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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal'साधना और समर्पण' कुछ हिंदी कविताओं के माध्यम से स्वाध्याय और आध्यात्म को छूने का प्रयास है। यह विषय जितना गूढ़ है उतना ही निजी भी है। दुनिया भर के शास्त्र, ग्रंथ, गुरु इस विषय पर हमें दिशा या सिद्धांत तो दे सकते हैं; पर इस का ज्ञान हम शायद सिर्फ अपने निज जीवन से, निजी व्यक्तित्व से, अपने अंर्तमन मे झांक कर, चिंतन कर ही पा सकते है। आत्मा व परमात्मा का कोई भौतिक स्वरूप न होने के कारण उसका एहसास हमें सिर्फ अनियंत्रणनीय घटनाओं से होता है। और तब हमारा स्वयं से साक्षात्कार भी एक अलग ही स्तर पर होता है। शायद यही हमारे जन्म और जीवन के उद्देश्य को जानने का व आत्मोन्नति का मार्ग भी होता है।
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डॉ. अंजू दवे वैश
डॉ. अंजू दवे वैश, स्ट्रेटेजिक कम्युकेशन विशेषज्ञ हैं। ब्रांडिंग, पर्यावरण व सस्टेनेबिलिटी विषयों पर इन्होंने अंतराष्ट्रीय स्तर पर लेखन एवं कार्टून इलस्ट्रेशन्स, स्पीकिंग (Sustainable brands USA, World Marketing Congress आदि), व प्रोजेक्ट्स किये हैं। इन्होंने अपने TryforGood वेंचर से युवाओं को प्रेरित किया- साइंस एक्सप्रेस पर exhibit, ग्रो सेफ फ़ूड कैम्पेन, व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पीच इम्पेयर्ड के लिए एप्प आदि- कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स किये। हाल ही मे लिखी इनकी किताब -The Change Generation युवाओं को काफ़ी प्रेरक लगी। अंजू ने बायोटेक्नोलॉजी मे PhD की है; MBA (marketing) के पश्चात IIM, Bangalore व Ithaca New York से इन्होंने स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन मे स्पेशलाइजेशन किया।
पर्यावरणीय या बाह्य सस्टेनेबिलिटी से आगे इनकी रुचि Inner sustainability की तरफ बढ़ी। भारत के कई आध्यात्मिक गुरूओं को श्रवण व अध्ययन के साथ साथ इन्होंने UC Berkeley से साइंस एंड हैप्पीनेस मे कोचिंग भी ली है। अंजू का मानना है कि अन्तर्मन की चेतना (consciousness) से हम न केवल पर्यावरण, बल्कि परिवार, समाज या स्वयं के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। हम अपने जीवन का उद्देश्य भौतिकता से ऊपर समझ, स्वयं को बेहतर तराश सकते हैं।
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