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saheb / साहेब दलितों से परे

Author Name: Ankit Bagdi | Format: Paperback | Genre : Biographies & Autobiographies | Other Details

आख़िर वह व्यक्ति, जिसे अपने ही देश में पानी तक पीने से वंचित किया गया, कैसे उसी राष्ट्र का संविधान निर्माता बन गया?

‘साहेब (बियॉन्ड दलित्स)’ भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के जीवन की एक गहन और संवेदनशील यात्रा है—एक ऐसा जीवन जिसने अपने व्यक्तिगत अपमान को सामाजिक क्रांति में रूपांतरित किया। यह पुस्तक उस युगपुरुष की कथा कहती है, जिसने एक अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देने का साहस किया; न केवल अपने लिए, बल्कि उन करोड़ों आवाज़ों के लिए जो सदियों से दबा दी गई थीं।

यह ग्रंथ उनके जीवन के संघर्षों, सिद्धांतों और उस विराट दृष्टिकोण को उजागर करता है, जिसने उन्हें केवल एक दलित नेता नहीं, बल्कि समस्त मानवता का पथप्रदर्शक बना दिया। उन्होंने स्त्रियों, श्रमिकों, वंचितों और उस अजन्मे शिशु तक के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, जो अभी इस धरती पर आया भी नहीं था।

डॉ. अम्बेडकर का आंदोलन केवल सामाजिक न्याय का प्रयत्न नहीं था, बल्कि एक नैतिक क्रांति थी—एक ऐसा स्वप्न जिसमें हर व्यक्ति को समानता, गरिमा और अवसर मिले।

यह पुस्तक स्मरण कराती है कि महानता जन्म से नहीं मिलती; उसे अपने कर्मों से अर्जित करना पड़ता है। यदि एक बहिष्कृत बालक, शिक्षा और आत्मबल के माध्यम से भारत का संविधान निर्माता बन सकता है, तो आज का युवा अपनी तक़दीर क्यों नहीं बदल सकता?

"शिक्षा शेरनी का दूध है—जो उसे पीता है, वह दहाड़े बिना नहीं रह सकता।"

बाबासाहेब की वह दहाड़, जिसने एक राष्ट्र की आत्मा को झकझोरा, आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

यह पुस्तक केवल इतिहास जानने के लिए नहीं है—यह आपको अपनी चुप्पी तोड़ने, अपने अधिकारों के लिए खड़े होने, और अपने भविष्य को पुनः परिभाषित करने की प्रेरणा देने के लिए है।

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अंकित बागड़ी

अंकित बागड़ी, डॉ. अम्बेडकर नगर महू, इंदौर के निवासी हैं—वही पवित्र भूमि जहाँ भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ था। अंकित ने राधा , विषम नमो, द रोर ऑफ माय साइलेंस जैसी अन्य बेस्टसेलिंग कृतियाँ रची हैं। उन्हें द लंदन बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा स्टार 2020 अवॉर्ड तथा माय.एफ.एम. द्वारा जियो दिल से अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। साथ ही, टेडएक्स द्वारा भी उन्हें अपने असाधारण कार्यों को साझा करने हेतु आमंत्रित किया गया था।
 
बाबा साहेब अम्बेडकर की धरती से जन्मे अंकित बागड़ी साहस, संवेदना और समर्पण के पथ पर अग्रसर हैं। वे समाज कल्याण हेतु सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं और अपनी पुस्तकों से प्राप्त समस्त रॉयल्टी "संस्था अनिवार्य" के लिए समर्पित करते हैं, जिसके माध्यम से महिलाओं/बालिकाओं को भारत के कोने-कोने में नि:शुल्क सैनिटरी पैड वितरित किए जाते हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने भी उनके सामाजिक कार्यों की सराहना की है।

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