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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palस्मृतियां और सफर — एक कविता संग्रह जो न सिर्फ़ शब्दों से बुना गया है, बल्कि दिल की गहराइयों से उमड़ी भावनाओं से भी। यह संग्रह आपके-हमारे जीवन की उन सभी छोटी-बड़ी बातों को समेटे हुए है जो कभी किसी मोड़ पर हमें रुला देती हैं, तो कभी मुस्कुराने की वजह बन जाती हैं।
हर कविता एक याद है — कभी अधूरी, कभी पूरी, कभी मीठी, कभी चुभती हुई। यह किताब उन एहसासों की परतें है, जो जीवन के सफर में हम सभी महसूस करते हैं — प्यार की पहली चिंगारी से लेकर बिछड़ने की आख़िरी आह तक। इसमें नारी मन की वेदना है, एकाकीपन की पीड़ा है, रिश्तों की जटिलताएं हैं और उन खामोश पलों की गहराई है जो बहुत कुछ कह जाते हैं।
"स्मृतियां और सफर" एक ऐसा दर्पण है जिसमें पाठक अपने जीवन की झलक देख सकता है — वह पहला प्यार, वह टूटन, वह प्रतिक्षा, वह विदाई। यह संग्रह उन शब्दों को आवाज़ देता है जो अक्सर मन में दबे रह जाते हैं, उन आंसुओं को स्थान देता है जो मुस्कान के पीछे छिप जाते हैं।
इस संग्रह की कुछ पंक्तियाँ जीवन की सच्चाइयों को उजागर करती हैं, तो कुछ प्यार को पुनः जीने की प्रेरणा देती हैं। भावनाओं की विविधता के साथ यह संग्रह कभी नदी सा बहता है तो कभी सागर सी गहराई लिए खड़ा रहता है। हर कविता आपको अपने भीतर झाँकने को मजबूर करेगी, और शायद उन कहानियों को भी याद दिलाएगी जो आपने कभी किसी से नहीं कही।
कंता 'दीप' की यह रचनाएं न सिर्फ पढ़ने के लिए हैं, बल्कि महसूस करने के लिए भी — जैसे कोई चुपचाप आपके पास बैठकर वह अनकही बातें सुन रहा हो।
"स्मृतियां और सफर" सिर्फ़ एक किताब नहीं — एक भावनात्मक यात्रा है। जीवन की सच्चाइयों को कविता के कोमल और प्रभावशाली माध्यम से महसूस कराने वाली एक सच्ची साथी।
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कंता 'दीप' एक संवेदनशील लेखिका हैं, जो खामोशियों में भी भावनाओं की आवाज़ सुन सकती हैं। उनके लेखन में जीवन की सच्चाइयाँ, स्त्री मन की परतें, और उन अनकहे अनुभवों की झलक है, जो अक्सर शब्दों में नहीं कहे जाते — सिर्फ़ महसूस किए जाते हैं।
लेखन की शुरुआत उन्होंने कम उम्र में की — किसी पुरस्कार या पहचान के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि कुछ भावनाएं कहे बिना जी नहीं जातीं। धीरे-धीरे कविता उनके जीवन की साथी बन गई — हर सुख-दुख, हर रिश्ते, हर तन्हाई में।
उनका पहला कविता-संग्रह "अभिव्यक्ति मन की" वर्ष 2018 में प्रकाशित हुआ, जिसमें उनके मन की बातों को सादगी और सच्चाई से प्रस्तुत किया गया। पाठकों ने इसे न केवल पढ़ा, बल्कि महसूस भी किया।
अब उनका दूसरा संग्रह "स्मृतियां और सफर", उन भावनाओं की यात्रा है जो वर्षों से दिल में पलती रही हैं — प्रेम, वियोग, यादें और आत्मा की खामोशी में घुलते हुए।
हिंदी उनकी आत्मा की भाषा है — उनकी कविताएं उसी में सबसे गहराई से बहती हैं।
उनका उपनाम 'दीप' अंधेरे में एक राह दिखाने वाली रोशनी का प्रतीक है — जो न केवल दिशा दिखाती है, बल्कि भीतर की गहराइयों तक पहुँचती है।
जब वह नहीं लिख रहीं होती हैं, तो पढ़ती हैं, महसूस करती हैं, और जीवन की अनकही परतों को शब्दों में बुनने का काम करती हैं।
"स्मृतियां और सफर" सिर्फ एक पुस्तक नहीं, एक आत्मीय अनुभूति है — जहाँ पाठक अपनी ही आवाज़ को कविताओं के बीच सुन सकते हैं।
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