प्रेम का स्वरूप जैसा भी हो, चाहे वह व्यक्ति विशेष हो या वस्तु विशेष, उसमें यदि गहराई हो तो वह योग बन जाता है। मैंने इसे स्वयं अनुभव किया और प्रेम योग का निर्माण हुआ। यही प्रेम-योग आज आत्म योग के लिए अग्रसर है जिसके लिए मैं प्रयासरत हूँ। यदि व्यक्ति में गहराई हो तो उसमें अवश्य ही आत्म-योग घटित होगा, मेरी अटूट आस्था है।