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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसबके भीतर कहीं न कहीं कोई न कोई कहानी है, जिसे आप सब किसी के सामने कभी रख नहीं पाए है। लेखकों के उभरते मन की बात को सबके सामने प्रस्तुत करने के लिए "सबके हिस्से के किस्से" कला और कलम द्वारा संकलित की गई है। जिसमे अलग अलग राज्य से अलग अलग लेखकों ने अपनी रचनाएं दी है। इस संकलन के माध्यम से सभी ने अपने अपने मन की बात बात कही है । कहानियाँ वही हैं जो हम सबने अपने आस पास देखी हैं और महसूस की हैं। ये लघु कथाएँ हमारे सह- लेखकों के मन के कोने में छुपी वो बातें भी कह जाती हैं जो शायद वो या आप पाठक अपने मन के किसी कोने में रख के भूल जाते हैं। चाहे वो हमारे जीवन से जुड़ा कोई पुराना किस्सा हो या मन में दबी कोई इच्छा। इन लघु कथाओं में सबने अपने किस्से बयाँ किए हैं। कला और कलम के मंच द्वारा हम ऐसे ही किस्से अपने पाठकों से साझा कर रहे हैं।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.भवदीप और मानस दीक्षित
कला और कलम एक संस्था है, जिसकी शुरुआत भवदीप सैनी, सिद्धार्थ राज, तथा रजनीश कुमार झा द्वारा की गयी। भारती त्रेहन, श्रुती यावलकर दिक्षा बावा और माहूर मलिक अन्य टीम सदस्य है जो यहाँ होने वाली प्रतियोगिताओं के आयोजन में सहायता करते हैं।
कला और कलम का मूल कार्य यह है कि उभरते लेखकों को एक मंच प्रदान किया जा सके जहाँ वे कुछ नया सीख सकें जान सकें तथा आगे बढ़ सकें। इस संस्था द्वारा प्रतिदिन अलग अलग विषयों पर प्रतियोगिता करवाई जाती है ।
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