डॉ॰ आरती ‘लोकेश’ गोयल का यह उपन्यास ‘ऋतंभरा के 100 द्वीप’ विस्तार और पेचीदगी के साथ विशिष्ट मानव जीवन का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों से संबंधित वास्तविक एवं काल्पनिक घटनाओं द्वारा मानव जीवन के रहस्य का रसात्मक रूप से उद्घाटन करता है। प्रकारांतर से यह उपन्यास लगभग सौ वर्ष के काल्पनिक इतिहास को समेटे हुए है। सत्ता के लिए रक्तपात के साथ-साथ, मानव-मानव के बीच प्रेम, भाईचारे, मानव-कल्याण की भी समष्टि की गयी है। प्रारंभ में लगेगा कि यह पौराणिक काल की कथा है तो