्हें पढ़िए, कनसीव कीजिए और शुरू हो जाइए।