मंजिल -ए- इश्क ऐसी मंजिल है जो कभी पूरी नही होती, हाँ बेशक इसके रास्ते खुबसूरत हो लेकिन सफर बहुत कठिन होता है ।इस रास्ते पर चलने वाला हर शख्स अपनी मंजिल को पाना चाहता है । मगर शायद ही कोई अपनी मंजिल तक पहुंच पाया होगा।
इस पुस्तक मे ऐसे ही मंजिल -ए - इश्क की कठिन सफर और खुबसूरत एहसास की दास्तां है ।