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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकुछ "शर्तें" जिनका कोई वज़ूद या उनकी कोई आवश्यकता नहीं होती पर वे मान ली जाती हैं।
वही हमारे समाज का सबसे बड़ा अभिशाप होती हैं।
उन शर्तों के अंदर ना जाने कितनी सीमाएँ और कितनी घुटन होती है,
पर हम कभी इनके विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते क्यूँकी हमे बस यही सीख मिली है इनके अंदर कहीं न कहीं हमारा हित छुपा हुआ है।
पर हित कभी भी छुपा हुआ या शर्तों मेें नहीं होता,
हित सदैव पारदर्शी होता है।
"शर्तें- unnecessary terms" एक ऐसी पुस्तक है जिसमें ना सिर्फ मैंने बल्कि 21 लेखकों ने अपनी सोच को अपनी कलम के माध्यम से जाहिर किया है।
अर्पिता मिश्रा
उसका नाम अर्पिता मिश्रा है और वह लखनऊ विश्वविद्यालय में परास्नातक की छात्रा है। वह "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान का भी हिस्सा हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में 2020 में लिखना शुरू किया था, वह बचपन से ही एक भावुक लेखिका हैं। और उसे लेख लिखना और किताबें पढ़ना बहुत पसंद है। वह 30+ एंथोलॉजी का हिस्सा हैं और कई किताबों की डिज़ाइनर भी हैं। वह बहुत प्रसिद्ध लेखिका नहीं है या वह कभी उपन्यासकार नहीं बनना चाहती। लेकिन उनकी बातें आपकी जिंदगी से जरूर जुड़ती हैं।
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