‘कथ्य अकथ्य’ तथा ‘अश्रुत श्रव्य’ के बाद ‘स्याह धवल’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ का तीसरा गद्य-विविधा संग्रह है। इसमें कथेतर गद्य विधाओं की श्वेत श्याम में बसे तथ्यों के बीच 31 प
‘कथ्य अकथ्य’ तथा ‘अश्रुत श्रव्य’ के बाद ‘स्याह धवल’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ का तीसरा गद्य-विविधा संग्रह है। इसमें कथेतर गद्य विधाओं की श्वेत श्याम में बसे तथ्यों के बीच 31 प
‘सात समुंदर पार’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 23वीं पुस्तक है। इसके अतिरिक्त उनके 4 उपन्यास, 4 कहानी-संग्रह, 4 काव्य-संग्रह, 4 गद्य-संकलन तथा 6 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हैं।
भारत से अमेरि
‘सात समुंदर पार’ डॉ. आरती ‘लोकेश’ की 23वीं पुस्तक है। इसके अतिरिक्त उनके 4 उपन्यास, 4 कहानी-संग्रह, 4 काव्य-संग्रह, 4 गद्य-संकलन तथा 6 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हैं।
भारत से अमेरि
संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक वह कार्य होता हुआ दिख जाता है जो युगांतर से असंभव समझा जाता रहा है। यहाँ की ऊष्ण जलवायु में जैसे वनस्पति उत्तरजीविता सीख लेती है, व
संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक वह कार्य होता हुआ दिख जाता है जो युगांतर से असंभव समझा जाता रहा है। यहाँ की ऊष्ण जलवायु में जैसे वनस्पति उत्तरजीविता सीख लेती है, व
‘फ़िबोनाची वितान’, पुस्तक की कहानियों में अनंत फैलाव की संभावना उपस्थित है। न केवल ‘फ़िबोनाची प्रेम’ में अनंत फैलाव प्रेक्षेपित है, ‘गजदंत’ स्त्रीत्व के स्वामित्व, स्व
अश्रुत श्रव्य' कथेतर गद्य की विविध विधाओं में लिखी गई 31 रचनाओं का संकलन है। इनमें शोध पत्र, शोधपरक आलेख, तथ्यात्मक लेख, भ्रमण वृत्तांत, साक्षात्कार, पत्र, संवाद, भेंटवार्ता, साक
यू.ए.ई. एक छोटा-सा देश है। भूमंडल के नक्शे पर सहज ही दिख जाए, ऐसा वृहदाकार नहीं है। खोजने से मिल जाए, ऐसा अवश्य है। मध्य पूर्व के देशों के पूर्वग्रह से अलग हटकर इसने अपनी पहचान बनाने
‘षड्गंधा’ संग्रह में समेटी गई कविताएँ भिन्न-भिन्न अवसरों पर, भाँति-भाँति की मन:स्थिति में और नाना प्रकार की भावनाओं की स्याही को कलम में भरकर पन्नों पर उतारी गई हैं। कभी यह कल
'झरोखे' वस्तुओं को देखने वाले लैंस की तरह ही हैं। जैसा लैंस होगा, वैसा ही दिखाई देगा। लैंस मैला है, तड़का है या अपारदर्शी है, वस्तुएँ वैसी ही दिखेंगी। दुनिया को देखने के लैंंस झरोखे
डॉ॰ आरती ‘लोकेश’ गोयल का यह उपन्यास ‘ऋतंभरा के 100 द्वीप’ विस्तार और पेचीदगी के साथ विशिष्ट मानव जीवन का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों से संबंधित वास्तविक एवं काल्पनि
डॉ. आरती लोकेश लगभग दस वर्षों से साहित्य साधना में निरन्तर समर्पित हैं। दुबई यू.ए.ई की निवासी होने के कारण भारतीय संस्कृति और संस्कारों के साथ दुबई यू.ए.ई की संस्कृति और संस्कारो
