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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalAbout the Book
नाम किसी के लिए भी उसके अस्तित्व की पहचान होती है और अगर हम बात करे इस किताब "नाम" की तो इसकी भी कहानी कुछ ऐसी ही है। मैंने मां सरस्वती की कृपा से अपने मन की सभी भावनाओं को कागज़ पर स्याही से उकेरा है और सभी को अलग अलग नाम दिया है । मगर जब आज मैंने सबको सम्मिलित किया तो मेरे सतरंगी विचारों ने खुद मुझे ही असमंजस में डाल दिया कि अब इनके समूह को क्या नाम दिया जाए?
फिर मैंने अपने किताब का नाम इसलिए "नाम" रख दिया क्यूंकि मेरी यह अभिलाषा है कि आप सभी पाठकगण मेरे इन विभिन्न परिस्थितियों में लिखे गए रचनाओं को पढ़े और फिर अपने अनुभव के अनुसार इस किताब को एक नाम दें ठीक उसी तरह जैसा कि एक नवजात शिशु को उसके गुण और लक्षण के अनुसार नाम दिया जाता है।
आप सब इस किताब "नाम" को कृपया पढ़े और मुझे मेरी खूबियों के साथ साथ खामियों से भी अवगत करवाएं ताकि आगे से मैं मेरी उन गलतियों को ना दोहराऊं और साथ ही अपनी खूबियों को और निखार सकूं क्योंकि
"कलम के सहारे कल कोई कलाम होगा,
जब नाम बिगड़ेगा किसी का तब ही तो नाम होगा।"
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.स्मृति त्रिवेदी
स्मृति त्रिवेदी का जन्म 23 जुलाई 2001 को हुआ था। ये धनबाद (झारखंड) की रहने वाली हैं। इनकी उम्र 20 साल है और ये पेशे से एक विद्यार्थी हैं। इन्होंने अपने ही शहर में अंग्रेजी विषय में स्नातक की पढ़ाई को जारी रखा है । इन्हें पढ़ने पढ़ाने का शौक तो बचपन से था परंतु लिखने का शौक भी है ये कोरोना काल ( 2020) में इन्हें पता चला, जब अपनी 12वी कक्षा की परीक्षा के बाद घर बैठे इनका समय यूं ही व्यर्थ जा रहा था। फिर इन्होंने 12 जून 2020 को कलम थाम पहली बार कोरोना काल से संबंधित घटना पर आधारित कहानी लिख लेखनी की दुनिया में अपना पहला कदम रखा और सह - लेखिका बनने का अवसर प्राप्त किया। यहां से ही इनके अंदर लेखन के प्रति एक अजब सी रुचि देखते को मिली क्योंकि उस दिन से लेकर आज तक ये कलम के संग अपना सफर तय करती आ रही हैं। अब ये अपने हर एक सुख दुख को कलम के माध्यम से दर्शाती हैं और यह भी मानती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में जीवन ने इन्हें एक अलग ही दुनिया का अनुभव कराया है। इन्होंने कई किताबों में सह - लेखिका बन अपनी कविताओं को लोगों तक पहुंचाया है। ये हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखती हैं । इन्हें समाज में कम बात किए जाने वाले विषयों पर लिखने में ज़्यादा रुचि है। वैसे ये अन्य विभिन्न विषयों पर भी अपनी कलम से सैर करना पसंद करती हैं। ये किसी भी निश्चित विधा में नहीं लिखती, बस जो इनके दिल में आता है उसे कलम के माध्यम से कागज़ पर उकेर देती हैं। इन्हें नए नए लोगों से जुड़ना और उनसे बात करना बहुत अच्छा लगता है। ये कई लेखन समूहों से भी जुड़ी हैं और अपनी एक नई पहचान बनाने के प्रयास में दिन रात मेहनत कर रही हैं।
इन्हें आगे और पढ़ने के लिए आप इनके विभिन्न अकाउंट्स को फॉलो करिए -
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