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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palये नाटक कुछ खास उद्देश्य से लिखे गए हैं। कभी-कभी नाट्य संस्थाओं को बहुत शॉर्ट नोटिस पर नाटक खेलने होते हैं। कई बार स्कूल और कॉलेज के छात्र नाटक प्रस्तुत तो करना चाहते हैं लेकिन उनके पास रिहर्सल के लिए ज्यादा समय नहीं होता। ऐसे समय में ये नाटक आपके बहुत काम आने वाले हैं। इन नाटकों को बहुत कम समय में तैयार किया जा सकता है। अलग-अलग स्थिति, समय, थीम को ध्यान में रखकर आप सही नाटक का चयन कर पाएंगे। लगभग सभी नाटकों में कुछ सकारात्मक संदेश प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद हैं।
उम्मीद है, आपको इन नाटकों को मंचित करने में बहुत आनंद आएगा।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.कुमार संजय
डॉ. कुमार संजय पिछले 36 वर्षों (1986 से) से 'स्पेनिन' नामक सॉफ्ट स्किल्स का एक प्रमुख संस्थान चला रहे हैं। अपने सॉफ्ट स्किल्स (स्पोकन इंग्लिश, ग्रुप डिस्कशन, इंटरव्यू फेसिंग और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट) सुधारने के लिए हर साल लगभग 1000 छात्र उनसे जुड़ते हैं। उन्होंने उपर्युक्त विषयों पर 18 पुस्तकें लिखी हैं जो नोशन प्रेस, अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और किंडल पर उपलब्ध हैं। वह अपनी नवीन शिक्षण तकनीकों, जीवंतता और ज्ञान प्रदान करने के जुनून के लिए अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
अपने संगठन को चलाने के अलावा, डॉ कुमार को उपरोक्त पाठ्यक्रमों के लिए शीर्ष स्तर की सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा अतिथि संकाय के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से अपनी पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने अंग्रेजी में मास्टर्स किया है और पीएचडी की डिग्री हासिल की है।
इंग्लिश के व्याख्याता होने के साथ-साथ डॉ. कुमार संजय हिंदी पर भी अद्भुत पकड़ रखते हैं।
आप हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में नाटक लिखते हैं। अबतक आप लगभग सौ नाटक लिख चुके हैं। आपकी 42 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं - 24 हिंदी में, 18 अंग्रेजी में। 2011 में आपको मोहन राकेश सम्मान से विभूषित करते हुए साहित्य कला परिषद, नई दिल्ली ने टिप्पणी की थी -‘कुमार संजय एक ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने भाषा की व्यंजना को अपनी रचना में महत्व दिया है। व्यंग्यात्मक, चुटीली, रसीली भाषा दर्शक से सीधा संवाद करने में कहीं अधिक कारगर होती है। पहली नजर में उनके विषय हल्के लग सकते हैं पर धीरे-धीरे उनकी परतें खुलती हैं तो बड़ी ही सरल-व्यंग्यात्मक भाषा में एक गंभीर विषय दर्शकों के सामने होता है। यही कुमार संजय की रचनात्मक विशिष्टता है।’
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