दुबई की पृष्ठभूमि पर रचा उपन्यास ‘निर्जल सरसिज’ माँ बेटी के संबंधों की गंभीर पड़ताल करता है। इसमें तीन माँ-बेटी की कहानी आगे-पीछे और कभी साथ-साथ चलती है। श्यामला-नलिनी, नलिनी-अ
गद्य-साहित्य पर शोधरत विद्यार्थी जानते हैं कि मात्र उपन्यास, कहानी, लघुकथा और नाटक ही गद्य नहीं हैं। गद्य का क्षितिज कथा-साहित्य के आकाश और कथेतर साहित्य की धरा के मिलन से बनता ह
साहित्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पण की जीती-जागती मिसाल डॉ. अशोक कुमार ‘मंगलेश’ अपनी साहित्यसेवा को विद्यार्जन व ज्ञानार्जन का मार्ग बताते हैं। सत्य ही है, उनका व्यक्तित्व व क
डॉ. आरती ‘लोकेश’ का सन 2015 में प्रकाशित पहले उपन्यास ‘रोशनी का पहरा’ के लंबे अंतराल बाद प्रकृत उपन्यास रचना है। उपन्यास में स्त्री केंद्रित विभिन्न विषयों के सूक्ष्म चित्र
स्त्री का हृदय मोम के जैसा होता है। तात्पर्य कोमलता से नहीं, मोम की इस विशेषता से है कि ज़रा सी ऊष्मा से पिघल जाता है। स्वयं जलकर दूसरों के आँगन में प्रकाश देता है, और अँधेरा अपने तल
यू.ए.ई. जैसे अरबीभाषी देश में स्कूली बच्चों की सम्मोहित कर देने वाली प्रतिभा का समन्वय है पुस्तक ‘होनहार बिरवान’। अंग्रेज़ी भाषा में सिद्धहस्त अल्पयुवा बालकों द्वारा ‘हिंद
यू.ए.ई. जैसे अरबीभाषी देश में स्कूली बच्चों की सम्मोहित कर देने वाली प्रतिभा का समन्वय है पुस्तक ‘होनहार बिरवान’। अंग्रेज़ी भाषा में सिद्धहस्त अल्पयुवा बालकों द्वारा ‘हिंद
कुहासे के तुहिन कथा संग्रह में कुल ग्यारह कहानियाँ संकलित हैं। कथाकारा स्वयं उच्च शिक्षित एवं मध्यवर्गीय समाज से सम्बंधित हैं इसलिए उन्हें भारतीय संस्कृति सहित विदेशी सभ्या
स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य में रघुवीर सहाय के अद्वितीय लेखन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर गंभीरता से लिखा है। वे व्यापक अर्थों में साह
‘साँच की आँच’ सत्य से जूझती ग्यारह कहानियों का अद्भुत संगम है जिनमें प्रेम, संघर्ष, लगन, श्रद्धा, आत्मबल की पावक में परिशुद्धता ग्रहण कर संशय, भेदभाव, लोभ, स्वार्थ को तिरोहित क
स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य में रघुवीर सहाय के अद्वितीय लेखन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर गंभीरता से लिखा है। वे व्यापक अर्थों में साह
‘प्रीत बसेरा’ कवयित्री का दूसरा काव्य संग्रह है। पहले काव्य संग्रह ‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’ की सफलता के बाद ‘प्रीत बसेरा’ में वे प्रेम में रची-पगी सी कविताएँ लाईं हैं।
सौंदर्य व आस्था के करीब ...
‘छोड़ चले कदमों के निशाँ’ में कवयित्री ने मानव संवेदनाओं को समेटते हुए 62 कविताओं का समावेश किया है जिन्हें पाँच भागों में विभाजित किया है। वे है
“नेमु! दो कप चाय ले आ गार्डन में।” अपने घुँघराले बालों को लपेटकर जूड़े का रूप देते हुए स्वर्णलेखा सीढ़ियों से उतरी Read More...
प्रीत का अरुण गुलाब यों, मेरे जूड़े में खोंस देना, कपोल-पंखुड़ी रंग खिले, स्नेह शीतल ओस देना। बंधन सात जनम फिर भी, मुझी Read More...